गोरखपुर, एजेंसी । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नाथ पंथ सिद्ध संप्रदाय है। इस संप्रदाय के योगियों और संतों से जुड़े कई ऐसे प्रसंग हैं, जो सभी को नाथ पंथ से जुडऩे को बाध्य करते हैं। यही वजह है कि पूरी दुनिया में नाथ पंथ का विस्तार है। पाकिस्तान के पेशावर, अफगानिस्तान के काबुल और बंग्लादेश के ढाका को भी नाथ पंथ के योगियों ने अपनी साधना स्थली बनाया है। मुख्यमंत्री ने नाथ पंथ से जुड़ी यह गूढ़ जानकारी शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय ‘नाथ पंथ का वैश्विक प्रदेय विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर दी।
इस क्रम में मुख्यमंत्री ने राजस्थान की सपेरा समुदाय की एक पद्म पुरस्कार प्राप्त महिला और बद्रीनाथ में नाथ योगी सुंदरनाथ से जुड़ा वह प्रसंग सुनाया, जिससे नाथ पंथ के विस्तार और महिमा की जानकारी मिलती है। बद्रीनाथ के नाथ योगी सुंदरनाथ से जुड़ा प्रसंग सुनाते हुए मुख्यमंत्री ने बीते दिनों केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा की वजह भी बताई। उन्होंने बताया कि दिवाली पर दीपोत्सव के लिए अयोध्या प्रवास के दौरान जब वह ध्यान कर रहे थे तो उन्हें पहाड़ों से किसी के बुलाने और ध्यान रखने की अपील सुनाई दी। अपने इस कौतूहल को शांत करने के लिए जब उन्होंने केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा की तो बद्रीनाथ में उन्हें नाथ योगी सुंदरनाथ की गुफा मिली। तब उन्हें अहसास हुआ कि वह आवाज योगी सुंदरनाथ की ही थी। नाथ पंथ की महिमा पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा नाथ पंथ की परंपरा आदिनाथ भगवान शिव से शुरू होकर नवनाथ और 84 सिद्धों के साथ आगे बढ़ती है। यही वजह है कि पूरी दुनिया में इस संप्रदाय के मठ या मंदिर मिल जाएंगे। अपने इस प्रसंग को उन्होंने परंपरा, संस्कृति और इतिहास से जोड़ा। कहा कि कोई भी व्यक्ति अपनी परंपरा ओर संस्कृति को विस्मृत करके अपने लक्ष्य को नहीं पा सकता। ऐसा व्यक्ति त्रिशंकु बनकर रह जाता है और त्रिशंकु का कोई लक्ष्य नहीं होता। समाज में व्यापक परिवर्तन के लिए उन्होंने शिक्षा केंद्रों से अपील की कि वह अपनी संभ्यता और संस्कृति से जुड़कर अध्ययन-अध्यापन प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं। उद्घाटन कार्यक्रम को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह ने भी संबोधित किया। अतिथियों का स्वागत कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने किया।