BUDAUN SHIKHAR

शाहजहांपुर

रिपोर्ट -सचिन गुप्ता

-प्रिसाफ्ट में फर्जी फीडिंग कर ग्राम निधि के लाखों रुपये का गवन
– जिलापंचायत से करवाये काम को ग्राम निधि से दर्शा कर किया लाखों का गोलमाल
-शिकायत होने पर ग्राम प्रधान ने नोटरी शपथ पत्र देकर कहा कि यह काम नही करवाया गया
सवाल यह उठता है कि यदि यह काम नही करवाया गया तो इस वित्तीय वर्ष में विकास कार्य के लिए आई धनराशि कहाँ गई
-जब ग्राम प्रधान स्वीकार कर रहे है कि यह काम नही करवाया तो प्रियासाफ्ट पर फीड क्यो करवाया गया
-वीडियो से लेकर सीडीओ व डीपीआरओ सभी को जानकारी,लेकिन आर्थिक दबाब में मामला दबाया
-फर्जी हैण्डपम्प रीबोर व रिपेयरिंग के नाम निकाले 6 लाख से ज्यादा
-सोलर लाइट के नाम पर निकाले 2 लाख 50 हजार

जलालाबाद (शाहजहांपुर) विकास कार्यो के नाम पर फजीर्वाड़ा रोकने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा एक सॉफ्टवेयर तैयार किए गया था ,जिसका नाम है प्रिया साफट, पब्लिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम यानि इस योजना के तहत पब्लिक स्कीम के लिए केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाली ग्राम पंचायतों की प्रत्येक धनराशि व खर्च पर नजर ग्रामीणों व आम पब्लिक की नजर होगी ।
आन लाइन होने के बाद में भी ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी फीडिंग कर विकास कार्य को आये धन का दुरुपयोग कर लिया गया।
वर्ष2016-17,2017-18,2018-19 में ग्राम पंचायत मंगटोरा को राज्य वित्त आयोग से 10 लाख और 14वें वित्त से 27 लाख से अधिक रुपये का बजट दिया गया।इसके अलावा मनरेगा से 18 लाख,37 प्रधानमंत्री आवास लगभग 44 लाख ,380 शौचालय लगभग 45 लाख का बजट दिया गया।इसके बाबजूद ग्राम पंचायत विकास को तरस रही है।
वर्ष 2016- में 17 ग्राम पंचायत मंगटोरा को राज्य वित्त आयोग से 3.55 लाख और 14वें वित्त से 6 लाख से अधिक रुपये का बजट दिया गया।
प्रिसाफ्ट के अनुसार 2016-17 में 14 वें वित्त के 6 लाख में से   शिव_सिंह_के_मकान_से_उमाशंकर_के_मकान तक SFC-14 पर 2 लाख 76 हजार तथा।     वीरपाल_के_मकान_से_रामचन्द्र_के_मकान तक 14 SFC पर 3 लाख से ज्यादा का खर्चा दर्शाया गया है जब कि राज्य वित्त के 3.55 लाख से नाली तथा हैण्डपम्प रिपेयरिंग के नाम पर खर्च किये गये।
14 वें वित्त से ग्राम प्रधान के नाम से 1 लाख से ज्यादा तथा राज्य वित्त से 1 लाख 7 हजार रुपये के चेक काटे गए।
लेकिन जब इनकी धरातल पर जानकारी की गई तो वीर पाल के मकान से राम चन्द्र के मकान तक 14 SFC पर 3 लाख से ज्यादा का खर्चा दर्शाया गया ।
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार यह रोड इसी #वित्तीयवर्ष 2016-17 में 14 वें वित्त से

जिलापंचायत ने 10 लाख 50 हजार की लागत से बनवाया गया था।जिला पंचायत से काम करवा कर उसी काम को ग्राम निधि से दर्शाया गया और 3 लाख से ज्यादा की धनराशि का गवन कर लिया गया।इसके अलावा ग्राम निधि से
शिव सिंह के मकान से उमाशंकर के मकान तक SFC-14 पर 2 लाख 76 हजार खर्च किया गया जबकि धरातल पर यह काम भी मौजूद नही है ।
जब इतने गोलमाल में पेट नही भरा तो राज्य वित्त से आयी 3 लाख 55 हजार की धनराशि में से भी इन्ही रोडों के किनारे नाली बनी दर्शा कर 1 लाख 57 हजार की धनराशि को भी निकाल लिया जब रोड बना ही नही है तो नालियां कहाँ से बन गई।
जब इसकी शिकायत आईजीआरएस पर की गई तो जांच अधिकारियों ने ग्राम प्रधान का 10 रुपये के स्टाम्प पर नोटरी बनवाया कि यह काम ग्राम निधि से नही करवाया गया है।यह
आख्या लगा दी और शिकायत को निस्तारित कर दिया।
अब सवाल यह उठता है कि यदि यह काम करवाया नही गया तो विकास कार्य का 9 लाख रुपया कहाँ खर्च किया गया।
जिले के आला अधिकारियों सहित ब्लाक के अधिकारी भी जान बूझ कर आंख बंद किये हुए है।सूत्रों के अनुसार जिले के आला अधिकारी भी

आर्थिक_दबाब के कारण मामले को दबा रहे है।

क्या_है_प्रियसाफ्ट

विकास कार्यो के नाम पर फजीर्वाड़ा रोकने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा एक सॉफ्टवेयर तैयार किए गया था ,जिसका नाम है प्रियसाफ्ट
जिसमें ग्राम पंचायतों को प्रत्येक कार्ययोजना को फीड कराना होगा । इसके बाद ही बजट रिलीज किया जा सकेगा । इस सॉफ्टवेयर पर जो विकास कार्यो की कार्य योजना तैयार की जाएगी, उसे प्लान प्लस पर फीड किया जाएगा। इस सॉफ्टवेयर पर फीडिंग के बाद ही कार्ययोजना की जांच की जाएगी और इसके बाद ही ये मंजूरी मिलेगी अर्थात इसके बाद ही कार्ययोजना के क्रियान्वयन की अनुमति मिलेगी। इस सॉफ्टवेयर पर जो विकास कार्य क्रियान्वित हो चुके हैं, उनका भौतिक सत्यापन कर एक्शन प्लान पर फीड किया जाएगा । तभी ग्राम पंचायत के प्रधान और सचिव के ज्वाइंट एकाउंट में धनराशि भेजी जायेगी । प्रिया सॉफ्टवेयर में कार्यो का मिलान किया जाएगा । इसमें देखा जाएगा कि जो कार्ययोजना बनी थी, उसका क्रियान्वयन हुआ कि नहीं, क्या उसका भौतिक सत्यापन किया गया । इन दोनों के सही पाये जाने पर ही आगामी वित्तीय वर्ष के लिये बजट के लिये राशि आबंटित की जायेगी ।

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