30 जनवरी को पूरे विश्व में मनाया जायेगा तीसरा विश्व एनटीडी दिवस

लखनऊ : प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को पूरे विश्व में एनटीडी दिवस मनाया जाता है । इस दिन को मनाने का अभिप्राय यह है कि विश्व के सारे लोग एनटीडी (नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीजेज़) के उन्मूलन के प्रति पूरी प्रतिबद्धता से जनांदोलन के रूप में कार्य करें । एनटीडी दिवस, वर्ष  2012 में लंदन की ऐतिहासिक घोषणा की वर्षगांठ को चिह्नित करता है, जो कि एनटीडी पर अधिक निवेश और कार्रवाई के लिए और अधिक सक्रिय रूप से कार्य  करने के लिए क्षेत्रों, देशों और समुदायों की  भागीदारों को एकीकृत करता है। वर्ष 2020 में विश्व को इन बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए पहली बार विश्व एनटीडी दिवस मनाया गया था ।

एनटीडी जीवन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले रोगों का एक समूह है, जो अधिकतर सबसे गरीब, सबसे कमजोर आबादी को प्रभावित करता है। एनटीडी में लिम्फैटिक फाइलेरिया (हाथीपांव) विसेरल लीशमैनियासिस (कालाजार), लेप्रोसी (कुष्ठरोग), डेंगू, चिकुनगुनिया, सर्पदंश, रेबीज़ जैसे रोग शामिल होते हैं, जिनकी रोकथाम संभव है; मगर फिर भी पूरी दुनिया में हर साल  बहुत सारे लोग इन रोगों से प्रभावित हो जाते हैं । भारत में भी हर साल हजारों लोग एनटीडी रोगों से संक्रमित हो जाने के कारण  जीवन भर असहनीय पीड़ा सहते हैं और विकलांग भी हो जाते हैं, जिसके कारण वे अपनी आजीविका कमाने में भी अक्षम भी हो जाते हैं और उनकी  आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो जाती है ।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार विश्व में हर 5 में से 1 व्यक्ति एनटीडी से ग्रसित हैं। यह गंभीर रोग हैं जो हर जगह, हर किसी की शिक्षा, पोषण और आर्थिक विकास पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। इनके उन्मूलन के कार्यक्रमों को प्राथमिकता देने से आर्थिक विकास, समृद्धि एवं लैंगिक समानता को भी बढ़ावा मिलेगा। विश्व में लगभग 1.7 अरब लोगों को प्रभावित करने वाली ये बीमारियां हर साल होने वाली हज़ारों मौतों  का कारक भी हैं,  जिनको रोका जा सकता था। भारत दुनिया भर में प्रत्येक प्रमुख एनटीडी से ग्रस्त जनसंख्या के दृष्टिकोण से पहले स्थान पर है।

उत्तर प्रदेश के वेक्टर जनित रोग कार्यक्रम अधिकारी डॉ. वी.पी. सिंह ने बताया कि भारत सरकार के दिशा-निर्देश और प्रतिबद्धता के अनुसार राज्य में  एनटीडी के पूर्ण उन्मूलन के लिए राज्य स्तर से ग्राम स्तर तक सभी संभव प्रयास किये जा रहे हैं । उन्होंने जानकारी दी कि प्रदेश में वर्ष 2020-2021 के आंकड़ों के अनुसार हाइड्रोसील के लगभग 28, 000  मरीज़ और लिम्फेडेमा के लगभग 84, 000 मरीज़ हैं ।

उन्होंने कहा कि अंतर विभागीय समन्वय बनाकर और  बेहतर स्वास्थ्य सेवाओ की दूर-दराज इलाकों तक पहुंच सुनिश्चित कर राज्य को  एनटीडी से पूर्ण रूप से मुक्त करने के हर संभव प्रयास किये जा रहें हैं ।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य प्रतिनिधि डॉ तनुज शर्मा ने कहा कि एनटीडी रोगों को नेग्लेक्टेड यानि उपेक्षित समझा जाता है मगर अब इन पर स्पॉटलाइट लाने का समय है ताकि इन मुद्दों पर और अधिक ध्यान ध्यान दिया जाए और इस सम्बन्ध में मिशन मोड पर कार्रवाई की जाए । विश्व एनटीडी दिवस के अवसर पर एनटीडी के पूर्ण उन्मूलन के लिए सामुदायिक सहभागिता से कार्य किया जाये ताकि एक स्वस्थ समाज और देश का निर्माण हो सके।

 

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