पीलीभीत : कोरोना संक्रमण काल में रेमडेसिविर और स्टेरॉयड की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है। देश भर में रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर अफरातफरी का माहौल है। सोशल मीडिया पर भी रेमडेसिविर इंजेक्शन की अर्जेंट आवश्यकता से संबंधित पोस्ट देखने को मिल रहे हैं। इन सबके बीच स्वास्थ्य विभाग रेमडेसिविर को रामबाण इलाज नहीं मान रहा। जनपद में रेमडेसिविर से ज्यादा स्टेरॉयड के प्रयोग को महत्ता दी जा रही है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जनपद में केवल छह मरीजों पर रेमडेसिविर का इस्तेमाल किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने रेमडेसिविर के पीछे न भागने व स्टेरॉयड का इस्तेमाल घर पर न करने की सलाह दी है।
स्वास्थ्य विभाग ने रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने या लगाने का प्रयास नहीं करने की सलाह दी है। इसे केवल अस्पताल में डॉक्टरों के परामर्श व देखरेख में लगाया जाना चाहिए। मामूली लक्षण में स्टेरॉयड नहीं दिया जाना चाहिए और 7 दिन के बाद भी अगर लक्षण बने रहते हैं (लगातार तेज बुखार, खांसी आदि) तो डॉक्टर से विचार-विमर्श कर कम डोज का ओरल स्टेरॉयड लेना चाहिए। ऑक्सीजन स्तर में कमी या सांस लेने में दिक्कत आने पर लोगों को अस्पताल में भर्ती होना चाहिए अथवा डॉक्टर से तुरंत परामर्श लेनी चाहिए। मामूली लक्षण वाले रोगियों को सांस लेने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए और उनकी ऑक्सीजन सांद्रता 94 फीसदी से अधिक होनी चाहिए। कोरोना संक्रमित रोगी गर्म पानी का कुल्ला कर सकता है या दिन में 2 से 3 बार भाप ले सकता है। अगर पैरासीटामोल 650 एमजी दिन में 4 बार लेने से बुखार नियंत्रण में नहीं आता, तो चिकित्सक से परामर्श लें, जोकि अन्य दवाएं जैसे दिन में 2 बार नैप्रोक्सेन 250 एमजी लेने की सलाह दे सकता है। आइवरमैक्टीन (प्रतिदिन 200 एमजी प्रति किलोग्राम खाली पेट) 3 से 5 दिन देने पर विचार किया जा सकता है। पांच दिनों के बाद भी लक्षण रहने पर इनहेलेशन बडसोनाइड दिया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह से एचआरसीटी व चेस्ट एक्सरे कराया जा सकता है।
कब लेना चाहिए स्टेरॉयड
जिला अस्पताल के फिजीशियन डॉ. रमाकांत सागर के अनुसार
– स्टेरॉयड कभी भी अपनी मर्जी से न शुरू करें। हमेशा डॉक्टर की सलाह पर निर्धारित मात्रा में निर्धारित स्टेरॉयड ही लें।
– जब पांच से सात दिन तक बुखार ठीक नहीं होता व तेज बुखार के साथ खांसी, बेचैनी महसूस होने लगे तब स्टेरॉयड शुरू करते हैं।
– एचआरसीटी व चेस्ट एक्सरे के दौरान फेफड़ों में निमोनिया की पुष्टि होने पर।
कोविड में क्या हैं लाभ
– सांस की नली में सूजन को ठीक करने में मदद मिलती है।
– संक्रमित मरीजों को सांस लेने में आराम मिलता है।
स्टेरॉयड के साइड इफेक्ट
-गैस की समस्या
– आंतों में सूजन
– अल्सर के मरीज का अल्सर फटने की आशंका
– हाथ पैर में दर्द
– ब्लड प्रेशर व डायबिटीज के रोगियों का बीपी व शुगर लेवल बढ़ जाता है।