संसार की रचना के लिए माहवारी जरूरी डॉ शोभा सक्सेना

स्वच्छ सुरक्षित हो माहवारी, हम सबकी है ज़िम्मेदारी

नैपकिन पैड का वितरण कर संक्रमण से बचाव का दिया संदेश

फर्रुखाबाद, 28 मई 2022 |

विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस पर शनिवार को जिले की सभी सीएचसी सहित राजकीय बालिका इंटर कालेज राजेपुर में महिलाओं तथा किशोरियों को जागरूक किया गया । साथ ही नैपकिन पैड का वितरण और पोस्टर के माध्यम से संक्रमण से बचाव का संदेश दिया गया l इस दौरान मौजूद किशोरियों को बताया गया कि मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी नेपकिन का इस्तेमाल करना चाहिए। इसे खरीदने में झिझक नहीं होनी चाहिए।

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जनपद सलाहकार चन्दन यादव कहते हैं कि धर्म और रीति रिवाज का गलत प्रयोग माहवारी को शर्मिंदगी से जोड़ती है और औरतों के प्रजनन अधिकारों को बाधित करती है। माहवारी एक शारीरिक क्रिया है| इस दौरान निकलने वाला खून वही होता है जो हमारे शरीर के और हिस्सों में दौड़ रहा है| माहवारी के दौरान निकलने वाले खून में और उस खून में जो हमारी उंगली कटने पर बहता है, उसमें कोई अंतर नहीं होता | माहवारी के समय किशोरियां /महिलाएं अस्वच्छ नहीं होती हैं और धार्मिक गतिविधियों में भी हिस्सा ले सकती हैं, माहवारी के दौरान निकलने वाला खून वही होता है जिसको हम ग्रहण कर नौ महीने मां के गर्भ में बड़े होते हैं।”

चंदन ने बताया कि जिले के सभी सीएचसी, डॉ रामनोहर लोहिया चिकित्साल्य महिला और पुरुष मे साथिया केन्द्र बने हैं जहां पर किशोर किशोरियों को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरुक किया जाता है l

नगरीय स्वास्थ्य केन्द्र रकाबगंज में तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ शोभा सक्सेना ने बताया कि इस संसार की रचना के लिए माहवारी बहुत जरुरी है अगर किसी को माहवारी नहीं होती है तो वह मां नहीं बन पाती है l इसके लिए जरूरी है कि महिला को महावारी जरूर आए l यह शर्मिंदगी का विषय नहीं है ईश्वर का दिया हुआ अमूल्य उपहार है, इसके बिना महिला का जीवन अधूरा है l अगर किसी को माहवारी नहीं आती है उसे तुरंत अपने डॉक्टर से इलाज कराना चाहिए l

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजेपुर की ब्लॉक समन्वयक – किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम नीलम मिश्रा ने इस दौरान मौजूद लोगों से कहा कि आज भी हमारे समाज में किशोरियां एवं महिलाएं धार्मिक कुप्रथा की जंजीरों में जकड़ी तमाम संक्रमित बीमारियों से घिरी कुंठाग्रस्त जीवन जीने को मजबूर हैं । जब महिलाएं इन मान्यताओं को धार्मिक ज्ञान मान लेती हैं और माहवारी की शर्मिंदगी को स्वीकार कर लेती हैं तो वह इन मान्यताओं के चंगुल में फंस कर अपनी निर्णय क्षमता को खो देती हैं |

भारत एवं विश्व के कई देशों में महिलाओं व किशोरियों को माहवारी प्रबंधन में कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है |

इसलिए वर्ष 2014 से प्रत्येक वर्ष 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में फैली मासिक धर्म सम्बन्धी गलत अवधारणा को दूर करना और महिलाओं और किशोरियों को माहवारी प्रबंधन सम्बन्धी सही जानकारी देना है

इस दौरान राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य दीपका राजपूत शिक्षिका अनुसुइया और किशोरियां मौजूद रहीं |

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