कालपी जालौन :

चर्चा का विषय:टूटी साइकिल भी न थी जिन्हें नसीब, आज प्रधान बनते ही आलीशान बंगला और लग्जरी वाहनों के स्वामी बन गए हैं

जिलाधिकारी/ मुख्य विकास अधिकारी यदि जरा सी भी गंभीरता दिखा जाए तो पर्त दर पर्त खुल सकते हैं अनचाहे रहस्य

प्रधानों के इशारे पर या हरेलाल कागजों के दबाव में दबे हुए हैं स्थानीय विकास अधिकारी

ग्राम प्रधानों / सचिवों के द्वारा खेले जा रहे अनोखे खेल का एक भारी पुलंदा मुख्यमंत्री को सौंपे जाने की भी है खबर

कालपी/जालौन बुंदेलखंड का प्रवेश द्वार कस्बा कालपी जिसके गर्भ में कई कहानियां छिपी हुई है कभी अच्छे कार्यों में तो कभी नकारात्मक ऊर्जा की तरफ बढ़े युवाओं के चलते विकृतियों को लेकर हमेशा चर्चा में रहता चला आया है यह कालपी क्षेत्र!आपको बताते चलें कि एक दौर था जब यहां के लोगों ने विभिन्न क्षेत्रों में नाम रोशन भी किया तो कभी यहां के नौजवान जब नकारात्मकता की ओर बढ़े तो उन्होंने एटीएम हैकिंग कर करके लाखों के बारे न्यारे किए क्या है एटीएम हैकिंग किस तरह करते हैं युवा यदि पुलिस सूत्रों की या इस पेशे से जुड़े या फिर इसका शिकार हुए लोगों की मानें तो क्षेत्र के बेरोजगार युवक जल्दी लखपति बनने के चक्कर में इस में पड़ गए बताते हैं कि लोगों के नए नए खाते खुलवाए जाते हैं फिर उनसे एटीएम ले लेते हैं फिर उन खातों में खुद पैसा डालते हैं और निकालते हैं मगर खाताधारक को मात्र 20 फ़ीसदी निकासी का दिया जाता था और यह सब करने वाला ऐसे खाताधारकों को 20 फीसद ही देता कैसे था सूत्रों की माने तो जो पैसा निकालता जमा करता था किसी तकनीक के जरिए पैसा निकाल तो लेता था परंतु न निकलने की शिकायत बैंक के उच्चाधिकारियों को करके पुन: पैसा प्राप्त कर लेते थे यानी कि यह सीधे-सीधे बैंकों के साथ ठगी किया करते थे जब यह ज्यादा बढ़ा तो पुलिस और बैंकिंग के अधिकारी अलर्ट हुए एटीएम परिसर में कैमरे लगे फोटो निकाली गई इस गोरखधंधे में शामिल लोग पकड़े गए और कई एक कस्बाई इलाका और ग्रामीण क्षेत्र के समीपवर्ती गांव पुलिस की रडार में आज भी रहते हैं फिलहाल पुलिस की कार्यवाही के आगे इन शरारती तत्वों को नतमस्तक होना ही पड़ा जिसके चलते अभी कुछ दिनों से इस मामले की सुगबुगाहट में शांति नजर आ रही है परंतु यह क्या यदि इस तरह के काम में कमी आई तो ठीक इसी पैटर्न में कुछ ग्राम प्रधान आ गए यदि आपको समझ में न आया हो तो बता ही दें कि ग्रामों में बहुत से ऐसे जॉब कार्ड धारक हैं जो वास्तव में यहां है ही नहीं तो वह काम क्या करेंगे और बहुत से ऐसे जॉब कार्ड धारक हैं जो प्रधानों या उनके शुभचिंतकों के घरों का या फिर खेती का काम निपटाते हैं और भुगतान नरेगा से कराया जाता है अब नरेगा से भुगतान क्यों ऐसा इसलिए कि जो कार्य नरेगा से होना होता है वह ज्यादातर कार्य मशीन से या ट्रैक्टर से होता है अब बाद में जॉब कार्ड भरकर पैसा निकाला जाता है तो यह एटीएम पैटर्न पर क्यों आया क्योंकि जिस तरह से एटीएम हैकर एटीएम कार्ड ले लेते थे और 20 फीसद देते थे उसी प्रकार ग्राम के वे जॉब कार्ड धारक जो गांव से अन्यत्र दूर देश में मेहनत मजदूरी करते हैं उनके जॉब कार्ड नंबर यही रहते हैं पैसा केवल उनके खाते में जाता है और पैसे का 20 फीसद केवल उस जॉब कार्ड धारक को बाकी देने वाले महारथी लेकर बंदरबांट कर डालते हैं हालांकि जॉब कार्ड धारकों से तो ऊपर तक बांटने की बात कही जाती है परंतु जॉब कार्ड धारक यदि शोर-शराबा भी करता है तो उसे भविष्य में पैसा न देने की और आगे कुछ लाभ न देने की बात कहकर डरा धमका दिया जाता है अब ऐसे में जब बिना किए का 20 फीसद मिलता दिखाई पड़ता है तो वह भी शांत बैठ जाता है महत्वपूर्ण बात तो यह है कि जो सरकार द्वारा यह योजनाएं जनहित में चलाई जा रही हैं आखिर उनमें इस तरह पलीता कब तक लगाया जाता रहेगा यह सोचनीय पहलू है अब तो बात समझ में आ ही गई होगी कि जब एक जॉब कार्ड में 80 फीसद गोलमाल होगा तो फिर आखिर क्यों न वे लोग आलीशान कोठी और लग्जरी वाहनों से चलने लगेंगे जो कल तक टूटी साइकिल से भी चलने के काबिल न थे जनहित में जिलाधिकारी/ मुख्य विकास अधिकारी से मांग है कि विंदू बार तरीके से कच्चे पक्के निर्माण की जांच कराएं जॉब कार्ड धारकों के भुगतान कार्य की शुरुआत कब से हुई और कार्य का समापन कब हुआ और कभी-कभी उन कामों का भी औचक निरीक्षण करें जहां ज्यादातर विकास की गति धीमी है और उस ऐसे गावों की भी जिन गांवों ने विकास की तेज रफ्तार पकड़ी है क्योंकि इनका एक तगड़ा सिंडीकेट है जिसे भेद पाना कोई आसान काम नहीं है फिलहाल हो कुछ भी सूत्रों की मानें तो कुछ एक ग्राम पंचायतों में चल रही गड़बड़ियों का पुलिंदा एकत्रित करके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को स्थानीय स्तर की जानकारी क्षेत्रीय प्रबुद्ध लोगों ने भेजकर भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी कुछ एक ग्राम पंचायतों की असली हकीकत से रू- ब- रू कराने का प्रयास किया गया है।

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