संजय शर्मा

बदायूं । आज को प्रस्टीज ग्रीन इंडिया कॉरपोरेशन लिमिट उत्पादन इकाई ग्राम बदरपुर बदायूं में सन 2010 से 2016 तक रहे पूर्व चेयरमैन एवं 26/09/2017 रहे डायरेक्टर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खोला यशवंत सिंह पाल सत्यपाल शर्मा गिरीश पूरी के द्वारा कंपनी में करोड़ों की संपत्ति का घोटाले व काला चिट्ठा और बताया की यशवंत सिंह और उसका गिरोह कैसे कंपनी के सैकड़ो लोगो को करोड़ो रुपए का चूना लगा चुके है जो क्रम अभी भी जेल से बैठकर यशवंत सिंह पाल अपने गुर्गों से संचालित करा रहा है अनुमान है की पूरे उत्तर प्रदेश में यह गिरोह अन्य लगभग 150 से अधिक कंपनियों के साथ जुड़कर अरबों रुपए की ठगी कर राजस्व विभाग और कंपनी कारपोरेशन में रजिस्टर्ड कर फर्जी पैरलर डुप्लीकेट बोर्ड बना कर जिसमें यशवंत सिंह स्वम बोर्ड अधिकारी और इस रैकेट के गुर्गों को निदेशक, संपति संरक्षक, मुख्य पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता बनाकर करोड़ो रुपए का कर चुका है गवन इसी क्रम से हजारों कंपनी हुई दिवालिया और सरकारी खजाना राजस्व एवं जन पर पड़ा बहुत बड़ा गोपनीय डाका ।

ध्रुव प्रताप सिंह ने अपनी प्रेस वार्ता में सैकड़ो साक्ष्यों के साथ बताया की मजबूर हूं जब बदायूं पुलिस के आला अधिकारियों को जांचकर्ता झूठी मंगड़नती साक्ष्यविहीन आख्याएं देते और माननीय न्यायालय को भी जांच नाम पर किया गया है गुहराह तब पीड़ित ध्रुव प्रताप सिंह ने घोषणा कर मन बना लिया वे कछला गंगा पुल से गंगा में अपनी पत्नी दो छोटी छोटी 5 वर्षीय बेटियो के साथ करेंगे गंगा जलसमाधि आत्महत्या क्योंकि योगी बाबा के अथक प्रयास के बाबजूद भी पूरे उत्तर प्रदेश में निष्पक्ष जांच नही भरोसा प्रदेश का प्रशासन करोड़ो रुपए के गवनकर्ता यशवंत सिंह पाल और उसके गिरोह के साथ ध्रुव प्रताप सिंह को संलिप्त करने पर उतारू है निर्दोष ध्रुव प्रताप सिंह और उनके परिवार अब सड़कों पर आ चुका ना खाना खाने को पैसे है घर से हो चुके है बेघर और पुलिस बिना साक्ष्यों के आधार पर पीड़ित परिवार पर करें जा रही है कार्यवाही पर कार्यवाही जबकि यशवंत सिंह पाल सत्यपाल शर्मा गिरीश पूरी और इनका गिरोह के द्वारा ही डुप्लीकेट पैरलर बोर्ड बना कर करोड़ो रुपए की ठगी कम्पनी प्लांट के मेंबर बना कर की गई जिसके साक्ष्य पीड़ित ध्रुव प्रताप सिंह के पास है जिसके आधार पर ध्रुव प्रताप सिंह निर्दोष साबित होते है और इंट्रमबेल पर है लेकिन पुलिस प्रशासन उनके साक्ष्यों को जांच शामिल ही नही करती है क्योंकि करोड़ो रूपया डकार कर यशवंत सिंह पाल जेल से बैठे अपने गुर्गों से जांच आर्थिक सांठ गांठ कर बदलवा देता और गुंडे को भेज कर कई बार पीड़ित के घर पर हमला करवा चुका है जिसकी पीड़ित के पास वीडियो क्लीपें भी है लेकिन पुलिस प्रशासन कुछ मानने को तैयार नहीं है दर दर भटक रहे पीड़ित ध्रुव प्रताप सिंह ने ठान लिया है अगर उसके परिवार के साथ कोई अनहोनी होती तो उसका जिम्मेदार पुलिस प्रशासन होगा पुलिस प्रशासन ने गलत साक्ष्य विहीन रिपोर्ट लगा लगा कर पीड़ित को मुलजिम बना दिया है न्यायालय में पीड़ित निरंत अपना बचाव कर रहा है लेकिन पुलिस बार बार गलत झूठी प्रपत्रों को पेश करती आ रही है इसकी क्रम में पुलिस द्वारा प्रार्थी के भाई अंग प्रताप सिंह को आर्थिक सांठ गांठ कर जेल भिजवा दिया कंपनी पूर्व में घाटे में नही रही है साजिश कर्ता जेल से बैठकर यशवंत सिंह पाल अपने साथियों के कंपनी के दस्तावेजों में फेरबदल कर बैकडेट में सारी करोड़ो संपत्ति और उत्पादन को बेंच देना चाहता है अगर पुलिस के द्वारा ध्रुव प्रताप सिंह के साक्ष्यों को अमल में नही लाया गया तो यह गिरोह और इन जैसे अन्य गिरोह कपट पूर्ण जांचों के दम पर योगी मोदी की सरकार को आम जनता को और निवेशकों को यूं ही करोड़ो अरबों रुपए का चुना लगाती रहेंगे इसलिए कंपनी जांच अध्याय 14 अंतर्गत अधिनियम 112 के अनुपालन में सीरियस फ्रॉड जांच एजेंसी जैसे सीबीआई, ईडी एवं राज्य स्तरीय एसबीसीआईडी के द्वारा निष्पक्ष जांच मीडिया जनसेवक टीम के द्वारा होना अत्यंत आवश्यक है अन्यथा ऐसे ही मोदी योगी सरकार को करोड़ो अरबों रुपया चुना लगाकर पैसा गबन कर यशवंत सिंह पाल जैसे लोग जेल से ही अपना गिरोह संचालित करते रहेंगे और ध्रुव प्रताप सिंह जैसे निर्दोष लोगो की हत्या कर या करवा कर जांच को पैसे के दम पर दबवा देने क्योंकि न्यायपालिका शासन प्रशासन को गुमराह करने में और जांच कर्ता को खरीदने में उच्च लेवल का फ्रॉड करने की मानसिकता बहुत आगे बड़ चुकी है स्थानीय पुलिस द्वारा भ्रामक काउंटर रिपोर्ट माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर ध्रुव प्रताप सिंह की इंट्मबेल को खारिज कराने के लिए पुलिस आमदा हो चुकी जबकि आलाधिकारियों को कोई बात संज्ञान में नहीं डाली गई है इस सबसे विवश होकर ध्रुव प्रताप सिंह अपनी पत्नी सहित 5 साल की दो बेटियों के साथ जल्द वीडियो वायरल कर कछला गंगा पुल से कूद कर जल समाधि लेने को मजबूर है जिसकी पूरी जिम्मेदारी सद्यंत्रकारीयों के साथ मिली पुलिस की होगी जो निरंतर गलत आख्या आला अधिकारियों और न्यायपालिका को दे रही है ।

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