बरेली : रोहिली टोला स्थित प्राचीन माहौर वैश्य नव दुर्गा मंदिर एवं शिवालय आस्था का बड़ा केंद्र है। यह मंदिर पुराना शहर के प्रमुख मंदिरों में से एक है। सावन के महीने में भारी संख्या में भक्तगण जलाभिषेक करने आते हैं। हजारों श्रद्धालु सावन में हरिद्वार आदि तीर्थों से गंगा जल लाकर भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं।

श्रावण मास में पड़ने वाले प्रत्येक सोमवार को व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करने से वह प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। ऐसा श्रद्धालुओं का मानना है। इसी धारणा के साथ श्रावण मास के द्वितीय सोमवार को श्रद्धालुओं की शिवालयों में लाइन लगी। वेलपत्र, मिष्ठान्न, फल, दूध, शहद आदि चढ़ाकर श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। भोलेनाथ के दर्शन कर मनोतियां मांगी।

मंदिर का इतिहास

मान्यता है कि भोलेनाथ के दर्शन, पूजन, अभिषेक से सभी मुरादें पूरी होती हैं। यहां पर स्थापित शिवलिंग करीब 300 वर्ष पूर्व की है। सन 1981 में अखिल भारतीय माहौर वैश्य सभा के राष्ट्रीय संरक्षक रामेंद्र प्रसाद गुप्ता ने शिवालय का जीर्णोद्धार कराया। शिवालय में नाग नागिन की जोड़ा भी कई बार देखे जा चुके हैं। शिवालय परिसर में पीपल का वृक्ष भी इस शिवलिंग की शोभा बढ़ा रहा है। साथ ही यहां विराजित भगवती के नौ स्वरूपों की शोभा आकर्षित करने वाली है।

मंदिर की विशेषता

बढ़ी संख्या में श्रद्धालु सावन में यहां चालीसा करने के लिए पहुंचते थे। यहां पूजा करने से सभी मनोवांछित इच्छाओं की पूर्ति बड़ी सहजता से होती है। कई भक्तगण ऐसे भी हैं, जो गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे, यहां जलाभिषेक एवं महामृत्युंजय का जप करने से स्वस्थ हो गए।

मंदिर हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आचार्य मुकेश मिश्रा, पुजारी

यहां शिवालय और वट वृक्ष के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करने से शिव कृपा की प्राप्ति होती है। रामेंद्र प्रसाद गुप्ता, श्रद्धालु

 

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