वैशाख महीने के गुरुवार को भगवान विष्णु की विशेष पूजा का विधान है। इस दिन विष्णुजी की पूजा के साथ सत्यनारायण कथा करने और सुनने का भी महत्व माना जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर नहाकर व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए। गुरुवार, भगवान विष्णु का दिन होने से और भी खास हो गया है। इस दिन तुलसी और पीपल की पूजा करने से भी जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

वैशाख गुरुवार के धर्म-कर्म

सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं। इस दिन पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से तीर्थ स्नान जितना पुण्य मिलता है। इसके बाद पूरे दिन व्रत, पूजा और दान का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद दूध और पानी से भगवान विष्णु का अभिषेक करना चाहिए। फिर कई चीजों से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद अभिषेक किए गए जल में से थोड़ा सा खुद पीएं और बाकी जल पीपल या तुलसी में चढ़ा दें। इसके बाद गाय को घास खिलाएं। फिर जरूरतमंद लोगों को अन्न-जल, छाता, सफेद कपड़े या जूते-चप्पल का दान करें।

पीपल और तुलसी पूजा

सुबह भगवान विष्णु की पूजा के बाद तुलसी को जल चढ़ाएं। भगवान शालिग्राम की पूजा भी करें। फिर तुलसी के पास घी का दीपक लगाकर परिक्रमा करें। इसके बाद एक लोटे में पानी और ताजा दूध मिला लें। फिर पीपल के पेड़ पर जाकर चढ़ा दें। फिर पीपल के पास घी का दीपक लगाएं और पेड़ में भगवान विष्णु का ध्यान कर के प्रणाम करें।

व्रत और दान

वैशाख महीने के गुरुवार को सुबह भगवान विष्णु की पूजा के बाद व्रत और दान का संकल्प लेना चाहिए। फिर जरूरतमंद लोगों को अन्न और जल के साथ जरूरी चीजों का दान किया जा सकता है। दिनभर व्रत करें। शरीर साथ दे तो उपवास भी किया जा सकता है। दिन में फलाहार किया जा सकता है। यानी मौसमी फल खा सकते हैं। गुरुवार के व्रत में आम खाना और भी शुभ माना जाता है।

 

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