आत्मसम्मान बचाना है एक मंच पर आना

लखनऊ । सम्मान सबका करो पर विश्वास केवल उसका करना जो प्रमाणीकता की कसौटी पर अनेक बार परखे गए .क्षत्रिय जाति नही धर्म कर्म है हिन्दू धर्म अनुसार चार वर्ण थे क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य, शुद्र : सैकड़ों जातिया किसने बनाई क्यो .हमारा इतिहास गवाह लोकतंत्र मे जनता का ही शासन चलना चाहिए शासन जनता के लिए होना चाहिए जनता का काम मत देना नही बल्कि हमारे दवारा चुनी गई सरकार को आवश्यकता अनुसार जगाने आंख खोलने सुझावों को देने अपने हक की बात रखना चाहिए .राघवेन्द्र सिह राजू ने कहा कि आगामी नवंबर मे राष्ट्रीय प्रबंध कार्यकारणी बैठक होगी .जिन हमारे राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने पद लेकर काम नही किया बिजटिंग कार्ड छपाए काम नही करना तो स्वयम हट जाय नही तो दायित्व निभाना पडेगा नोटिस जाने के बाद भी .सहयोग सहायता राशि अभियान सदस्यता शुल्‍क का प्रत्येक प्रदेशों से राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष हिसाब लेंगे देने को तैयार रहे हम .पूरे देश के सभी सक्रिय राजपूताना संगठनो को एक मंच पर लाना चाहते स्वयम वार्ता एक दर्जन लोगों से कर चुका हू . .कुर्सी पाने चोला का रंग बदलने वालो पदाधिकारियों को सब जानते पहिचानते मानते नही .राष्ट्रीय कार्यकारिणी का चुनाव खुला 2022 मे सार्वजनिक होगा .कोई मनोनयन के आधार पर संगठन मे पदाधिकारी नही बनाया जाऐगा तय किया अब यह मांग लगातार ऊठ रही युवा व वीरांगना महासभा संगठन की भी स्वतंत्र ईकाइ है प्रदेश अध्यक्षो सहित कोई हस्तक्षेप इन संगठनो के विस्तार मे विसंगतियों को दूर करने का दे .व इन इकाइयों को मजबूत बनाए .इसलिए 2019 से हर प्रदेश के प्रभारियो को हटाया गया है हम संगठन मे संगठित नही कर पदाधिकारियों को आपस मे लडाते झगडते रहते आप प्रदेश अध्यक्षो को खुलकर काम करने दे राष्ट्रीय पदाधिकारियों को अपने काम का व्यौरा दिसम्बर 2021 तक केन्द्रीय जनसमर्क कार्यालय को दे लखनऊ मे .राम नवमी दशहरा पर शुभकामनाएं देकर राघवेन्द्र जी ने चर्चा मे कहा कल 5 दीपक हर क्षत्रियों के घर जले समाज की उन्नति हो

क्या आपको क्या लगता है अब देश में, रोजगार, शिक्षा, विकास, अर्थव्यवस्था की बात होगी? नहीं कुर्सी पाने की जंग

ढेरों गैरजरूरी मसाला और मसले है .

राष्ट्रीय प्रदेश पदाधिकारियों के बीच : यह भी चर्चा होना है कि हम

क्षत्रियों हिन्दू धर्म को मानने वाले जाने

जाते हिन्दू धर्म में हमेशा आचरण के सख्त नियम हैं जिनका हर धर्म को मानने वाले अनुयायी को प्रतिदिन जीवन में अपने पालन करना ही चाहिए हमेशा आप

सकारात्मक भाव रखना चाहिए ।

मन, वचन और कर्म से सत्यनिष्ठ रहना,व किसी काे दिए हुए हर वचनाे निभाना

सदा सत्य बोलने से व्यक्ति की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता हमेशा कायम रहती है। सत्य बोलने से व्यक्ति को आत्मिक बल प्राप्त होता है जिससे आत्मविश्वास भी बढ़ता है ,सत्य को किसी शपथ की जरूरत नहीं है ।

यह भी जरूरी है कि हम दूसरों के प्रति धैर्य एवं करुणा से पेश आएं एवं उन्हें समझने की कोशिश करें। परिवार एवं बच्चों, पड़ोसी एवं सहकर्मियों के प्रति हमेशा ही सहनशील रखे , क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति किसी परिस्थितिवश व्यवहार करता है।

स्थिरता, चरित्र की दृढ़ता एवं ताकत। जीवन में जो भी क्षेत्र हम चुनते हैं, उसमें उन्नति एवं विकास के लिए यह जरूरी है कि निरंतर कोशिश करते रहें एवं स्थिर रहें। जीवन में लक्ष्य होना जरूरी है तभी स्थिरता आती है। लक्ष्यहिन व्यक्ति अपना जीवन खो देता है। हमारे जीवन मे

चरित्र की दृढ़ता से शरीर और मन में स्थिरता आती है। सभी तरह से दृढ़ व्यक्ति लक्ष्य को भेदने में हमेशा ही सक्षम रहता है। इस स्थिरता से जीवन के सभी संकटों को दूर किया जा सकता है। यही सफलता का रहस्य है। जीवन में यह जरूर ध्यान रखें कि कोई छल कपट नहीं ,हमेशा

दूसरों को नहीं छलना ही हमारी सरलता है। अपने प्रति एवं दूसरों के प्रति ईमानदारी से पेश आना

निरंतर रामायण , वेद, उपनिषद या गीता का अध्ययन व वेद का सार उपनिषद यह ज्ञान देता है ,पढ़ने के बाद हमें आत्ममंथन करना ही चाहिए ये सच है कि आवाज ऊँची हो तो कुछ लोग सुनते है,

मगर बात ऊँची हो तो बहुत सारे लोग सुनते है !!

सिर्फ दौलत का होना जरुरी नहीं,

ज़िंदगी में सुकून का होना भी जरुरी है !

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