*बौद्ध कथा में मौजूद विधायक आशुतोष मौर्य*

बिल्सी-क्षेत्र के गाँव मिठामई में आयोजित पाँच दिवसीय बौद्ध कथा के चौथे दिन मुख्य अतिथि के रूप में सपा से बिसौली विधायक आशुतोष मौर्य उर्फ राजू भैया ने शिरकत की।आयोजक मण्डली द्वारा विधायक जी का फूलमालाओं से जोरदार स्वागत किया गया। मैनपुरी से पधारे कथावाचक ओमवीर बौद्ध एवं धम्मचारिणी ललित बौद्ध ने भगवान बुद्ध की कथा से बहुत ही रोचनात्मक रूप से बौद्ध अनुयायियों को श्रवण कराया।

धम्म चारिणी ने भगवान बुद्ध के गृह त्यागने पर प्रकाश डालते हुए बताया कि चार दृश्यों के कारण बुद्ध का मोहभंग हुआ था वृद्ध-बीमार-मृतक-सन्यासी इन चार दृश्यों की वितृष्णा के कारण पूर्णिमा की रात को उन्नतीस वर्ष की आयु मेें उन्होंने महल एवं परिवार को त्याग दिया। इस गृहत्याग को बौद्ध धर्म में महाभिनिष्क्रमण कहा गया है।

महाभिनिष्क्रमण का अर्थ महान् परायण (बङी यात्रा) इस रात को जिस सारथी के साथ गृहत्याग किया। इसका नाम चन्ना था और घोङे का नाम कण्ठक था विधायक आशुतोष मौर्य ने बताया कि गृहत्याग के समय उनका नाम सिद्धार्थ था। उपरान्त सिद्धार्थ ने अनोमा नवी के तट पर अपने सिर को मुङवा कर भिक्षुओं का काषाय वस्त्र धारण किया और जंगलों की ओर निकल पङे। सात वर्ष तक वे ज्ञान की खोज में इधर-उधर भटकते रहे। सर्वप्रथम वैशाली के समीप अलार कलाम (सांख्य दर्शन का आचार्य) उनके प्रथम गुरु बने। फिर राजगृह में उद्धालक रामपुत्त नामक संन्यासी उनके दूसरे गुरु बने। यहाँ से सन्तुष्टि नहीं मिली। तब बिहार के सेनापति गाँव के पास उरुवेला (बोधगया) के जंगलों में कठोर तपस्या आरम्भ कर दी निरंजना नदी के किनारे वट (पीपल) नामक पेङ के नीचे ध्यान-मग्न हो गये। बिना अन्न, जल के 6 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद उन्हें 35 वर्ष की आयु में वैशाख की पूर्णिमा की रात निरंजना नदी के किनारे पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ। एक बैशाख मास पूर्णिमा को रात को उनको ज्ञान प्राप्त हुआ, इसे निर्वाण कहते है। लेकिन इतिहास में इसे ’बुद्धत्व की प्राप्ति’ कहा जाता है।इस दौरान बुद्ध सेवा समिति रजि. बिसौली के समस्त पदाधिकारी गण , निहाल मौर्य डॉ अरविंद शाक्य चन्द्र शेखर टिंकू शाक्य हरिओम शाक्य हीरा बौद्ध पंकज शाक्य के साथ सैकड़ों लोग मौजूद रहे!

 

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