लखनऊ, एजेंसी । सुहाग की कामना का करवा चौथ व्रत 24 अक्टूबर को है। इसे लेकर तैयारियां दिखने लगी हैं। करवे के साथ ही सुहाग के सामानों की खरीदारी भी शुरू हो चुकी है। चतुर्थी तिथि की शुरुआत 24 अक्टूबर सुबह 3:01 बजे और समापन 25 अक्टूबर को 5:14 बजे होगा। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि पूजन का शुभ मुहूर्त 24 को शाम 5:30 बजे से 6:46 बजे तक है। चंद्रोदय शाम 7:56 बजे होगा। इस बार करवा चौथ पर शुभ संयोग बन रहा है। चंद्रोदय के बाद 10 से 20 मिनट के बाद चांद का दीदार सुहागिन कर पाएंगी। इसके अलावा इस बार चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में उदित होगा।

रोहिणी नक्षत्र बेहद ही शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा है। माना जाता है कि इस नक्षत्र में चंद्रमा दर्शन करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। यह शुभ संयोग सुहागिनों के लिए शुभ फलदायी होगा। इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां पति के स्वास्थ आयु एवं मंगल कामना के लिए व्रत करती है यह व्रत सौभाग्य देता है। सुबह सुहागिनाें को स्नान के साथ निर्जला व्रत रखना चाहिए। व्रत में शिव-पार्वती, कार्तिकेय, श्रीगणेश तथा चंद्रमा का पूजन करने का विधान है। चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव के दर्शन कर अर्ध्य देना चाहिए। सुहागिन राशि के अनुसार साड़ी और फूल का रंग चयन करके पूजन करें तो विशेष कृपा मिलती है। चौक के सिद्धार्थ जैन ने बताया कि हर रेंज के आकर्षक करवे बनवाए गए हैं। सोने के पालिश वाले चांदी के करवे भी मौजूद हैं। आलमबाग के रामकुमार वर्मा ने बताया कि महिलाओं के लिए श्रृंगार का सामान भी बनाया गया है। कम रेंज में आकर्षक आभूषण महिलाओं को रास आएंगे। चूरा, लावा के साथ ही खिलौने भी बाजार में मौजूद हैं।

एक घड़ी के भीतर पूजन करना श्रेयस्करः 

आचार्य शक्तिधर पांडेय ने बताया कि चंद्रोदय के एक घड़ी (24 मिनट) के भीतर पूजन करना उत्तम रहेगा। उन्होंने बताया पहली बार व्रत रखने वाली महिलाएं बड़ों सानिध्य में पूजन करें। पौराणिक ग्रंथों के साथ ही सामाजिक मान्यताएं हमे अपने धर्म के प्रति धर्मनिष्ठ बनाती हैं। इसी मंशा के चलते हम हर त्योहार को अपने ढंग से मनाने में आगे रहते हैं। आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि करवाचौथ के व्रत में शिव पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ के दिन शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास या सास की उम्र के समान किसी सुहागिन के पैर छूकर सुहाग की सामग्री भेंट करना उत्तम होता है।

धातु व मिट्टी के करवेः 

आचार्य अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि मान्यता है कि धातु से बने करवे से चौथ का पूजन करना फलदायी होता है, लेकिन यथा शक्ति मिट्टी के करवे से पूजन भी किया जा सकता है। मान्यता है कि इस दिन के बाद से ही ठंड शुरू हो जाती है। करवे की टोटी से ही जाड़ा निकलता है और धीरे-धीरे वातावरण में ठंड का एहसास बढ़ जाता है।

महिलाएं राशि अनुसार साड़ी पहनें, चढ़ाएं फूल

मेष- गहरे लाल रंग की साड़ी, लाल गुलाब से करें पूजन।

वृष- पीली साड़ी संग पीले और सफ़ेद फूल से करें पूजन ।

मिथुन- प्लेन साड़ी, कुमकुम चढ़ाएं।

कर्क – गुलाबी रंग की साड़ी से पूजन करें, चावल चढ़ाएं।

सिंह- लाल साड़ी और गुलाब के साथ पूजन करें।

कन्या – सफ़ेद कढ़ाई वाली गुलाबी अथवा पीली साड़ी और सफ़ेद गुलाब अर्पित करें।

तुला – हरी धारियों वाली साड़ी धारण करें और पत्ती युक्त फूल से पूजा-अर्चना करें।

वृश्चिक -हरी साड़ी, हरा पुष्प अर्पित करें।

धनु – हल्की पीली साड़ी धारण कर पीला गेंदा चढ़ाएं।

मकर – कत्थई रंग का वस्त्र, उसी रंग के गेंदे के फूल से करें पूजन।

कुंभ – मेहरून रंग की साड़ी और नीले रंग का कमल चढ़ाएं।

मीन – पीली साड़ी धारण करें व पीला या गुलाबी फूल से पूजन करें।

 

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