बदायूँ : उझानी मे मेरे राम सेवा आश्रम पर एक माह तक चलने वाली श्री राम कथा महोत्सव चोहदवें दिन रवि जी समदर्शी महाराज ने कहा कहा राजा दशरथ अपने चारों पुत्रों को लेकर गुरुदेव वशिष्ठ जी के आश्रम आए और गुरुदेव को सौंप दिया

जिनके कंठ में वेद रहते हैं जिनके रोम रोम से सारे पुरानो की ध्वनि गूंजार करती है, वे मेरे राम चारों भाइयों के साथ सारे जगत को गुरु महिमा समझने के लिए लीला बस थोड़े ही समय में समस्त विद्या प्राप्त कर घर आए और जो गुरुदेव से सीखा है उसी के अंतर्गत गोस्वामी जी कहते हैं

प्रात काल उठी के रघुनाथ l मात पिता गुरु नावही माता ll

खुद मेरे प्रभु खुद अपने आचरण व्यवहार से हम सबको संस्कार सिखाते हैं सबसे पहले मां के चरणों में माथा रखकर फिर पिता के चरणों में माता रख के प्रणाम करते हैं और गुरुदेव को पुष्प ले जाकर गुरुदेव के चरणों में माथा रखकर पुष्प प्रदान कर आशीर्वाद प्राप्त करते आज शिक्षा से अधिक संस्कार की आवश्यकता है बालकों में अगर हमारे बच्चे संस्कार सीख रहे होते तो वृद्ध आश्रम की आवश्यकता नहीं थी ना ही अनाथ आश्रम की आवश्यकता है जितने संस्कार कम होते जा रहे हैं उतने ही ऐसे आश्रम बढ़ते जा रहे हैं जो दुख की बात है जिन बच्चों के आचरण व्यवहार से माता-पिता माता-पिता को कष्ट पहुंचे दुख मिले आंसू मिले वे बालक चाहे कितना भी जल चढ़ा लें कितनी भी परिक्रमा कर ले कितने भी तीर्थ घूमने लेकिन उन्हें सुख शांति कभी नहीं मिल सकती सारे तीर्थ अनुष्ठान जब तक साधना पूजा माता-पिता और गुरु के चरणों में निवास करती है इसलिए माता-पिता को प्रथम भगवान मानकर हम सेवा करें

अब मेरे राम जी अब थोड़े बड़े हो गए माताएं शरीर देखकर बहुत प्रसन्न होती गोस्वामी जी कथा को आगे बढ़ते हुए कहते हैं अभी तक मैं बालपन का चरित्र कहा अब आगे की कथा कहता हूं ध्यानपूर्वक सुनो

सारा सारा संसार जिन पर विश्वास करता है जो जन-जन के मित्र हैं जिनका जीवन केवल राम दर्शन के कारण अधूरा लगता है ऐसे विश्वामित्र जिनके पिताजी का नाम गाधि है।

विश्वामित्र जी के मस्तिष्क में चिंता जागी पूरा जीवन निकल गया पर भगवान का दर्शन नहीं हुआ लगता है जीवन में जब तक रक्षा रहेंगे तब तक भगवान दर्शन नहीं देंगे जब तक काम क्रोध लोग मुंह अहंकार जीवन में है तब तक प्रभु मिलन मिलन संभव नहीं इसी चिंता से नेत्र बंद करके जब ध्यान किया तब पाया भगवान का पृथ्वी पर जन्म हो गया है और तुरंत उठ और भगवान से मिलने की चल दिए अयोध्या पहुंचे राजा दशरथ के दरवाजे पर समाचार भेजो आज विश्वामित्र याचक बनकर पहुंचे राजा दशरथ ने दंडवत प्रणाम किया अपने आसन पर बैठाया और हाथ जोड़कर पूछने लगे महाराज आप बुरा ना माने वैसे तो आप कहीं जाते नहीं है आप अकारण कहीं जा भी नहीं सकते आदेश करें क्या आगया है दास के लिए आपके कहने में विलंब होगी लेकिन मेरे करने में कोई देरी नहीं हो के ही कारण आगमन तुम्हारा विश्वामित्र की फूट-फूट कर रोने लगे किसी ने कल्पना भी नहीं की थी विश्वामित्र जी का तीनो लोक में क्षत्रियत्व का डंका बजता था वाले बैरी ब्रह्मर्षि की अच्छी तरसा देखकर राजा दशरथ घबरा गए हांथ जोड़कर खड़े हो गए बोले मेरा कोई अपराध हो गया क्या l

वशिष्ठ जी बोले राजन आपने हम ऋषियों की कभी चिंता नहीं की विश्वामित्र राजा के चरणों में गिर पड़े राजन मैं आपसे भीख मांगने आया हूं असुर समूह सहित मुझे परेशान करते हैं यज्ञ नहीं करने देते इसलिए लक्ष्मण सहित मुझे राघव को दे दो भीख मांगने लगे मैं सनथ हो जाऊंगा उन्हें प्राप्त करके राजन कांपने लगे बोले रिसीवर ब्रह्म देव तुमने सोच समझकर नहीं मांगा मेरी सेवा ले जाओ सेनापति दे दूं फिर भी मैं भी आ सकता चौथे पान में जैसे तैसे मैं अपने राम को प्राप्त किया है अपने बालकों को प्राप्त किया है हे ब्राह्मण अपने विचार कर नहीं मांगा वैसे मुझे चारों बेटे बहुत प्रिय हैं लेकिन राम तो मेरे प्राण तो विश्वामित्र ने कहा राजन यह बेटे आपके नहीं है यह बेटे यज्ञ के हैं इसलिए दो अपने पास रखो दो मुझे दे दो राजन किसी कीमत पर तैयार नहीं थे तब वशिष्ठ जी खड़े हुए उन्हें लगा कहीं विश्व में किसी श्राप न दे दे वशिष्ठ जी बोले राजन दो वाला विश्वामित्र जी को दे दो दो अपने पास रखो यज्ञ संस्कृति खतरे में है उसे पर संकट आया हुआ है अगर आपने ऐसा नहीं किया तो भविष्य में यज्ञ से कैसे प्राप्त होगा कुछ राजा ने विश्वामित्र को दोनों बेटी सौंप दिए सर अधिकार दे दिया तुम मुन्नी पिता ऑन नहीं हो दोनों बालकों को प्रकार जैसे विश्वामित्र ने निधि नहीं महानिधि प्राप्त कर ली बहुत आनंदित हैं प्रफुल्लित हैं प्रश्नचित हैं आज कथा में यजमान के रूप में पवन चौहान परिवार सहित रहे रंजीत भारद्वाज ने पूजा पाठ कराया और कथा में शीतल राणा कुशल प्रताप विकास चौहान विकास चौहान अलंकार सोलंकी विष्णु गुप्ता अंजू चौहान शैलेश शर्मा गिरीश पाल सिसोदिया,सौरभ राजावत, संजीव सक्सेना,राज साहू अमर साहू,संजय साहू लक्ष्मी गुप्ता अजय कुमार गुड्डी गुप्ता लोकेंद्र,गजेंद्र पंत,कौशल सोलंकी,प्रतिभा चंदेल सुरभि चंदेल प्रियंका सोलंकी कमलेश मिश्रा कामिनी तिवारी मोना चौधरी राखी साहू भगवान स्वरूप दीपेश सत्यम उम्मेद सिंह छोटू, दयाशंकर शशांक शशांक अंकित सौरव आदि सैकड़ों राम भक्तों ने कथा सुन कर प्रसाद प्राप्त किया।

 

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