कीव, एजेंसी: भारत में लोगों को यह कहते आपने जरूर सुना होगा कि समंदर की बड़ी मछली छोटी को निगल जाती है। रूस और यूक्रेन की बात करें तो कुछ हद तक यूक्रेन उस ‘छोटी मछली’ की ही तरह है। शायद यही वजह है कि रूस ने बेफिक्र होकर इस तरह घुसकर हमला करने के बारे में सोचा। हालांकि यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने तमाम विषम परिस्थितियों और बम धमाकों की थर्राहट के बीच अपने ‘आकार’ को जिस तरह से बढ़ाया है उसने रूस को कुछ हद तक चुनौती जरूर पेश की है। रूस ने राजधानी कीव को घेर लिया और उसके टैंक यूक्रेन की धरती को रौंदते हुए बम-गोले बरसाने लगे तो यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के पास विकल्प काफी सीमित रह गए। लेकिन उन्होंने हथियार नहीं डाले। वह एक तरफ सोशल मीडिया के जरिए अपने देश के लोगों का हौसला बढ़ा रहे हैं तो दूसरी तरफ उनका फोन लगातार व्यस्त है। चौतरफा दुश्मन से घिरी राजधानी के भीतर बैठकर की गई धड़ाधड़ फोन कॉल का ही नतीजा है कि रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की झड़ी लग गई है।
जेलेंस्की की फोन कॉल
जेलेंस्की पश्चिमी देशों के नेताओं को राजी करने में कामयाब रहे और रूस के खिलाफ पिछले 4 दिनों के भीतर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं। गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक यूरोपीय जनता की राय अपने लोगों की बहादुरी को लेकर कैसी है? यह महसूस करते हुए प्रेसिडेंट जेलेंस्की लगातार पश्चिमी नेताओं से फोन पर टच में रहे हैं। उन्होंने ट्विटर के जरिए अपने लोगों और सहयोगियों का हौसला बढ़ाया और प्रशंसा की तो दूसरी तरफ रूस को सुनाते भी रहे। एक हफ्ते पहले तक रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की कोई वजह नहीं थी और अब दुनिया के देशों को एक मजबूत आधार मिल चुका है। ऐसे में जिस रफ्तार से पश्चिमी देशों ने नए प्रतिबंधों को मंजूरी दी उसने वकीलों, अधिकारियों और बैंकरों को हैरान कर दिया। अधिकारी भी मान रहे हैं कि इस तेजी के चलते फैसले को अमल करने में भीषण दबाव आ गया है।
एक नेता के ऑफिस ने कहा, ‘हम चकित हैं। वह आखिर में यूक्रेन को बचाने या रूस को बदलने में सक्षम तो नहीं हो सकते लेकिन वह यूरोप को बदल रहे हैं।’ शनिवार की कूटनीति को ही लीजिए। जेलेंस्की ने कहा कि उन्होंने दिन की शुरुआत फोन कॉल से की। उन्होंने इमैनुएल मैंक्रों के बाद यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष, इटली के प्रधानमंत्री, स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन मिलाया। इसके बाद भी वह रुके नहीं। उनका फोन लगातार एंगेज रहा। उन्होंने तुर्की के राष्ट्रपति रीसप तैयप एर्दोगन, अजरबैजान के राष्ट्रपति, डच प्राइम मिनिस्टर, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरस से व्यापक चर्चा की। इतने पर भी उनकी लिस्ट में कई नाम बाकी थे। उन्होंने अगले कुछ मिनटों में जर्मन चांसलर, पोप, चेक प्राइम मिनिस्टर, पोलिश पीएम और आखिर में ब्रिटिश प्रधानमंत्री के साथ वर्चुअल चैंटिंग की।
एक दिन पहले भी उन्होंने ऐसे ही कई नेताओं को फोन किया था। सभी में उन्होंने रूस के आक्रमण का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हथियार देने और सख्त प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया। नींद और आराम को भूलकर जेलेंस्की एक तरफ फोन कॉल कर रहे थे तो दूसरी तरफ अपनी सेना से भी जुड़े हुए थे और रणनीति तैयार कर रहे थे। उनके ऐक्शन की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने बताया, ‘वह बहुत स्पष्टवादी, बहुत दृढ़ और बहुत व्यावहारिक हैं। लेकिन जिस तरह से उन्होंने फोन पर बात की उसने जेलेंस्की की स्थिति मजबूत की और हालात को पलटने में मदद की।’
जर्मनी, फ्रांस, अमेरिका साथ
जंग के हालात में कोई भी देश बहुत सोच-विचार कर फैसला करता है। पर यहां जेलेंस्की की कूटनीति का असर था कि जर्मनी ने जल्द ही यूक्रेन को हथियार देने की घोषणा की। जर्मनी यूक्रेन को 1000 टैंक रोधी हथियार और 500 स्टिंगर मिसाइलें देने जा रहा है। जर्मनी ने रक्षा खर्च बढ़ा दिया और SWIFT से रूस को हटाने पर सहमत हुआ। फ्रांस, पोलैंड और अमेरिका पहले से मदद का ऐलान कर चुके हैं। अमेरिका 35 करोड़ डॉलर की अतिरिक्त सैन्य मदद दे रहा है। इसमें कई हथियार, गोला-बारूद शामिल हैं।
जर्मनी ही नहीं, यूके, कनाडा और फ्रांस भी रूस को सबक सिखाने के लिए स्विफ्ट सिस्टम से रूस को अलग करने पर साथ आ गए। जेलेंस्की की लॉबिइंग से यूरोपीय नेता इस बात पर सहमत हो सकते हैं कि रूसी सेंट्रल बैंक के असेट को फ्रीज किया जाए। अगर ऐसा होता है तो पुतिन के फैसले से उनके देश की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लग सकता है।
रूस के प्रमुख बैंकों को भुगतान प्रणाली स्विफ्ट (Swift) से बाहर करने का बड़ा फैसला पुतिन की टेंशन बढ़ा सकता है। जापान ने ‘स्विफ्ट’ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संदेश प्रणाली से रूसी बैंकों को हटाने के निर्णय में अमेरिका और यूरोपीय देशों का साथ देने का फैसला लिया है। स्विफ्ट एक वैश्विक पेमेंट सिस्टम है। यह फाइनेंशियल मेसेजिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर है, जो दुनिया के बैंकों को जोड़ने का काम करता है। इससे 200 देशों और 11 हजार वित्तीय संस्थानों को वित्तीय लेन-देन से जुड़े निर्देश मिलते हैं।
एक अधिकारी ने स्वीकार किया कि रूस की ताकतवर सेना के आगे यूक्रेन की मिलिट्री ज्यादा समय तक टिक नहीं पाएगी। ऐसे में जेलेंस्की का फोकस सीधे तौर पर पुतिन को आर्थिक और राजनीतिक लिहाज से चोट पहुंचाने का है क्योंकि उन्हें भी पता है कि वे जंग के मैदान में पुतिन को हरा नहीं सकते।