अलीगढ़ । वसंत ऋतु की शुरुआत होते ही फागुन की बयार शुरू हो जाती है। माहौल में भी होली के रंग दिखाई देने लगते हैं। इसलिए हर तरफ अब होली की तैयारी दिखने लगी है। इस बार होलिका दहन पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के दुर्लभ संयोग में होगा, जिससे सुख-समृद्धि आएगी। समाज में आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़ेगा।
भारतीय संस्कृति में हर तीज त्योहार का है पौराणिक महत्व
अवस्थी ज्योतिष संस्थान के प्रमुख आदित्य नारायण अवस्थी ने बताया कि भारतीय संस्कृति में प्रत्येक तीज-त्योहार का पौराणिक महत्व होता है। हाेली पर भी ऐसा है। पौराणिक कथा के अनुसार हिरण्यकश्प की बहन होलिका अपने भतीजे प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठी थी। होलिका को वरदान था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी और प्रहलाद जलकर भस्म हो जाएगा। मगर, प्रहलाद की असीम भक्ति से होलिका जलकर भस्म हो गई, जबकि भक्त प्रहलाद सकुशल निकलकर बाहर आ गए। इसलिए पूरे देश में धूमधाम से होली उत्सव मनाया जाता है। इस बार 17 मार्च को फागुन शुक्ल पक्ष की प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जायेगा। दोपहर 1.29 बजे तक चतुर्दशी तिथि रहेगी। रात में 1.09 बजे तक भद्रा रहेंगी। इसके बाद पूर्णिमा तिथि लग जाएगी। पूर्णिमा तिथि 18 मार्च को दोपहर 12.47 बजे तक रहेगी। 10 मार्च से होलाष्टक प्रारंभ हो जाएंगे। आदित्य नारायण अवस्थी ने बताया कि 17 मार्च को चतुर्दशी तिथि दिन में ही समाप्त हो जाएगी। भद्रा में होलिका का दहन करना वर्जित माना गया है, मगर शास्त्रों में वर्णित है कि भद्रा निशीथ काल के बाद तक रहे तो ऐसी स्थिति में भद्रा का मुंह छोड़कर निशीथ काल के पहले ही होलिका का दहन किया जाना उचित है। इस वर्ष भद्रा निशीथ काल के बाद तक रहेगी। भद्रा का मुंह काल दिन में ही रहेगा। इससे प्रदोष काल में ही होलिका का दहन किया जाना शास्त्र के अनुसार ठीक है। 17 मार्च को होलिका पूजन दोपहर 1.28 बजे से पहले करना उचित रहेगा। शाम को प्रदोष वेला में 6.43 बजे से रात 9.08 बजे तक होलिका दहन करना श्रेष्ठ रहेगा। 18 मार्च को होली धूमधाम से मनाई जाएगी।
विधि-विधान से करें पूजन
आदित्य नारायण अवस्थी ने बताया कि होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। इसलिए विधि-विधान से पूजन करना चाहिए। होलिका दहन से पहले महिलाओं को दिन में पूजन जरूर करना चाहिए। होलिका की परिक्रमा भी लगाएं। कच्चा सूत बांधे। रोली, चंदन, गुलाल से टीका करें। गोबर की गुलरी रखें। घर से बनाए पकवान, हल्दी के टुकड़े होलिका को अर्पित करें। जल चढ़ाएं। साथ ही परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें। भक्त प्रहलाद का स्मरण करें। आचार्य ने कहा कि होलिका दहन भी विधि-विधान से करना चाहिए। जौ की बाली को भुने और एक-दूसरे से गले मिलकर होली की शुभकामनाएं दें।
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के लाभ
आचार्य ने बताया कि पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र 17 मार्च को पूरे दिन रहेगा। पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के बन रहे संयोग से सुख-समृद्धि में वृद्धि होगी। समाज में आपसी स्नेह बढ़ेगा। फसल की पैदावार अच्छी होगी। उद्योग और व्यापार में वृद्धि होगी।