बदायूॅं : जनपद के मशहूर शाइर व कारवान-ए-अमजद़ अकादमी के संस्थापक व अध्यक्ष अहमद अमज़दी के यौम-ए-पैदाइश पर पुलिस चौकी नई सराय एक्सीलेंट कोचिंग सेंटर में वरिष्ठ साहित्यकार चन्द्र पाल सिंह ‘सरल’ एवं अहमद अमज़दी के संयुक्त अध्यक्षता मे एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी में मुख्य अतिथि समाजसेवी व कांग्रेस कमेटी शहर अध्यक्ष चौधरी वफाती मियाॅं एवं संचालन संस्था सचिव राजवीर सिंह ‘तरंग’ ने किया। गोष्ठी में सरस्वती वंदना राजवीर सिंह ‘तरंग’ और नाते पाक बिलाल अहमद के द्वारा प्रस्तुत की गई।
चन्द्र पाल सिंह ‘सरल’ ने कहा
“ग़रज़ मेरी नहीं है जो निहारुॅं अक्श शीशे में ,
ज़रुरत आइने को है मेरे नज़दीक आने की ”

अरविंद धवल ने कहा
तकिया हो जो तेरी बांह तो सोना अच्छा लगता है,
दुनिया में बस तेरा होना अच्छा लगता है।

सादिक अलापुरी ने कहा-
“हदों से जो भी बढ़कर देखता है,
हिकारत के वो पत्थर देखता है
नज़र की हद फ़कत चेहरा है लेकिन यह दिल पर्दे के अंदर देखता है।

राजवीर सिंह ‘तरंग’ने पढ़ा-
“नेकदिल इंसान अहमद अमज़दी,
शाइरी की शान अहमद अमज़दी।
झूठ को कहना हमेशा झूठ ही,
है तेरी पहचान अहमद अमज़दी।

अहमद अमजदी ने कहा-
मौजे तूफ़ाॅं से जो डर जाते हैं लोग,
वो किनारे पर ही मर जाते हैं लोग।
आप जायें शौक से जायें उधर हम नहीं जाते जिधर जाते हैं लोग।

विनोद सूर्यवंशी ने कहा-
“वो चमन गुले गुलज़ार नहीं होता है,
बागवां जिसका हुनर दार नहीं होता है।
बे लगाम होते हैं उनके लश्कर-ए-दिल,
जिसका होशियार सरदार नहीं होता है।”

बिलाल अहमद ने पढ़ा
“पहले मेरा कसूर बतलाते,
फिर मुझे शौक से सजा देते।”

अमन शर्मा मयंक ने कहा-
“दिखला रही है कैसे यह हालात जिंदगी,
दिन में भी मुझे लगती है अब रात जिंदगी।”

मणिपुर की घटना पर
अरविंद कुमार कश्यप ने कहा-
“मुख्य मूल्य थे जो जीवन के आज सभी वो गौढ़ हो गए।
एक समान थी न्याय तुला सबको पर अब जाने कैसे दृष्टिकोण हो गए।
अन्याय अत्याचार शोषण और चीर हरण पर भी नेत्र बंद,
जैसे राज्यसभा में मौन बैठकर सभी भीष्म और द्रोण हो गए।”

बिल्सी से पधारे कासिम खैरी ने पढ़ा-
“समझते लोग अपने-अपने मज़हब को,
कहीं फ़साद ख़ुदा की कसम नहीं होता।”

बिल्सी से ही आए ओजस्वी जौहरी ने कहा-
“तीरगी तुम्हारे दिल से मिट जाएगी एक दिन,
इस तरह गीतों को न दिल में पालो यारो,
तुम शम्आ दिल में प्यार से जलाओ तो सही,
दिल ख़ुद सॅंभल जाएंगे बुगज़ तो दिल से निकालो यारो।”

अवनीश कुमार मौर्य ने कहा –
“हमने लोगों को दिल बंजर देखे हैं।
ऑंखों में किसी के समंदर देखे हैं।
न सुनाओ हमको कामयाबी के किस्से,
हमने मात खाते यहां सिकंदर देखें हैं।

मुख्य अतिथि चौधरी बफाती मियां ने कहा आज बेहद खुशी का अवसर है कि आज अकादमी के संस्थापक एवं अध्यक्ष अहमद अमजदी जी का जन्मदिन है। हम अपनी ओर से उन्हें मुबारकबाद पेश करते हैं और दुआ करते हैं कि अल्लाह इनकी उम्र में बरकतें अता फरमाए और अकादमी के महासचिव राजवीर सिंह तरंग को भी दिल से बधाई दी कि उन्होंने अपने उस्ताद के जन्म दिन पर इतना भव्य कार्यक्रम कराया।
इस कार्यक्रम में में इक़रार उद्दीन, अली, शाहनवाज़ अंसारी, गुडडू भाई, अदि मौजूद रहे।
मुशायरा और कवि सम्मेलन देर रात तक चला। अंत में अकादमी के सचिव ने सभी का आभार व्यक्त किया।

 

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