बरेली : धान की फसल तैयार होने के साथ ही केंद्रों में बिक्री के लिए आने लगी है। सरकारी क्रय केंद्रों में तौल भी जारी है। लेकिन इसमें भी जमकर खेल हो रहा है। बेमौसम हुई बारिश से धान जहां काला हो गया है। वहीं कुछ के धान में मिट्टी लगी हुई है। जिसके चलते उन्हें धान क्रय केंद्रों से वापस लौटाया जा रहा है। सहालग जारी है, ऐसे में किसानों को रुपये की जरूरत है। केंद्रों में लंबी लाइन लगे होने व धान में कमी निकाले जाने के चलते मजबूरन किसान उसे औने-पौने दाम में मंडी में बिचौलियों को बेच रहे हैं।

नकद भुगतान के लिए किसान उठा रहे घाटा

धान की फसल तैयार होने के बाद नवंबर माह से गेहूं व अन्य फसल लगाने की तैयारी प्रारंभ हो जाएगी। ऐसे में किसानों को नगदी की जरूरत है। इसलिए वह क्रय केंद्रों में लगने वाली लंबी कतार में न लगने के कारण बिचौलियों के हाथों अपनी फसल बेच रहे हैं। जहां तीन से चार सौ रुपये का घाटा सहकर किसान इसे बेच रहे हैं।

क्रय केंद्रों से किसानों का मोह हो रहा भंग

सरकारी क्रय केंद्रों पर मानक पर खरा नहीं उतर रहा। धान खरीद में चावल की रिकवरी राइस मिलर्स के मानकों पर खरी नहीं उतर रही है। क्रय केंद्र में खरीदे गए धान को उठाने और उसकी कुटाई करने से मिलर्स कतरा रहे हैं। खरीद शुरु के लगभग दो माह बाद भी स्थिति खराब है।

धान के लिए यह मानक है तय

चावल : 67 प्रतिशत

विजातीय पदार्थ : दो प्रतिशत

क्षतिग्रस्त, बदरंग, अंकुरित : पांच प्रतिशत

संकुचित एवं सिकुड़े दाने : तीन प्रतिशत

धान में नमी : 17 प्रतिशत

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धान खरीद केंद्रों में किसी भी किसान को वापस नहीं किया जाना है। सभी क्रय केंद्र संचालकों को मानक के अनुरूप धान खरीदने के निर्देश दिए हैं। किसी प्रकार की समस्या होने पर किसान कंट्रोल रूम में शिकायत कर सकते हैं।  सुनील भारती, जिला खाद्य विपणन अधिकारी

 

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