ग्लासगो : यहां चल रहे कॉप-26 (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन) में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के भाषण के बाद व्हाइट हाउस ने दावा किया कि जलवायु वार्ताओं में अमेरिका का नेतृत्व बहाल हो गया है। लेकिन अमेरिका में जो घटनाएं हो रही हैं, उसे देखते हुए कई हलकों से इस पर संदेह जताया गया है। कुछ टीकाकारों ने कहा है कि अमेरिका का नेतृत्व स्थापित होगा या नहीं, यह इससे तय होगा कि बाइडन की महत्त्वाकांक्षी इंफ्रास्ट्रक्चर योजना का क्या होता है।

बाइडन का इंफ्रास्ट्रक्चर पैकेज लटका

बाइडन प्रशासन ने इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना पर रिपब्लिकन पार्टी के साथ सहमति बनाई थी। इस पैकेज में जलवायु परिवर्तन रोकने से संबंधित योजनाओं के लिए 555 बिलियन डॉलर का प्रावधान है। लेकिन ये पैकेज कांग्रेस (संसद) के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में लटका हुआ है। खुद डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रोग्रेसिव धड़े ने इसका पारित होना रोका हुआ है। ये धड़ा मांग कर रहा है कि पहले बाइडन की बिल्ड बैक बेटर योजना से संबंधित बिल को समर्थन देने पर पूरी पार्टी राजी हो।

इस योजना के तहत पहले 3.5 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने का प्रस्ताव था। लेकिन इसके लिए डेमोक्रेटिक पार्टी का मध्यमार्गी धड़ा तैयार नहीं हुआ। उसे संतुष्ट करने के लिए अपनी मौजूदा यूरोप यात्रा पर निकलने से पहले बाइडन ने इस पैकेज का आकार घटा कर इसे 1.75 ट्रिलियन डॉलर का कर दिया। लेकिन उससे प्रोग्रेसिव धड़ा नाखुश हो गया। उसने पिछले हफ्ते इंफ्रास्ट्रक्चर पैकेज को पारित नहीं होने दिया।

ये मुद्दा और उलझ गया। डेमोक्रेटिक पार्टी के मध्यमार्गी सीनेटर जो मेंचिन ने एक बयान जारी कर 1.75 ट्रिलियन डॉलर के पैकेज को भी ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि वे तब तक इसका समर्थन नहीं करेंगे, जब तक ये ब्योरा नहीं दिया जाता कि इस पर खर्च होने वाली रकम कहां से आएगी। अगर ये रकम कर्ज लेकर जुटाई जाएगी, तो वे उसे अपना समर्थन नहीं देंगे।

बाइडन का 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को घटाने का वादा

सीनेट में बिल्ड बैक बेटर पैकेज से जुड़े बिल के पारित होने के लिए जरूरी है कि पूरी डेमोक्रेटिक पार्टी एकजुट रहे। 100 सदस्यीय सदन में पार्टी के 50 सदस्य हैं। इसके अलावा उप-राष्ट्रपति का एक अतिरिक्त वोट उसके पास है। अगर पार्टी एकजुट रहे, तो वह इस बिल को पारित करवा सकती है। लेकिन मेंचिन के ताजा विरोध के बाद अब इसकी संभावना फिर धूमिल हो गई है। अब सारी निगाहें प्रोग्रेसिव धड़े पर हैं। लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस धड़े ने अपना रुख नरम किया, तो उससे उसकी छवि खराब होगी। साथ ही देश के प्रगतिशील जन संगठनों का विरोध उसे झेलना पड़ सकता है।

जो बाइडन वादा किया है कि अमेरिका 2030 तक अपने कार्बन उत्सर्जन को घटा कर आधा कर देगा। लेकिन जानकारों का कहना है कि इस काम के लिए 555 बिलियन डॉलर की प्रस्तावित रकम पर्याप्त नहीं है। फिर अभी यह भी तय नहीं है कि वह पारित होगी या नहीं।

इस बीच चीन ने अमेरिका की आलोचना करते हुए कहा है कि बाइडन ने जो वादे किए, उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। चीन के सरकार समर्थक अखबार ग्लोबल टाइम्स में मंगलवार को छपी एक टिप्पणी में कहा गया है कि जब तक अमेरिका में जलवायु परिवर्तन के मसले पर दोनों प्रमुख पार्टियों में आम सहमति नहीं बनती, उसके वादों का कोई महत्त्व नहीं है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि अगर अगला राष्ट्रपति रिपब्लिकन पार्टी का हुआ, तो वह एक बार फिर इन वादों से मुकर नहीं जाएगा।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *