*- श्री सर्बानंद सोनोवाल, यूनियन कैबिनेट मंत्री, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय*

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में गति शक्ति यानी बुनियादी ढांचा क्षेत्र के तेजी से बढ़ने, मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी कार्यों के निर्बाध एकीकरण ने पिछले 8 वर्षों में नए भारत को नई गति दी है। भारत ने सभी की समृद्धि के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ अपने जुड़ाव को बढ़ाया है। जैसा कि प्रधानमंत्री कहते हैं, दुनिया का भविष्य हिंद-प्रशांत के विकास के क्रम से तय होगा।

कारोबार में आसानी के लिए बंदरगाहों द्वारा सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन पर जोर देने के साथ विभिन्न प्रकार के कार्य किए गए। सीमा पार से व्यापार में भारत की रैंकिंग 2014 में 132 से बेहतर होकर 2020 में 68 हो गई। प्रमुख बंदरगाहों की कार्गो हैंडलिंग क्षमता दोगुनी होकर प्रतिवर्ष 1560 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटीपीए) हो गई जो 2014 में 800 एमएमटीपीए थी। गैर-प्रमुख बंदरगाहों की कार्गो हैंडलिंग क्षमता भी 2014 में 689 एमएमटीपीए से बढ़कर 1000 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमएमटीपीए) हो गई। जहाजों (कंटेनर) के बंदरगाह पर आगमन और वहां से रवानगी (टर्न अराउंड टाइम) के समय में काफी कमी आई जो 2021 में 26.58 घंटों पर आ गया जबकि यह 2014 में 43.44 घंटे था। विभिन्न बंदरगाहों में औसत ड्राफ्ट भी 2014 में 12.5 मीटर से बढ़कर 2021 में 14.5 मीटर हो गया। बंदरगाहों को केप आकार और बड़े जहाजों को संभालने में सक्षम बनाने के लिए इसे 2030 तक 18 मीटर तक बढ़ाने की योजना है। प्रति वर्ष तलकर्षण खर्च जो 2500 करोड़ रुपये था, वह काफी हद तक घटकर प्रति वर्ष 819 करोड़ रुपये पर आ गया। ऐसा व्‍यवसाय के कार्य को बेहतर बनाने और प्रशासन में पारदर्शिता के लिए अनेक नीतिगत सुधारों के कारण संभव हुआ। प्रमुख बंदरगाहों की कुल परिचालन आय भी 2014 में 9,162 करोड़ रुपये के मुकाबले 2021 में बढ़कर 14,690 करोड़ रुपये हो गई। 2014 के बाद से क्रूज यात्रियों की संख्या भी कई गुना बढ़ गई। क्रूज यात्रियों की संख्‍या 2014 के 1,07,267 के मुकाबले 2020 में 4,68,000 हो गई। भारत के सभी प्रमुख बंदरगाहों ने महामारी के समय में चौबीसों घंटे निर्बाध सेवा प्रदान की, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि सामानों और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला बाधित न हो। भारतीय बंदरगाहों द्वारा जहाज के नाविकों को बदलने के लिए साइनिंग ऑन और साइनिंग ऑफ की सुविधा प्रदान की गई, जबकि दुनिया भर में इसे रोक दिया गया।

विभिन्न सुधार संबंधी पहलों में, प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण कानून, 2021 ने प्रमुख बंदरगाह न्‍यास कानून, 1963 का स्‍थान ले लिया। यह कानून प्रमुख बंदरगाहों को निर्णय लेने में स्वायत्तता में वृद्धि और उनके संस्थागत ढांचे के आधुनिकीकरण के कारण अधिक दक्षता के साथ प्रदर्शन करने का अधिकार देता है। वाणिज्‍य पोत परिवहन कानून, 1958 का स्‍थान प्रस्तावित वाणिज्‍य पोत परिवहन विधेयक, 2016 लेगा, जिसका उद्देश्य महत्वपूर्ण सुधारों की शुरुआत करना और कारोबार करने में आसानी, पारदर्शिता और सेवाओं के प्रभावी वितरण को बढ़ावा देना, भारतीय टन भार को बढ़ाना है। नौचालन के लिये सामुद्रिक सहायता विधेयक, 2021 से अनुबंध करने वाले पक्षों और सदस्यों, अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों व उनके सदस्य देशों को लाभ होगा। क्षेत्र में मध्यस्थता और मुकदमेबाजी को कम करने के उद्देश्य से, 21 नवंबर 2021 को नया मॉडल रियायत समझौता (एमसीए) शुरू किया गया था।

अंतर्देशीय जलमार्ग के क्षेत्र में, सरकार ने नया अंतर्देशीय पोत कानून, 2021 बनाया है। अंतर्देशीय जलमार्गों की कुल संख्या 2014 में 5 थी जो 2021 में बढ़कर 111 हो गई। इन 8 वर्षों में अंतर्देशीय जल कार्गो कई गुना बढ़ गया; यह 2013- 14 में 16 एमएमटी था जो 2021-22 के दौरान बढ़कर 105 एमएमटी हो गया। भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग के तहत जहाज समुद्री यात्रा पर जहां रुकता था (पोर्ट्स ऑफ कॉल) उसकी संख्‍या 2014 में 5 थी जो बढ़कर 2020 में 13 हो गई।

क्षेत्रीय संपर्क में एक नया मील का पत्थर तब हासिल हुआ जब गुवाहाटी में पांडु बंदरगाह ने भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल (आईबीपी) मार्ग के माध्यम से 2,350 किमी की यात्रा करके पटना से 200 मीट्रिक टन खाद्यान्न ले जाने वाले मालवाहक जहाज एमवी लाल बहादुर शास्त्री का स्‍वागत किया। एक अन्य पोत एमवी राम प्रसाद बिस्मिल ने दो जहाजों- कल्पना चावला और एपीजे अब्दुल कलाम के साथ- भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग के माध्यम से हल्दिया से 1800 मीट्रिक टन स्टील की एक खेप के साथ गुवाहाटी में पांडु बंदरगाह के लिए अपनी यात्रा सफलतापूर्वक पूरी की। प्रधानमंत्री की “एक्ट ईस्ट” नीति की तर्ज पर हमने भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के माध्यम से राष्ट्रीय जलमार्ग-1, भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग और एनडब्ल्यू 2 पर कई बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू की हैं।

राष्ट्रीय जलमार्ग (एनडब्ल्यू)-1 (गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली) पर जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) और एनडब्ल्यू-1 पर जल मार्ग विकास परियोजना- II (अर्थ गंगा) 4,634 करोड़ रुपये के निवेश के साथ (विश्व बैंक के सहयोग से) क्षमता वृद्धि के लिए हाथ में ली गई हैं।

पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टरप्लान के तहत, 2024 तक 62,627 करोड़ रुपये की 101 परियोजनाओं की लागू करने के लिए पहचान की गई है। इसके अलावा, 3,036 करोड़ रुपये की 6 परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं और 2022 में 12 परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

हमने 25 मार्च, 2022 को परिवर्तनकारी पहल सागरमाला की सात साल की आश्‍चर्यजनक सफलता का जश्न मनाया। 2035 तक कार्यान्वयन के लिए 5.48 लाख करोड़ रुपये के निवेश की 802 परियोजनाओं में से, 99,000 करोड़ रुपये के अनुमानित व्यय के साथ 194 परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं और 2.12 लाख करोड़ रुपये की 217 परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं।

प्रमुख बंदरगाहों को ‘स्मार्ट बंदरगाहों’ में बदलने के लिए डिजिटल पहल की जा रही है, जो स्वचालित उपकरणों, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) का उपयोग करके डेटा-संचालित होगा, और सुरक्षित और अधिक कुशल प्रबंधन के लिए विश्लेषणात्मक तकनीकों का लाभ उठाएगा।

2015 में पेरिस जलवायु सम्मेलन (सीओपी 21) ने समुद्री उद्योग के भीतर कार्बन डाईऑक्साइड और अन्य उत्सर्जन सीमाओं को कम करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किए हैं। इलेक्ट्रिक/हाइब्रिड जहाज, वैकल्पिक ईंधन आदि- विशेष रूप से नजदीकी-किनारे/तटीय/अंतर्देशीय जल मार्ग जहाजों के लिए मानक बन जाएंगे। पिछले साल हमारे प्रधानमंत्री द्वारा घोषित राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन भारत में हाइड्रोजन ईंधन को लागू करने पर केन्‍द्रित है जिसमें एक महत्वपूर्ण समुद्री घटक भी है। इस तरह की पहल सभी क्षेत्रों में विभिन्न वैकल्पिक ईंधन और टिकाऊ समाधानों के लिए प्‍लेटफॉर्म स्थापित कर रही है।

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