*• कपिल मोरेश्‍वर पाटील, राज्‍य मंत्री, पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार*

पंचायतें पुरातन काल से हमारे स्‍थानीय शासन की आधार स्‍तंभ इकाई रही हैं। समय के साथ पंचायतों के स्‍वरूप और कार्य में परिवर्तन हुआ है, किंतु गांवों में सामाजिक न्‍याय और आर्थिक विकास का तानाबाना बुनने में हमारी पंचायतों का सदियों से महत्‍वपूर्ण योगदान रहा है। राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी के ग्राम स्‍वराज की अवधारणा को जमीन पर उतारने की दिशा में संविधान के 73 वें संशोधन के पश्‍चात एक संवैधानिक स्‍थानीय इकाई के रूप में पंचायतों ने उल्‍लेखनीय योगदान दिया है।

इक्‍कीसवीं सदी को सूचना प्रौद्योगिकी और तकनीकी का युग कहा गया है। समय के साथ आए बदलाव में जरूरी है कि आज गांव भी विकास की उस रफ्तार के साथ कदमताल कर सके जो वैश्विक बदलावों में परिलक्षित हो रही है। आज सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की पहुंच और उपयोग प्रत्‍यक्ष रूप से समुदाय को प्रभावित कर रहे हैं। डिजिटल रूप से समावेशी समुदाय जन भागीदारी, आर्थिक विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के शब्‍दों में ‘डिजि‍टल इंडिया भारत का संकल्‍प है, डिजि‍टल इंडिया आत्‍मनिर्भर भारत के लिए साधन है। न्‍यूनतम सरकार-अधिकतम शासन के सिद्धांत पर चलते हुए जनता और सरकार के बीच, सिस्‍टम और सुविधाओं के बीच, समस्‍याओं और सेवाओं के बीच के अंतराल को कम करना, ये समय की मांग है और इसीलिए डिजि‍टल इंडिया सामान्‍य नागरिकों को सुविधा और उनके सशक्तिकरण का बहुत बड़ा माध्‍यम है।

पंचायतों को सूचना प्रौद्योगिकी के संसाधनों से युक्‍त करके जमीनी स्‍तर पर सेवाओं के वितरण, लोकतंत्र के सशक्तिकरण और पारदर्शिता के साथ प्रभावी क्रियान्‍वयन की दिशा में विगत 8 वर्षों में उल्‍लेखनीय कार्य किया गया है। सही मायनो में यह सुशासन का सर्वोत्‍तम साधन है। माननीय प्रधानमंत्री ने 24 अप्रैल,2020 को ई-ग्राम स्‍वराज एप्‍लीकेशन का शुभारंभ किया था। पंचायतों को सूचना प्रौद्योगिकी से सक्षम बनाने की दिशा में यह पंचायती राज मंत्रालय की अभिनव पहल है। ई ग्राम स्वराज का उद्देश्‍य विकेंद्रित प्लानिंग, प्रगति रिपोर्टिंग और कार्य-आधारित अकाउन्टिंग में बेहतर पारदर्शिता लाना है। ई-ग्राम स्‍वराज पर देश की 2,39,739 ग्राम पंचायतों ने वर्ष 2022-23 की अपनी ग्राम पंचायत विकास योजना को तैयार करके अपलोड करने का काम किया है। यहां हर पंचायत के कार्यों की भौतिक प्रगति से लेकर उनके द्वारा तैयार इकाईयों की जियो टैगिंग तक को देखा जा सकता है। ई-ग्राम स्‍वराज पर भारत सरकार के 5 मंत्रालयों/ विभागों की 12 योजनाओं के लाभार्थियों की सूची ऑनलाइन उपलबध कराई गई है। यह पारदिर्शता के साथ लाभार्थी सत्‍यापन का एक उत्‍कृष्‍ट उदाहरण माना जा सकता है। ई-ग्राम स्‍वराज मोबाइल एप्‍प ने भी पंचायतों के कामकाज में गति प्रदान की है। अब तक 10 लाख से अधिक मोबाइल फोन यूजर इसे डाउनलोड कर चुके हैं।

ई-ग्रामस्‍वराज- पीएफएमएस इंटरफेस के माध्‍यम से अब ग्राम पंचायतें ऑनलाइन भुगतान कर रही है। इससे कार्यों में त्‍वरितता और पारदर्शिता आई है। वर्तमान में 2,40,519 ग्राम पंचायतें इस इंटरफेस पर ऑनबोर्ड है और 2 लाख से अधिक पंचायतों ने 84,154 करोड़ रुपए से अधिक का ऑनलाइन भुगतान किया है। ग्राम मानचित्र-जियो स्‍पेशियल प्‍लानिंग एप्‍लीकेशन के माध्‍यम से ग्राम पंचायतों द्वारा कराए जा रहे प्रत्‍येक कार्य की रियल टाइम मॉनीटरिंग की जा सकती है।

पंचायतों के आर्थिक व्‍यवहार में जवाबदेही और पार‍दर्शिता लाने के लिए 14 वें वित्‍त आयोग की अनुशंसानुरूप 15 अप्रैल, 2020 को ऑन लाइन ऑडिट की शुरूआत की गई। इससे पंचायतों का लेखा-जोखा सार्वजनिक रूप से ऑनलाइन उपलब्‍ध हुआ है और प्रत्‍येक नागरिक इसकी जानकारी प्राप्‍त कर सकता है। आज की स्थिति में वर्ष 2020-21 के लिए 1,79,678 पंचायती राज संस्‍थाओं की ऑडिट रिपोर्ट इस माध्‍यम से तैयार हो चुकी है।

ग्रामीणों को सुगमता से जन्‍म-मृत्‍यु प्रमाण पत्र, व्‍यापार लाइसेंस, निर्माण अनु‍मति जैसी सेवाएं प्रदान करने के लिए पंचायती राज मंत्रालय द्वारा ई-पंचायत मिशन मोड के अंतर्गत प्रारंभ किए गए सर्विस प्‍लस एप्‍लीकेशन ने सुशासन की दिशा में नवीन आयाम स्‍थापित किए हैं। आज देश के 31 राज्‍यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में उनके विभिन्‍न अधिनियमों के अनुसार लगभग 2 हजार प्रकार की सेवाएं इस माध्‍यम से प्रदान की जा रही है। ग्रामीण नागरिकों को शासन की विभिन्‍न सेवाओं की उपलब्‍धता की दिशा में पंचायती राज मंत्रालय द्वारा की गई पहल ‘सिटीजन चार्टर’ भी यहां उल्‍लेखनीय है। इसी प्रकार लोकल गर्वेंमेंट डायरेक्‍टरी (एलजीडी), इंडिया पंचायत नॉलेज पार्टनर, राष्‍ट्रीय पंचायत पुरस्‍कारों के ऑनलाइन नामांकन जैसे कई प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग हैं जिन्‍होंने आज ग्राम पंचायतों के काम को रफ्तार के साथ पारदर्शिता प्रदान की है।

प्रौद्योगिकी से आम आदमी के जीवन में सकारात्‍मक परिवर्तन का सबसे बड़ा उदाहरण ‘स्‍वामित्‍व’ योजना है। 24 अप्रैल 2020 को राष्‍ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर परं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्‍वामित्‍व (ग्रामीण क्षेत्र में उन्‍नत प्रोद्योगिकी के साथ गांवों का सर्वेक्षण और मानचित्रण) योजना के पायलट चरण को लोकार्पित किया था, जिसे वर्ष 2021 में देश के हर गांव में लागू किया गया। स्‍वामित्‍व योजना ग्रामीण क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन का एक सशक्‍त माध्‍यम साबित हो रही है। यह सेवा और सुशासन का एक ऐसा उदाहरण है जिसने गांव में रहने वाले हर परिवार को संपत्ति कार्ड के माध्‍यम से अधिकार संपन्‍न और सशक्‍त किया जा रहा है। स्‍वामित्‍व के प्रॉपर्टी कार्ड ने जहां ग्रामीण आबादी क्षेत्रों में जमीन की कीमत को बढ़ाकर ग्रामीणों को सशक्‍त किया है वहीं इसके आधार पर भवन बनाने से लेकर अपना स्‍वरोजगार शुरू करने तक के लिए बैंकों से ऋण मिलना सुलभ हुआ है। गांवों में भूमि संबंधी विवाद कम हुए हैं और अतिक्रमण या अवैध कब्‍जों से भी राहत मिल रही है। स्‍वामित्‍व योजना के तहत तैयार हॉइ रेज्‍यूलेशन नक्‍शे अब ग्राम पंचायत विकास योजना में भविष्‍य के गांव का ब्‍लू प्रिंट तैयार करने के आधार बन रहे हैं। अब तक देश के लगभग 38 हजार गांवों में 48 लाख से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड बनकर तैयार हो गए हैं।

‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्‍वास और सबका प्रयास’ हमारी प्रतिबद्धता है। हर वर्ग तक पहुंचने, पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रभावी क्रियान्‍वयन के साथ किए गए कार्यों ने आज देश के गांवों की काया पलट की है। गांव भी शहरों की तरह सुनियोजित विकास की राह पर अग्रसर हो रहे हैं। प्रौद्योगिकी के अधिकतम उपयोग से भविष्‍य का भारत गांवों में तैयार हो रहा है।

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