*कांवड वाली बग्घी बनी आकर्षण का केंद्र*

संवाद सूत्र, मिरहची: कलियुगी सपूत अपने बुजुर्ग दंपत्ति को बग्घी में बिठाकर कांवड़ के रूप में जल भरवाकर लाने की इच्छा पूरी कर रहे हैं। जिसमें बुजुर्गों के बच्चे घोड़े की जगह स्वयं लगकर बग्घी को चलाकर ले जा रहे हैं। उपरोक्त बग्घी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

 

जहाँ एक ओर इस घोर कलियुग में बच्चे बड़े होकर अपने बुजुर्गों को रोटी खिलाना भी नहीं चाहते और तो और बात बात पर बुजुर्गों का अपमान करने में स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं, ऐसे समय में सपूतों के क्रियाकलापों से हम सभी को सीख लेनी चाहिये। शनिवार शाम कस्बा के चौराहे से होकर एक बग्घी निकली जिसमें एक बुजुर्ग दंपत्ति को उनके बच्चे बग्घी में बिठाकर घोड़ों के स्थान पर स्वयं लगकर बग्घी को ले जा रहे थे। पूछने पर बुजुर्ग दंपत्ति ने अपना नाम श्यामबिहारी लाल यादव और पत्नी का नाम कुब्जा देवी बताया। उन्होंने बताया कि उनको वृद्धावस्था में कांवड़ लाने की मन में आई और उन्होने अपनी इच्छा अपने बच्चों को बताई। बच्चों ने बताया कि उन्होंने अपने बुजुर्ग माता पिता की इच्छा के बारे में भाइयों से चर्चा की। जिसमें भाइयों ने एकराय होकर अपने माता पिता को कछला गंगाघाट से गंगाजल भरकर बग्घी में बिठाने की हामी भरी। सभी चारों भाई मनोज, सुदामा, के.पी. सिंह व पुष्पेंद्र जनपद फीरोजाबाद के गांव गुदाऊ से अपने माता पिता को लहरा गंगाघाट लेकर आये और वहां से गंगाजल भरकर अपने माता पिता को बग्घी में बिठाकर लेकर गये। उपरोक्त कांवड बग्घी जहां से होकर गुजरी वहां के लोगों ने कलियुग में भी माता पिता की सेवा करने वाले श्रवण रूपी पुत्रों की भूरि भूरि प्रशंसा की।

फोटो कैप्सन– लहरा गंगाघाट से बग्घी में बिठाकर अपने बुजुर्गों को फीरोजाबाद जनपद के गुदाऊ गंतव्य तक ले जाते पुत्र।

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