संवाद सूत्र, मिरहची: बीते दो दिन गुरूवार और शुक्रवार को रूक रूककर हुई तेज बारिश से क्षेत्र के किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं हैं। अगर यही हालत रही तो किसान दाने दाने को मोहताज हो जायेगा। किसानों ने सरकार से आर्थिक मदद की मांग की है।
क्षेत्र के रतनपुर मांफी गांव बगल से होकर निकल रही हजारा नहर के किनारे बसा है। यहां के किसानों की मुख्य फसल धान और गेहूँ की खेती है। किसानों ने दिन रात की कड़ी मेहनत कर धान की फसल तैयार की। पिछले दो दिनों गुरूवार और शुक्रवार को हुई तेज मूसलाधार बारिश से जहाँ अन्य क्षेत्रों के किसानों को भारी नुकसान हुआ वहीं रतनपुर मांफी गांव में किसानों की बर्बादी का मंजर देखने को मिल रहा है। यहां के किसानों की धान की फसल बिल्कुल चौपट हो गई है। पूरी फसल खेतों में गिर गई है। किसानों की मानसिक हालत अपनी बर्बाद हुई फसलों को देखकर बिगड़ रही है। किसानों का कहना है कि उन्होंने धान की पौध लगाने से लेकर आज तक हजारों रूपये बैंक और.व्यापारियों से उधार लेकर लगाये हैं। वह कैसे चुकता होंगे। वहीं गांव नगला नथा, जिन्हैरा, फतेहपुर, कुटैना मांफी, नूरनगर, इनामनगर, हयातपुर, मीरापुर आदि गांवों के किसानों की धान और बाजरे की फसले शत प्रतिशत बर्बाद हो चुकीं हैं। लेकिन गुरूवार और शुक्रवार की रात्रि तेज हवाओं के साथ रूक रूक कर हुई तेज बारिश से किसानों की धान एवं बाजरा की सैकड़ों बीघा में हो रहीं फसल बर्बाद हो गईं। किसानों का रो रोकर बुरा हाल है। ग्रामीण क्षेत्र के किसानों में सुभाष चंद्र, पारथ सिंह, सुरेश चंद्र, रमेश चंद्र, सोमेंद्र, बोधपाल, दलवीर सिंह, जालिम सिंह, रामखिलाड़ी आदि किसानों ने जिलाधिकारी एटा अंकित अग्रवाल से गुहार लगाई है कि राजस्व विभाग की टीमों को गांवों में भेजकर उनकी बर्बाद हुई फसलों का सर्वेक्षण के माध्यम से आंकलन कराकर उनको हुई क्षति की भरपाई की जाये अन्यथा की स्थिति में प्राकृतिक आपदा के मारे किसान कर्ज के रसातल में डूब जायेंगे।
फोटो कैप्सन–गुरूवार और शुक्रवार दो दिन तक हुई तेज हवाओं के साथ घनघोर बारिश से खेतों में गिरी पड़ी धान की फसल।
–पीड़ित महिला किसान संगीता देवी।
रतनपुर मांफी गांव की पीड़ित महिला किसान शकुंतला देवी
–पीड़ित किसान ज्ञान सिंह।
–पीड़ित किसान देवराज सिंह।
–पीड़ित किसान अनिल कुमार सिंह।