दैनिक बदायूं शिखर
विशेष संवाददाता इलियास अहमद फर्रुखाबाद
कम उम्र में पति की मृत्यु से विचलित नहीं हुईं सरिता
• टीकाकरण, परिवार नियोजन के साधन और संस्थागत प्रसव को बढ़ाने में निभाई भूमिका
आयुष्मान कार्ड बनाने में निभाई अपनी ज़िम्मेदारी
जिला स्तर से कई बार किया जा चुका है सम्मानित
लक्ष्य तय हो और इरादे मजबूत हों तो बदलाव स्वतः दिखने लगता है। कुछ ऐसा ही हुआ जनपद के कमालगंज ब्लॉक में। यहां की आशा संगिनी की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से जो बदलाव दिख रहा है उसकी चर्चा अब गांव तक नहीं बल्कि जनपद स्तर तक होने लगी है। पेश है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर यह खास रिपोर्ट…
कमालगंज ब्लॉक के गांव राजेपुर भूड़ की रहने वाली आशा संगिनी सरिता तिवारी बताती हैं कि मेरे पति की मृत्यु जनवरी 2006 में हो गई थी। उस समय मेरी उम्र लगभग 23 वर्ष की थी और मेरी बेटी की उम्र 3 वर्ष और बेटा सात माह का था। उस व्यक्त लगा जैसे मेरे ऊपर बिजली ही गिर गई होl दिन-रात यही चिंता सताने लगी कि अब बच्चों का पालन पोषण कैसे होगा। इसी चिंता में दिन रात सोचती रहती थीl ऐसे में आशा कार्यकर्ता की भर्ती के बारे में पता चला तो मैंने इस पद पर काम करने की ठानी और अपने जीवन की नई शुरुआत आशा कार्यकर्ता के रूप में 2006 से शुरू की। इस दौरान मुझे गांव के लोगों से तरह तरह की बातें सुनने को मिलती थी लेकिन मेरे माता पिता सास ससुर ने मेरे हौसले को नहीं गिरने दिया। उन्होंने मेरा हर पल साथ दिया साथ में जाकर सर्वेक्षण कराया लोगों से मिलवाया। सरिता कहती हैं उस दौरान गांव के लोग घर पर ही प्रसव कराते थे और टीकाकरण भी कराने से डरते थे मुझे उनको समझाने में लगभग एक वर्ष बीत गया लेकिन अब मेरे गांव में सभी लोग टीकाकरण कराने के साथ ही परिवार नियोजन के साधन ले रहे हैं और संस्थागत प्रसव भी कराने लगे हैं।
सरिता कहती हैं आशा संगिनी के रूप में मैंने 2017 में शुरुआत की मुझे 19 आशा कार्यकर्ताओं के साथ काम करने का मौका मिला मेरा भरसक प्रयास रहेगा कि मैं इनको इतना तैयार कर दूँ कि इनको किसी की जरुरत न पढ़े |
सरिता कहती हैं कि मुझको इन सब कार्यों की वजह से जिला स्तर पर कई बार सम्मानित किया जा चुका है l
इसी ब्लॉक के गांव नसरतपुर की रहने वाली आशा संगिनी जहांआरा का जीवन भी बढ़ा उतार चढ़ाव भरा रहा इन्होने आशा कार्यकर्ता के रूप में 2006 में कार्य करना शुरू किया तो परिवार वालों ने कई बार रोका कहा क्या दाईगीरी का काम ले लिया एक बार तो मन में आया कि इस काम को छोड दूँ लेकिन मेरे भाई ने मेरा हौसला बढाया |
जहांआरा कहती हैं कि आशा के रूप में मुझे बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ा लेकिन मैं झुकी नहीं अपने कार्य में लगी रही आज मेरे गांव के लोग कोई भी काम हो तो मुझ से पूछे बगैर नहीं करते हैं |
इस समय मेरा गांव स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में आगे चल रहा है | 2017 में मुझे आशा संगिनी का पद मिला मैं इस समय 21 आशा कार्यकर्ताओं के साथ काम कर रही हूँ | मुझे कई बार जिले से सम्मानित भी किया जा चुका है |
डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय महिला में परिवार नियोजन काउंसलर के पद पर तैनात सुनीता ने इस वित्तीय वर्ष में 210 महिलाओं को नसबंदी, 2082 महिलाओं को पीपीआईयूसीडी और 302 महिलाओं को अंतरा इंजेक्शन लगवाकर जिला स्तर से प्रथम सम्मान प्राप्त किया l
सीएचसी कायमगंज में काउंसलर के पद पर तैनात शीनू चौहान ने 102 महिला नसबंदी,1044 अंतरा इंजेक्शन और 2198 महिलाओं को प्रसव के बाद आईयूसीडी लगवाकर जिला स्तर से दूसरा स्थान प्राप्त किया l
इस संबंध में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दलवीर सिंह ने कहा कि यह इन सभी कार्यकर्ताओ की मेहनत ही है जो हम परिवार नियोजन में ही नहीं अन्य सुविधाएं भी बेहतर कर पाए हैं l
सीएचसी कमालगंज के एमओआईसी डॉ शोभित शाक्य ने कहा कि आशा संगिनी सरिता ने इस वित्तीय वर्ष में अब तक 302 महिलाओं के संस्थागत प्रसव कराए हैं। साथ ही 16 नसबंदी, 95 त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा, 40 पीपीआईयूसीडी और 10 महिलाओं के आईयूएसडी लगाई हैंl उन्होंने बताया कि 5525 आयुष्मान कार्ड बनने के लक्ष्य के सापेक्ष अभी तक 4900 कार्ड बनाए गए हैं l वहीं आशा संगिनी जहांआरा ने इस वित्तीय वर्ष में अब तक 233 संस्थागत प्रसव,18 नसबंदी, 45 अंतरा इंजेक्शन साथ ही 8919 लोगों के आयुष्मान कार्ड बनने थे। इसमें से 6138 लोगों के कार्ड बनाए जा चुके हैं l जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक रणविजय प्रताप सिंह ने बताया कि सभी पूरे मनोभाव से अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं। यह लोग जिला स्तर से कई बार सम्मानित भी किए जा चुका हैं।
हर वर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है इस दिन हम सिर्फ़ महिलाओं के अधिकारों और उत्थान की बात करते हैं l