कोंच(जालौन):रामलीला में शुक्रवार रात जयंत उद्धार और ऋषि संवाद लीला का भाव प्रवण मंचन किया गया जिसमें इंद्र तनय जयंत की आंख फूटने और वनवासी राम की ऋषि मुनियों से ज्ञान चर्चा के प्रसंगों का मंचन हुआ।
कोंच की ऐतिहासिक रामलीला के 170वें महोत्सव में शुक्रवार रात ‘जयंत उद्धार और ऋषि संवाद’ लीला का मंचन किया गया जिसमें इंद्र पुत्र जयंत वन वन भटक रहे राम की परीक्षा लेने का विचार मन में बनाकर कौवे का रूप धारण कर चित्रकूट में स्फटिक शिला पर प्रभु राम के साथ विराजमान जनकनंदिनी सीता के पैर में चोंच मार देता है जिससे रक्त प्रवाहित होने लगता है। क्रोध में आकर राम सरकंडे की सींक को अभिमंत्रित कर वाण की तरह जयंत पर छोड़ देते हैं। उस वाण से प्राण रक्षा के लिए जयंत सबसे पहले अपने पिता इंद्र की शरण में जाता है लेकिन भगवती सीता का अपराधी होने के कारण इंद्र उसे दुत्कार कर भगा देते हैं। इसके बाद वह भगवान शंकर और ब्रह्मा समेत तीनों लोकों में बचाओ बचाओ का आर्तनाद करता हुआ भागता है लेकिन कोई भी उसकी रक्षा नहीं करता है। अंत में देवर्षि नारद को उस पर दया आ जाती है और वह उसे भगवान राम की ही शरण में जाने के लिए कहते हैं। जयंत अपने अपराध के लिए प्रभु राम से क्षमा याचना करता है। दया के सागर राम उसे प्राण दान तो दे देते हैं किंतु उसके अपराध के दंड स्वरूप उसकी एक आंख फोड़ देते हैं। इसके पश्चात राम सीता और लक्ष्मण चित्रकूट छोड़कर गहन वन में प्रवेश करते हैं और रास्ते में शरभंग, अगस्त्य, अत्रि आदि ऋषि मुनियों के आश्रमों में जाकर उनसे ज्ञान चर्चा करते हैं। अत्रि पत्नी अनुसुइया सीता को स्त्रियोचित ज्ञान की शिक्षा देती हैं। अत्रि की भूमिका राजकुमार हिंगवासिया, अनुसुइया अतुल चतुर्वेदी, अगस्त्य संतोष त्रिपाठी, शरभंग नमन चतुर्वेदी, सुतीक्ष्ण प्रमोद सोनी, शंकर दीक्षित, ब्रह्मा पवन दांतरे, जयंत गिरधर सकेरे आदि ने निभाई।