गोरखपुर, एजेंसी : राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गोरखपुर के पिपरी में उत्‍तर प्रदेश के पहले आयुष विवि का शिलान्‍यास किया। इस विवि का नाम महायोगी गुरु गोरक्षनाथ आयुष विश्‍वविद्यालय है। शिलान्‍यास कार्यक्रम के दौरान अचानक जोरदार बारिश शुरू हो गई तो राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने सम्‍बोधन की शुरुआत में ही इसका स्‍वागत कुछ अलग ढंग से किया। उन्‍होंने कहा कि भगवान इन्‍द्रदेव भी अपना आशीर्वाद देने हम सबके बीच में आ गए हैं।

भारतीय शास्‍त्रों में एक मान्‍यता है कि कोई शुभ कार्य यदि सम्‍पन्‍न हो रहा हो उस दौरान यदि आकाश से पानी की बूंदे गिरने लगें तो उसे कहा जाता है कि यह शुभ से अद्यतम शुभम हो गया है। यह सहयोग है। जब हम लोग सुबह लखनऊ से चले तो मौसम की भविष्‍यवाणी के अनुसार हमें लग रहा था कि गोरखपुर में बारिश होने वाली है। लेकिन कभी-कभी मन में संदेह यह होता था कि बारिश यदि शाम को हुई तो हमारा शिलान्‍यास का कार्यक्रम तो सम्‍पन्‍न हो जाएगा। लेकिन हमें लगता है कि इस आयुष विवि के प्रति आपका जो समर्पण है उसने इन्‍द्रदेव को बाध्‍य कर दिया कि इस कार्यक्रम के सम्‍पन्‍न होने के दौरान ही आपको आशीर्वाद देने आ जाएं।

राष्ट्रपति ने कहा कि गुरुओं की महिमा बताने वाले गुरु गोरखनाथ ने कहा था कि सुख स्वर्ग है और दु:ख नरक। शरीर निरोग रहे इस ध्‍येय को सफल बनाने ले लिए यूनिवर्सिटी की स्थापना हो रही है। शरीर को स्वास्थ रखने के लिए विभिन्न चिकित्सा पद्धतियां हैं। केंद्र और प्रदेश सरकार ने अलग आयुष मंत्रालय का गठन किया है। इससे सत्र और स्तर दोनों बढेंगे। शोध संस्थान की भी स्थापना होगी। उन्‍होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के इस विश्वविद्यालय का नाम गुरु गोरखनाथ के नाम पर रखना सार्थक है। गोस्वामी तुलसीदास ने भी गोरख की प्रतिष्ठा की है। उन्‍होंने बताया कि राष्ट्रपति भवन में आरोग्य वन को स्थापित किया जा रहा है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी ने प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा दिया और स्वीकार्यता दी। कोविड में आयुष ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पिछले दो दशक में औषधीय खेती और मांग बढ़ी है। इस विश्वविद्यालय से आयुष को बढ़ावा मिलेगा। बड़े भाग्य से मानव शरीर मिला है।

राज्‍यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ भी कार्यक्रम में मौजूद रहे। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धति को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने पहचान दी है। उन्‍होंने आयुष मंत्रालय का अलग से गठन किया। यूपी सरकार ने भी मंत्रालय का गठन किया। उन्‍होंने कहा कि आयुर्वेद का अनुसरण पूरी दुनिया ने कोरोना काल में किया। हल्दी का पानी दुनिया के लोग लाइन लगाकर पी रहे हैं। देश में हर भोजन हल्दी से ही पूरा होता है। उन्‍होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में मेडिकल कालेज का सत्र नियमित नहीं होता था। 2019 में अटल यूनिवर्सिटी की स्‍थापना 2019 में हुई। टेक्निकल यूनिवर्सिटी से प्रौद्योगिकी महाविद्यालयों को एक सूत्र में जोड़ने के लिए काम हो रहा है। इसके साथ ही आयुष विश्विद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया गया। आज गुरु गोरखनाथ आयुष विश्विद्यालय का शिलान्यास हुआ है। प्रदेश में 94 आयुष महाविद्यालय है। यहां स्‍नातक स्‍तर पर 7500 पर सीटें हैं। अब इन महाविद्यालयों का शैक्षिक सत्र नियमित होगा। योग की विशिष्ट विधा हठ योग, व्यवहारिक योग, क्रियायोग के प्रणेता गुरु गोरक्षनाथ ही हैं। सारी पद्धतियां महायोगी गोरखनाथ से जुड़ी हैं। उन्‍होंने कहा कि उत्‍तर प्रदेश में परंपरागत चिकित्सा को एक मंच दिया जा रहा है। सीएम योगी ने कहा कि ग्रामीण इलाके में यहां विकास कोसों दूर था। आयुष विवि की की स्थापना बताती है कि हर वर्ग विकास से जुड़ रहा है।

शिलान्‍यास कार्यक्रम में राज्‍यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि गोरखपुर अंचल का विशेष महत्व है। यह क्षेत्र कबीर, बुद्ध, गोरखनाथ, बाबा राघवदास और प्रेमचंद से जुड़ा है। चौरीचौरा यहां के इतिहास को बताता है। उन्होंने कहा कि आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना से सत्र में एकरूपता आएगी। आर्युवेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है। आयुष विश्विद्यालय से शोध को बढ़ावा मिलेगा। उन्‍होंने कहा कि होमियो पैथी, यूनानी और आर्युवेद एक छत के नीचे लाया जाएगा। राज्‍यपाल ने कहा कि स्‍वास्थ्य बिना बीमारी से मुक्ति ही नहीं है। सभी स्वस्थ होंगे तो देश भी प्रगतिशील होगा। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने बीमारी की वजह को भी दूर करने का प्रयास किया है। पोषण, शौचालय निर्माण इसी सोच का नतीजा है। मेडिकल साइंस से कोई वंचित नहीं रहे इसका प्रयास अभिनंदनीय है।

आयुष मंत्री धर्मसिंह सैनी ने कहा कि राष्ट्रपति आयुष विभाग को आशीर्वाद देने आए हैं। मुख्यमंत्री की रुचि आयुष में रही है। कोरोना काल में आयुष को नई पहचान मिली है। आयुष मेला लगे हैं। आयुष विश्विद्यालय से अब सम्बद्ध महाविद्यालय के सत्र नियमित होंगे। 56 एकड़ भूमि में बनने वाले विश्विद्यालय पर 300 करोड़ ख़र्च होंगे। 36 महीने में विश्वविद्यालय बन कर तैयार होगा।

 

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