इस महीने तिथियों की घट-बढ़ की वजह से 3 एकादशी व्रत किए जाएंगे। अंग्रेजी कैलेंडर के एक महीने में आमतौर पर सिर्फ 2 एकादशी व्रत ही आते हैं। लेकिन इस महीने तीन बार एकादशी रहेंगी। नवंबर के पहले दिन रमा एकादशी रहेगी। महीने के बीच में देव प्रबोधिनी और आखिरी दिन उत्पन्ना एकादशी व्रत किया जाएगा। जानकारों के मुताबिक ऐसी स्थिति को शुभ माना गया है। ऐसा होने से भगवान विष्णु की विशेष पूजा के लिए महीने में एक दिन और बढ़ गया है।
कौन सी तीन एकादशी रहेंगी इस महीने
रमा एकादशी (1 नवंबर): इस दिन लक्ष्मी जी के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कई जगहों पर इस दिन से लक्ष्मी पूजा की शुरुआत हो जाती है। लक्ष्मी जी के नाम पर ही इसे रमा एकादशी कहा जाता है।
देव प्रबोधिनी एकादशी (15 नवंबर): इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं, इसलिए इसे देव प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन तुलसी और शालग्राम विवाह की परंपरा है।
उत्पन्ना एकादशी (30 नवंबर): विष्णुधर्मोत्तर पुराण के मुताबिक इस दिन एकादशी तिथि प्रकट हुई थी। इसलिए उसे उत्पन्ना एकादशी कहा गया है। इस व्रत से सालभर की एकादशी व्रतों का पूरा फल मिल जाता है।
महीने में 2 बार आती है एकादशी
ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं। ये महीने में दो बार आती है। एक शुक्लपक्ष के बाद और दूसरी कृष्ण पक्ष के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्णपक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली को शुक्लपक्ष की एकादशी कहते हैं। इस तरह साल 24 एकादशी तिथियों को अलग-अलग नाम दिए गए हैं। हर एकादशी का अपना अलग महत्व है।
यज्ञ और वैदिक कर्म-कांड से भी ज्यादा फल देता है एकादशी व्रत
पुराणों के मुताबिक, एकादशी को हरी वासर यानी भगवान विष्णु का दिन कहा जाता है। विद्वानों का कहना है कि एकादशी व्रत यज्ञ और वैदिक कर्म-कांड से भी ज्यादा फल देता है। पुराणों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से मिलने वाले पुण्य से पितरों को संतुष्टि मिलती है। स्कन्द पुराण में भी एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है। इसको करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।