*- श्री सर्बानंद सोनोवाल, केंद्रीय आयुष मंत्री*

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2022 के आयोजन में अब बस कुछ ही दिन बाकी हैं, लेकिन यह निश्चित है कि इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को और अधिक उत्साह, भव्यता तथा दुनिया भर के लोगों, राष्ट्रों एवं राष्ट्रीयताओं की व्यापक भागीदारी के साथ मनाया जाएगा। प्राचीन विरासत वाला शहर या महलों का शहर-मैसूर, माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सामान्य योग प्रोटोकॉल (सीवाईपी) के प्रदर्शन का गवाह बनेगा। इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की एक अनूठी विशेषता “गार्जियन रिंग” या दुनिया भर में उगते सूरज के साथ सामान्य योग प्रोटोकॉल (सीवाईपी) का प्रदर्शन है, जिसकी शुरुआत जापान से होगी और अलग-अलग देशों में सूर्योदय के साथ योगाभ्यास का प्रदर्शन किया जाएगा।

समृद्ध और सार्थक सांस्कृतिक विरासत वाली भूमि के रूप में भारत की पहचान एवं हैसियत पिछले अंतरराष्ट्रीय योग दिवसों की प्रेरक शक्तियों में से एक रही है और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2022 भी इसका अपवाद नहीं है। इस दिन देश भर में 75 ऐतिहासिक स्थानों पर योगाभ्यास का आयोजन किया जाएगा और यह बाकी दुनिया के लिए एक प्रदर्शन होगा। मुझे विश्वास है कि यह अंतरराष्ट्रीय योग दिवस देश और दुनिया के सभी क्षेत्रों से जुड़े अधिक से अधिक लोगों को योग के दायरे में शामिल करेगा।

बढ़ती हुई वैश्विक स्वीकृति ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को स्वास्थ्य एवं कल्याण से जुड़ा एक ऐसा जन आंदोलन बना दिया है जो भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है और दुनिया को स्वास्थ्य एवं कल्याण के एक नए, व्यापक रूप से परिभाषित एवं अन्वेषित अभ्यास को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

योग की बहुआयामी उपलब्धियों और उसके एक सॉफ्ट पावर बनने की यात्रा 2014 में शुरू हुई जब माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया। भारत के इस प्रस्ताव का 175 देशों ने समर्थन किया। इसके परिणामस्वरूप 21 जून 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया।

1 दिसंबर 2016 को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल होकर भारत द्वारा संजोयी गई इस सांस्कृतिक विरासत ने सार्वभौमिक स्वीकृति के एक और मील के पत्थर को पार कर लिया।

तब से, योग एक विश्वव्यापी परिघटना बन गया है और यह वाकई एक जन आंदोलन का स्वरूप ले रहा है। हर गुजरते साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन में योग की पहुंच बढ़ती देखी गई है। इस तथ्य की पुष्टि इस बात से की जा सकती है कि वर्तमान में 192 देशों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है, जोकि इसे वैश्विक कल्याण का अब तक का सबसे बड़ा आयोजन बनाता है। इसके अलावा, विदेशों में भारतीय मिशन और पोस्ट के माध्यम से 170 से अधिक देशों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दौरान दो गिनीज विश्व कीर्तिमान बनाए गए- सबसे अधिक संख्या में भाग लेने वाली राष्ट्रीयताएं (84 राष्ट्र) और एक ही स्थान पर एवं एक ही कार्यक्रम में सबसे अधिक भागीदारी (35,985 लोग)। 14 जनवरी 2022 को मकर संक्रांति के अवसर पर दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोगों ने सूर्य नमस्कार किया। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2021 के दौरान लगभग 15 करोड़ लोगों ने इसमें भाग लिया और इस वर्ष इस संख्या का बढ़ना निश्चित है।

भारत सरकार इस जन आंदोलन को गति देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने योग के प्रचार एवं विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए दो पुरस्कारों (एक अंतरराष्ट्रीय और दूसरा राष्ट्रीय) की घोषणा की। योगासन को प्रतिस्पर्धी खेल भी घोषित किया गया है। इस कदम ने योग की प्राचीन परिपाटी को और आगे प्रोत्साहित किया है तथा इसके लाभों के बारे में जागरूकता फैलाई है। इन सभी प्रयासों ने सामूहिक रूप से इस देश की जनता के समक्ष एक स्वस्थ जीवन शैली के लिए योग को अपनाने और इस प्रकार एक स्वस्थ राष्ट्र बनने के लिए एक माहौल तैयार किया है।

इस प्राचीन परंपरा के आधुनिक लाभों को जानने के लिए, सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन योग एंड नेचुरोपैथी (सीसीआरवाईएन) ने 0.79 से 13.03 तक के प्रभाव कारक के साथ पब्मेड इंडेक्स जर्नल में 113 शोध प्रकाशित किए हैं।

शोध संबंधी रुझानों को देखने से यह स्पष्ट होता है कि 2014 यानी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के पूर्व के रुझानों की तुलना में अब स्पष्ट रूप से काफी बदलाव आया है। 2014 से पहले और 2015 के बाद किए गए औसत प्रकाशनों और नैदानिक परीक्षणों के आधार पर- योग से संबंधित नैदानिक परीक्षणों की संख्या में लगभग 6 गुना वृद्धि हुई है और शोध के औसत वार्षिक प्रकाशन में लगभग 11 गुना वृद्धि हुई है। ये दो प्रमुख रुझान, जोकि अकादमिक रूप से किसी विधा की गहराई को समझने के लिए उपयोग किए जाते हैं, स्पष्ट रूप से इस तथ्य को रेखांकित करते हैं कि चिकित्सा से जुड़े पेशेवरों और योग विशेषज्ञों की बढ़ती संख्या ने योग के अभ्यास एवं इसे अपनाने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने के लिए इसके अध्ययन पर दोबारा से अपना ध्यान और प्रयास बढ़ाया है।

मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) ने सामान्य योग प्रोटोकॉल विकसित किया, जिससे दुनिया भर में सभी के लिए योग के आसान एवं मानक अभ्यास उपलब्ध हो गए। यही सामान्य योग प्रोटोकॉल वास्तव में प्रत्येक वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दौरान किए जाने वाले प्रदर्शन के आधार हैं।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की खूबियों को प्रौद्योगिकी के साथ जोड़कर योग की पहुंच को और अधिक मजबूत किया गया है। इसमें नमस्ते योग, वाई-ब्रेक, डब्ल्यूएचओ एम योग जैसे मोबाइल आधारित एप्लिकेशन शामिल हैं। पांच मिनट के योग प्रोटोकॉल को वाई-ब्रेक एप्लिकेशन में शामिल किया गया है और इसे काम करने वाले पेशेवरों के लिए विशेष रूप से कार्यस्थलों पर होने वाले तनाव को दूर करने, तरोताजा होने और अपने काम पर फिर से ध्यान केंद्रित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह कदम कल्याण के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के एकीकरण का एक श्रेष्ठ उदाहरण है।

दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की बढ़ती स्वीकार्यता के परिणामस्वरूप भारत को एक और फायदा हुआ है। योग आधारित पर्यटन बढ़ रहा है और ऋषिकेश, बेंगलुरु तथा मैसूर आदि जैसे भारत के शहरों को अब दुनिया के योग के केन्द्र के रूप में जाना जाता है। इससे चिकित्सीय महत्व वाली यात्रा से जुड़े लाभों को कई गुना बढ़ाने के अवसर में बढ़ोतरी हुई है। यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि एक चिकित्सा के रूप में योग पुराने दर्द, मनोवैज्ञानिक समस्याओं, मनोदशा संबंधी विकारों और कैंसर, मधुमेह एवं हृदय रोगों जैसी पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं के प्रबंधन में अत्यधिक फायदेमंद है।

दुनिया भर में योग की अपार लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि भारत के पहले योग विश्वविद्यालय, लकुलिश योग विश्वविद्यालय में नामांकन कराने वालों की संख्या में तीन गुना वृद्धि देखी गई है। सामान्य योग प्रोटोकॉल के बारे में 1000 से अधिक विश्वविद्यालयों, 30,000 कॉलेजों और सीबीएसई से संबद्ध 24000 स्कूलों को अवगत कराया गया है। लगभग 1.25 लाख स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्रों (एचडब्ल्यूसीए) को समग्र स्वास्थ्य के संबंध में शिक्षा प्रदान करने का दायित्व सौंपा गया है। छात्रों में एकता की भावना पैदा करने के लिए स्कूलों में राष्ट्रीय योग ओलंपियाड की शुरुआत की गई है। धीरे-धीरे लेकिन निरंतर तरीके से योग आज करियर के एक बेहतरीन विकल्प के रूप में उभर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की एक और उल्लेखनीय उपलब्धि जीवन के सभी क्षेत्रों और वर्ग से जुड़े लोगों को योग के दायरे में शामिल करना है। पिछले अंतरराष्ट्रीय योग दिवसों के दौरान कई दिव्यांग लोगों को योग करते देखा गया। स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं योग की ओर रुख कर रही हैं। सबसे ठंडे और सबसे ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों में, देश के सुदूर इलाकों में, सबसे व्यस्त बाजार एवं कार्यस्थलों आदि में योग किया जा रहा है। महामारी के दौरान, लाखों स्वास्थ्य की देखभाल करने वाले कर्मचारियों और कोविड -19 के रोगियों ने तेजी से स्वस्थ होने के लिए योगासन, प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास किया।

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