पुवायां (शाहजहांपुर)। खुटार की पश्चिमी गढ़ी क्षेत्र कभी जनसंघ का गढ़ हुआ करता था। यहां के चौहान परिवार के कुंवर गजेंद्र रत्न बहादुर सिंह उर्फ ललुआ साहब की यह गढ़ी अब नहीं है, लेकिन राजा साहब के दौर की कहानियां आज भी लोगों की जुबान पर हैं।
ललुआ साहब खुटार में जनसंघ के संस्थापक थे। 1960 में उन्होंने जनसंघ से जुड़ने के बाद कमेटी गठित की, जिसमें डॉ. अजयपाल सिंह, रामनरायनलाल, रामराखन शर्मा, शिवदयाल, राजेंद्र सिंह, गांव अठकोना के बाजपेई, प्यारे हसन, रौतापुर के ढाकनलाल, रामेश्वर दयाल, परमेश्वरदीन, श्रीदत्त शर्मा आदि शामिल थे। 1977 में जनसंघ के बाद जनता पार्टी बनने पर ललुआ साहब ने डॉ. अजयपाल सिंह को पार्टी का प्रथम ब्लॉक अध्यक्ष और अपने पुत्र ध्रुव सिंह को महामंत्री बनाया था।
इमरजेंसी में श्रीदत्त शर्मा को जेल भेजा था और ललुआ साहब सहित उनके साथियों ने गिरफ्तारी दी थी। महारानी सिंधिया ने यहां आकर एक जनसभा को संबोधित किया था। ललुआ साहब की पत्नी रानी करौंदी वाली ने उन्हें एक अंगूठी भी भेंट की थी। इसके अलावा सुंदर सिंह भंडारी भी गढ़ी आए थे। बाद में कस्बे के गजेश सिंह को भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया।
ललुआ साहब के स्वर्गवास के बाद धीरे धीरे गढ़ी खंडहर हो गई और अब गढ़ी का नामोनिशान नहीं रही गया है। उनके परिवार के लोग भी राजनीति से दूर रहते हैं। ललुआ साहब जनसंघ की धुरी रहने के बाद भी कभी किसी चुनाव में नहीं उतरे।
फट्टे पर बैठते थे राजा साहब
राजा ललुआ साहब खुद को कार्यकर्ताओं से बड़ा नहीं समझते थे। चुनाव के दिन परिवार सहित वोट डालने के अलावा वह कार्यकर्ताओं के साथ फट्टे पर बैठकर चुनावी गतिविधियों पर नजर रखते थे। कार्यकर्ताओं के साथ वोट मांगने भी जाते थे। पीलीभीत के पूर्व सांसद शमशुल हसन खां और पूरनपुर के विधायक हरीबाबू को चुनाव लड़ाया और जिताकर राजनीतिक पकड़ साबित की। लखनऊ में पार्टी की रैली के दौरान ललुआ साहब के अनुरोध पर अटल जी ने पुवायां के कार्यकर्ताओं का नेतृत्व किया था। उस रैली में जेबां के बलवीर सिंह, जापान बाबू, राजाराम मिश्रा, श्रीदत्त शर्मा, डॉ. अजयपाल सिंह सहित तमाम कार्यकर्ता शामिल हुए थे।
दान कर दी थी 383 एकड़ जमीन
चौहान परिवार की रानी ताजकुंवरि ने विनोबा भावे के भूदान यज्ञ आंदोलन से प्रेरित होकर गांव सिमरा वीरान में 383 एकड़ जमीन दान में दे दी थी। इस भूमि पर अब राजकीय गोसदन बना हुआ है। काफी जमीन ठेके पर दे दी जाती है। इससे मिली राशि से गोसदन में गायों का संरक्षण होता है।