सिंगापुर : स्वास्थ्य मंत्री ओंग ये कुंग ने सोमवार को संसद में कहा कि पिछले साल सिंगापुर में कुल कोविड-19 से जुड़ी मौतों में पूरी तरह से टीकाकरण वाले 30 फीसदी लोग थे। मंत्री ने कहा कि सिंगापुर में पिछले साल कोरोना वायरस के कारण 802 मौतें दर्ज की गईं, जिनमें से 247 लोगों को पूरी तरह से टीका लगाया गया था। अधिकांश टीकाकरण वाले व्यक्ति जिनकी कोविड-19 संबंधित जटिलताओं से मृत्यु हुई थी उन्हें गैर-एमआरएनए टीके लगे थे।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ओमिक्रॉन बेहद संक्रामक
ओंग ने जानकारी दी कि सिनोवैक टीका लेने वालों में प्रति 100,000 में 11 मौतें, सिनोफार्म लेने वालों में 100,000 में 7.8 मौतें, फाइजर-बायोएनटेक लेने वालों में प्रति 100,000 में 6.2 मौतें और मॉडर्ना लेने वालों में प्रति 100,000 में एक की मौत हुई। चैनल न्यूज एशिया ने सदन में ओंग के बयान के हवाले से कहा कि सावधान रहें, हम 247 मौतों के एक छोटे से नमूने के आधार पर इसकी गणना कर रहे हैं। पिछले साल मरने वाले बाकी 555 लोगों का पूरी तरह से टीकाकरण नहीं किया गया था।
हालांकि, गैर-टीकाकरण वाले लोग सिंगापुर की आबादी के छोटे अनुपात का प्रतिनिधित्व करते हैं। ओंग ने कहा कि इन मौतों का पिछले साल कुल कोविड-19 मौतों का 70 प्रतिशत हिस्सा था। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले महीनों में प्रत्येक पात्र आयु वर्ग के 90 प्रतिशत से अधिक का टीकाकरण करने में कामयाबी हासिल की है।
ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा से कहीं अधिक संक्रामक
साथ ही स्वास्थ्य मंत्री ओंग ने संसद में कहा कि सिंगापुर में भी ओमिक्रॉन की लहर आ सकती है जो डेल्टा से कहीं गुना बड़ी हो सकती है। एक सांसद के एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि हर दो से तीन दिन में मामले दोगुने होने की संभावना है। ओमिक्रॉन वैरिएंट की उच्च संक्रमण दर का हवाला देते हुए ओंग ने कहा कि सिंगापुर में डेल्टा के कारण होने वाले संक्रमण की लहर से ये नई लहर कई गुना बड़ा होने की आशंका है।
मंत्री ने कहा कि अगर डेल्टा संक्रमण के एक दिन में लगभग 3,000 मामले सामने आते हैं तो ओमिक्रॉन शायद एक दिन में 10,000 से 15,000 मामलों या उससे अधिक तक पहुँच सकता है। इसलिए जब मामले तेजी से बढ़ने लगेंगे तो कुछ हफ्ते के भीतर हम एक दिन में 3,000 ओमिक्रॉन मामले देख सकते हैं। साथ ही ओंग ने वैश्विक अध्ययनों की ओर भी इशारा किया, जिसमें दिखाया गया है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा की तुलना में कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है, कम मामलों में ही मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है या आपातकालीन देखभाल की आवश्यकता होती है।

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