वाराणसी, (ब.शि.) । कोरोना संक्रमण की रफ्तार लोगों को बेजार कर रही है। इससे बचाव के लिए वायरोलाजिस्ट समेत विज्ञानी व चिकित्सा विशेषज्ञ वैक्सीन को सबसे बड़ा हथियार बता रहे हैं। खुद बचने, अपनों व समाज को बचाने का रास्ता दिखा रहे हैं। अस्पतालों में नित लगती कतार बता रही कि टीके लगवाने के लिए बड़ी संख्या में लोग आगे भी आ रहे हैं, लेकिन इस आपदा काल में भी कुछ लोग कुतर्कों के साथ भ्रमजाल फैला रहे हैं। कुछ इसी तरह अधकचरे ज्ञान वालों ने माहवारी (पीरियड्स) के दौरान इम्युनिटी कम का इंटरनेट मीडिया पर नया शिगूफा छेड़ा है। यही नहीं इसे गर्भधारण तक के लिए खतरनाक बता रहे हैं। इस माहौल में चिकित्सा विशेषज्ञ हकीकत बता रही हैं और वैज्ञानिक तर्कों के आधार पर आइना दिखा रही हैं।
पीरियड्स सामान्य प्रक्रिया, कमजोर नहीं होती इम्युनिटी
प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग में वरिष्ठ प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. सारिका राय बताती हैं कि मासिक चक्र के दौरान हार्मोन के प्रभाव से सामान्यतया महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। उसी तरह इम्युनिटी में भी होता है। इसमें प्रतिरोधक क्षमता कम नहीं होती है। ऐसे में टीकाकरण को लेकर किसी तरह का निषेध नहीं है। किसी भी उम्र की महिलाएं, किशोरियां या युवतियां माहवारी के किसी भी दिन कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीनेशन करा सकती हैं। इसमें किसी भी तरह का संशय रखने की जरूरत नहीं है।
राज्य कर्मचारी बीमा निगम अस्पताल की वरिष्ठ परामर्शदाता स्त्री एवं प्रसूति रोग डा. नीलिका अंबेश बताती हैं कि माहवारी यह प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया है। पैथालाजिकल कंडीशन में इम्युनिटी कम होती है, फिजियोलाजिकल कंडीशन में एकदम नहीं। हालांकि हार्मोनल चेंजेज जरूर होते हैं लेकिन किसी तरह प्रतिरोधी क्षमता पर प्रभाव नहीं होता। पीरियड्स जिनमें अनियमित है, उन्हें अपनी डाक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए। वैसे माहवारी कोई नई बात नहीं, पहले से भी किसी इस अविध में किसी रोग-बीमारी की स्थिति में या बचाव के लिए दवा-टीके दिए जाते रहे हैं। इसमें प्रतिरोधक क्षमता कम होने की बात मिथ्या है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की अध्यक्ष व स्वास्थ्य विभाग में संयुक्त निदेशक डा. मनीषा सिंह कहती हैं कि पीरियड्स बेहद सामान्य प्रक्रिया है। इस अवधि में महिलाएं अंदर-बाहर के सारे कार्य करती हैं फिर कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण को लेकर इम्युनिटी पर सवाल उठाना भ्रम फैलाना है। कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण के लिए सोचने की बात नहीं। इसमें सोचने की बात नहीं, टीकाकरण माहवारी के दौरान, उससे पहले और बाद में कभी भी कराया जा सकता है।
गर्भधारण में नहीं बाधक है टीका
टीकाकरण व गर्भधारण को लेकर भी डाक्टरों की राय एक ही है। उनका मानना है कि टीके का प्रजनन क्षमता पर कोई प्रभाव नहीं होता। हालांकि गर्भवती महिला में भी संक्रमण का खतरा आम लोगों की तरह ही हो सकता है। एेसे में आप बच्चा प्लान कर रहे हों तो टीकाकरण और भी जरूरी हो जाता है। यह महिला व गर्भ में आने वाले बच्चे के भी हित में होगा। टीकाकरण के बाद आपका होने वाला बच्चा भी कोरोना से सुरक्षित हो सकता है। डा. सारिका कहती हैं कि टीकाकरण से पहले किसी तरह के प्रेग्नेंसी टेस्ट की जरूरत नहीं होती। सामान्य तरीके से बिना कुछ सोचे-समझे टीकाकरण कराया जा सकता है। टीकाकरण के बाद भी आपको गर्भधारण का पता चलता है तो घबड़ाने की नहीं, अपने स्वास्थ्य व पेट में आए बच्चे की सुरक्षा के लिहाज से खुश हो जाने की बात है।
गर्भावस्था व प्रसवोपरांत डाक्टर की लें सलाह
गर्भावस्था व प्रसवोपरांत की स्थित में टीकाकरण के मुद्दे पर डा. मनीषा कहती हैं कि, गर्भवती व फीडिंग मदर्स यानी स्तनपान कराने वाली मां को कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सीन व कोविशील्ड के ट्रायल में अभी तक शामिल नहीं किया गया है। हालांकि इन स्थितियों में विदेशों में कोरोना से बचाव के दूसरे टीके लगाए जा रहे हैं। डा. सारिका कहती हैं कि अभी भारत सरकार ने गर्भवती व प्रसूता को टीकाकरण के बारे में कोई गाइड लाइन नहीं जारी की है।