अयोध्या:  ब्लॉक में कंप्यूटर ऑपरेटर बने सफाई कर्मचारी नरेंद्र वर्मा का मामला पत्नी, भाई व परिवार के अन्य सदस्य के नाम धन की हेराफेरी से कम, कमीशन बाजी से ज्यादा जुड़ा है। धीरे धीरे ब्लॉकों में चल रहे कमीशन बाजी की परतें खुलीं तो अकेले पूराबाजार ही नहीं, यह खेल सारे ब्लॉकों में चलने की खबर है।
यही वजह है एडीओ पंचायत से संबंध्द एक भी कंप्यूटर ऑपरेटर सर्विस प्रदाता कंपनी का नहीं है। कहीं तकनीकी ज्ञान वाले सफाई कर्मी को कंप्यूटर ऑपरेटर की जिम्मेदारी सौंपी गई तो कहीं अधिकारियों की सिफारिश पर उनके चहेतों को।
पूराबाजार ब्लॉक का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मचा है।आनन-फानन में कार्रवाई की आड़ में इसे दबाने का भी प्रयास है जिससे सच सामने ना आ सके।
पंचायत सचिवों की माने तो ग्राम पंचायतों कि परियोजना के भुगतान के लिए 5 फीसद कमीशन जेई को एमबी करने के लिए मिलता है। अगर परियोजना दो व ढाई लाख के बीच की है तो एक फीसद उसमें एडीओ पंचायत के लिए जुड़ जाता है। ग्राम प्रधान व पंचायत सचिव का उसमे और जुड़ता है।प्रति परियोजना 500 रुपये अलग से कंप्यूटर ऑपरेटर को दिया जाता है। यही सिस्टम जिले के सभी ब्लॉकों का है।
कमीशन की धनराशि की निकासी के लिए मजदूरी व सामग्री मद में अतिरिक्त भुगतान जेई से एमबी करा कर कंप्यूटर ऑपरेटर के जरिए उन लोगों के नाम निकाला जाता है जिससे धनराशि की टोकन मनी देने के बाद वापसी मैं दिक्कत ना हो। पूराबाजार ब्लॉक का मामला उसी से जुड़ा है। इसीलिए उसे दबाने का प्रयास है। बीडीओ केडी गोस्वामी व एडीओ पंचायत अयोध्या प्रसाद मिश्र पहले से चल रही इस तरह की व्यवस्था से अज्ञानता जताते हैं।उनके अनुसार जैसे ही यह प्रकरण संज्ञान में आया तुरंत धनराशि की रिकवरी के साथ कार्रवाई के लिए जिला पंचायत राज अधिकारी को पत्र लिखा है। पूराबाजार ब्लाॅक में छह लाख की हेराफेरी का मामला पकड़ा गया है। यह धनराशि कंप्यूटर ऑपरेटर ने अपने परिवारी जनों के बैंक अकाउंट में अलग-अलग ग्राम पंचायतों के बैंक अकाउंट से ट्रांसफर की है जिसकी रिकवरी कराने की बात बीडीओ गोस्वामी करते हैं।

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