जिला सम्वाददाता

बरेली : जिले में जहां किसान खाद के लिए परेशान हो रहे हैं। सुबह से लंबी लाइन में लगने बाद जहां उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ रहा है। वहीं अधिकारी जिले में पर्याप्त खाद होने की बात कह रहे हैं। रबी फसल की बुआई जोरो पर हैं और किसान रासायनिक खाद की कमी से जूझ रहे हैं। डीएपी (डाई अमोनियम फास्फेट) और यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए किसान अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं।

बीते माह हुई बारिश के बाद बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे। जिससे सूखे पड़े खेतों में नमी अधिक हो गई थी, वहीं अब बुआई के लिए पर्याप्त नमी है। जिससे अब गेहूं की बिजाई हो सकती है, लेकिन किसानों को चिता डीएपी खाद की है, जिसकी अब भी भारी कमी है। किसान खाद खरीद के लिए केंद्रों में भाग दौड़ कर रहे हैं, मगर डीएपी खाद की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। यहां तक कि प्राइवेट दुकानों पर जाकर भी खाद की मांग की जा रही है और किसानों के हाथ निराशा ही लग रही है। जबकि अधिकारियों का कहना है कि कालाबाजारी रोकने के लिए तहसील स्तर पर एसडीएम और कृषि विभाग के अधिकारी के संयुक्त टीम भी बनी हुई है। जो लगातार छापेमारी कर रही हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ना मानी जा रही मुख्य वजहः

खाद की कमी होने के पीछे लोग इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमतें बढ़ना मान हैं। जबकि कुछ लोग चीन द्वारा उर्वरक के एक्सपोर्ट पर अस्थायी रोक और बेलारूस के खिलाफ वेस्टर्न इकोनामिक सेंसेक्स चलते ग्लोबल मार्केट में उर्वरक की कीमतें और सप्लाई प्रभावित होना बता रहे हैं। जिसका असर भारत में उर्वरक के आयात पर पड़ना माना जा रहा है। बेलारूस 2020-21 में भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा म्यूरिएट आफ पोटाश सप्लायर रहा। चीन पिछले दो सालों में भारत के लिए यूरिया का सबसे बड़ा सप्लायर और डाई अमोनियम फास्फेट यानी डीएपी के लिए दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर रहा। वहीं फास्फोरस बेस्ड उर्वरकों के लिए कच्चे माल की कीमतें वैश्विक स्तर पर बढ़ी हैं। वैश्विक बाजार में फास्फोरिक एसिड और अमोनिया की कीमतें बढ़ी हैं। इससे भारतीय उर्वरक उत्पादकों द्वारा इनके आयात पर असर हुआ है। ये दोनों मिट्टी के लिए प्रमुख न्यूट्रिएंट हैं।

अधिकारी बोले केवल सहकारी क्षेत्र में डीएपी की आपूर्ति प्रभावित :

उप निदेशक कृषि धीरेंद्र सिंह चौधरी ने बताया कि जिले में खाद की आपूर्ति लगातार हो रही है। केवल सहकारी क्षेत्र में डीएपी की आपूर्ति कुछ प्रभावित है। जिसके लिए जिलाधिकारी ने पत्र जारी किया है। इसके अलावा जिन दुकानों पर स्टाक उपलब्ध है। वहां बिक्री लगातार हो रही है। अधिकारियों का दावा है कि कालाबाजारी की कोई शिकायत अभी तक नहीं आयी है। इसके लिए कंट्रोल रूम लगातार खुला हुआ है।

नैनो उर्वरक बाजार में अभी उपलब्ध नहीं :

रवी बुआई से पहले उर्वरक कंपनियां जहां नैनो यूरिया बाजार में उपलब्ध होने का दावा कर रहीं थी। वह फिलहाल हवा-हवाई साबित हो रहा है। जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि डीएपी, एनपीके के क्षेत्र में नैनो उर्वरक बाजार में नहीं है। केवल यूरिया का नैनो उर्वरक उपलब्ध है। इस समय वर्षा और जलभराव के बाद लगातार खेतों में नमी होने की वजह से गेहूं, तिलहन के साथ गन्ना की बुआई का दबाव है। इसलिए बुआई के लिए डीएपी एवं एनपीके खाद की मांग अधिक है। केवल यूरिया के क्षेत्र में नैनो खाद उपलब्ध है लेकिन बुवाई के लिए डीएपी एनपीके की आवश्यकता होती है। इसके अलावा नैनो उर्वरक की बिक्री पोस मशीन से नहीं कि जाती है और न ही उसमें सब्सिडी की कोई व्यवस्था है।

56 बीज की दुकानों पर छापामारी :

शासन के निर्देश पर आज जनपद बरेली में जिलाधिकारी के निर्देशानुसार विभिन्न बीज विक्रय के प्रतिष्ठानों पर छापामारी अभियान चलाया गया। जनपद की चार टीम कृषि विभाग के चार बीज निरीक्षकों के नेतृत्व में 56 बीज की दुकानों पर छापामारी की गई एवं नमूने भरे गए। आंवला क्षेत्र में टीम के पहुंचने पर प्रतिष्ठान बंद किए गए। जिसके कारण उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। कुल 24 नमूने लिए। वहीं छह जगह कारण बताओ नोटिस थमाया गया। उपनिदेशक कृषि धीरेंद्र सिंह चौधरी ने बताया कि जिले में डीएपी, यूरिया व एनपीके की कोई कमी नहीं है। कंपनियां लगातार सप्लाई भेज रहीं है। किसान को जितनी जरूरत है उतनी ही डीएपी व एनपीके खरीदें, अनावश्यक स्टाक करने की जरूरत नहीं है।

 

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