*लेखक – श्री कैलाश चौधरी,राज्य मंत्री,कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार*
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में भारतीय कृषि का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। कृषि क्षेत्र में बदलाव का श्रेय निश्चित रूप से किसानों की कड़ी मेहनत, कृषि वैज्ञानिकों की कुशलता और केंद्र सरकार की किसान हितैषी नीतियों को जाता है। पिछले आठ वर्षों में मोदी सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में उठाए गए प्रभावी कदमों के सद्परिणाम अब परिलक्षित हो रहे हैं। इस दौरान सरकार ने कृषि एवं किसान कल्याण की अनेक योजनाओं की सौगातें दी है। निःसंदेह जब सरकार एवं मंत्रालय की दिशा और लक्ष्य एक हो जाता है, तब योजनाओं, कार्यक्रमों, गतिविधियों के बेहतर संयोजन से आशानुरूप परिणाम आने लगते हैं।
हमारे किसान भाई-बहन आज नवोन्मेषी बन रहे है, वे नवाचारों से रूबरू होते हुए बेहतर जीवन के लिए कृषि को पेशेवर रूप में अपना रहे है। योजनाओं में ये झलक साफ दिखाई देती है कि कृषि मंत्रालय सहित भारत सरकार किसानों के प्रति समर्पण तथा ईमानदारी से कार्य कर रही है। योजनाओं की इसी कड़ी में, कृषि क्षेत्र की बड़ी गैप भरते हुए, गांव-गांव, खेतों के पास तक सुविधाएं मुहैया कराने के लिए, प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के मार्गदर्शन में कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) योजना की शुरूआत मई-2020 में एक लाख करोड़ रूपये के प्रावधान के साथ हुई। इस वृहद योजना के अन्तर्गत प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि उद्यमियों, स्टार्टअप आदि को एआईएफ से परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही हैं।
कृषि विकास को गति देने और उसे नए मुकाम तक पहुंचाने के लिए कुछ बुनियादी आवश्यकताएं किसानों की प्राथमिकता के रूप में है। किसान तभी बेहतर अवसर पा सकता है, जब उसके उत्पाद को अधिकतम मूल्य मिलें और उत्पादन के बाद होने वाले नुकसान से उसे बचाया जा सके व उपज का अधिकतम उपयोग कर सके। इस मुद्दे पर सरकार की रचनात्मक सोच का परिणाम है कि एआईएफ स्कीम के अन्तर्गत फार्मगेट इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने की शुरूआत हुई। कृषि अवसंरचना विकास से मानव संसाधन विकास व भूमि संसाधन का उपयोग हुआ है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने कटाई उपरांत प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों से संबंधित व्यवहारिक परियोजनाओं में निवेश के लिए एक मध्यम-दीर्घकालिक ऋण सुविधा जुटाने के लिए यह योजना किसानों के व्यापक हितों को ध्यान में रखकर बनाई है।
आंकडे़ बताते है कि देश की आबादी में लगभग 58 प्रतिशत लोगों की प्राथमिक आय का स्रोत कृषि और कृषि से संबंधित गतिविधियां ही हैं। देश में दो हेक्टेयर से कम भूमि वाले लगभग 85 प्रतिशत किसान है और वे तकरीबन 45 प्रतिशत कृषि भूमि का प्रबंधन करते हैं, जिनमें अधिकांश किसानों की वार्षिक आय कम है। पूर्व की सरकारों के समय देश में कृषि में निवेश लगभग स्थिर रहा है, जिसे देखते हुए इस प्रकार की योजना को किसान हित में बनाना प्रासंगिक बन गया।
देश में कृषि अवसंरचना में सुधार के लिए प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता के माध्यम से कटाई उपरांत प्रबंधन द्वारा किसानों की आय में वृद्धि का नया द्वार खुला है। अब किसान अपने उत्पादन को इन कृषि अवसंरचना में कटाई उपरांत रख सकेगा और उचित मूल्य मिलने पर बगैर बिचौलियों के, किसी भी बाजार में अधिकतम मूल्य में बेच सकेगा। निश्चित ही सरकार का यह कदम किसानों की आय में सुधार को नया आयाम देगा। ये कदम किसानों को स्वतंत्र बनाएगा व उन्हें बाजार तक पहुंचने में समर्थ भी करेगा।
केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों के सहयोग से क्रियान्वित इस योजना में आधुनिक पैकेजिंग और कोल्ड स्टोरेज सिस्टम की उपलब्धता के कारण किसान बाजार में अपने उत्पाद कब बेचे, इस पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगा, जो उसकी बेहतर जीविकोपार्जन की दिशा में सही एवं निर्णायक कदम है। यह योजना सामुदायिक कृषि संपत्तियों में वृद्धि करेगी और किसानों के कृषि इनपुट की लागत में कमी लाएगी। स्कीम के तहत दो करोड़ रुपये तक का लोन उपलब्ध कराया जा रहा है। ब्याज अनुदान के रूप में तीन प्रतिशत तक की सहायता दी जा रही है। इसके अलावा योजना के तहत क्रेडिट गारंटी सहायता भी उपलब्ध है।
कटाई उपरांत प्रबंधन परियोजना के तहत आपूर्ति श्रृखंला सेवाओं सहित ई-मार्केटिंग प्लेटफार्म, गोदाम, साईलोस, पैक हाउसेज, परख इकाइयां यूनिट छंटाई और श्रेणीकरण इकाइयां, कोल्ड चेन्स, लाजिस्टिक सुविधा, प्राथमिक प्रसंस्करण केन्द्र एवं पकने वाले कक्ष आदि के ढांचे बनाने की सुविधा इस योजना में निहित है। इसी प्रकार सामुदायिक कृषि परिसंपत्ति बनाने के लिए व्यवहार्य परियोजना के अन्तर्गत जैव आदानों का उत्पादन, जैव उत्तेजक उत्पादन इकाइयां, स्मार्ट व सटीक कृषि के लिए बुनियादी ढांचा, निर्यात समूहों सहित फसलों के समूह के लिए आपूर्ति श्रृखंला एवं अवसंरचना प्रदान करने के लिए चिन्हित परियोजनाएं आदि भी इसमें लाए हैं।
व्यक्तिगत किसान और किसान समूह फार्म/हार्वेस्ट ऑटोमेशन, ड्रोन की खरीद, खेत में विशेष सेंसर लगाने, कृषि में ब्लॉकचेन और एआई रिमोट सेंसिंग व इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसे स्वचालित मौसम स्टेशन, फार्म एडवाइजरी जीआईएस अनुप्रयोगों के माध्यम से सेवाएं आदि जैसी परियोजनाएं स्थापित कर सकते हैं। इसके अलावा, किसान समूह जैसे एफपीओ, पैक्स, एसएचजी, जेएलजी, सहकारिता, राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय सहकारी संघ, एफपीओ संघ, एसएचजी संघ, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर की एजेंसियां हाइड्रोपोनिक्स, एरोपोनिक्स, वर्टिकल फार्मिंग, मशरूम तथा ग्रीन/पॉली हाउस जैसी परियोजनाएं स्थापित कर सकते हैं।
इस महत्वपूर्ण योजना में सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, अनुसूचित सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लघु वित्त बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियां और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम वित्त पोषण सुविधा प्रदान करने के लिए निर्धारित हैं। वित्त पोषण सुविधा के पात्र लाभार्थियों में प्राथमिक ऋण समितियां, विपणन सहकारी समितियां, किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूह, किसानों, संयुक्त देयता समूहों बहु उद्वेश्यीय सहकारी समितियां, कृषि उद्यमी, स्टार्टअप और केन्द्रीय/राज्य एजेंसियां या स्थानीय निकाय प्रायोजित सार्वजनिक निजी भागीदारी आदि है।
योजना को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने हेतु समय की निगरानी व प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर निगरानी समितियों का गठन किया गया है। वित्तीय सुविधा के तहत सृजित सभी संपत्तियां को जियो टैग किया गया है और जिला निगरानी समिति और संबंधित ऋण देने वाली संस्था यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसी जियो टैग की संपत्तियों की अद्यतन जानकारी आनलाइन पोर्टल पर भी उपलब्ध रहे।
कृषि अवसंरचना कोष योजना के तहत 12,535 परियोजनाओं के लिए 9157 करोड़ रु. के ऋण की मंजूरी अभी तक दे दी गई है। इन स्वीकृत परियोजनाओं ने कृषि अवसंरचना क्षेत्र में ₹ 15,700 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया है। योजना के तहत स्वीकृत प्रमुख परियोजनाओं में 6359 गोदाम, 1415 प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयां, 956 कस्टम हायरिंग सेंटर, 500 सॉर्टिंग ग्रेडिंग इकाइयां, 383 कोल्ड स्टोरेज और कोल्ड चेन तथा 156 परख इकाइयां शामिल हैं।
केंद्र सरकार की विगत 8 वर्षों की उपलब्धियों में इस योजना को प्रमुखता से शामिल करते हुए यह कहना प्रासंगिक होगा कि प्रधानमंत्रीजी की किसानों के प्रति संवेदनशीलता व उनके प्रति ईमानदार सोच की दूरदृष्टि का सद्परिणाम आने वाले दिनों में दिखाई देगा। ऐसी ही जमीनी योजनाओं के माध्यम से मोदी जी की सरकार अन्नदाताओं को समृद्ध बना रही है और आने वाले कल में आज के ये ही कदम देश को आत्मनिर्भर बनाएंगे। इसमें समग्र कृषि जगत को शिद्दत व ताकत के साथ अपना सर्वोत्कृष्ट योगदान देना है, न्यू इंडिया बनाने का संकल्प पूरा करना है और सुशासन की राह पर चलना है।