बदायूँ : बिल्सी तहसील क्षेत्र के ग्राम भोजपुर सिमर्रा में युवा शाक्य संगठन के तत्वावधान में पाँच दिवसीय बौद्ध कथा का अयोजन किया जा रहा है। जिसके चौथे दिन देर रात बुद्ध सेवा समिति रजि. बिसौली की पूरी टीम ने कथा का अनुशरण किया।
मैनपुरी से पधारीं धम्मचारिणी रोशनी बौद्ध, शिखा बौद्ध एवं कथावाचक नंदकिशोर बौद्ध ने बौद्ध भिक्षु पटाचारा भिक्षुणी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जिस समय भगवान बुद्ध जेतवन अनाथपिंडिका के मठ में ठहरे हुए थे। उस समय पटाचारा श्रावस्ती से रहती थी अपने जीवन से निराश होकर दौड़ती हुई बुद्ध के चरणों में झुक गई, उसने अपने परिवार की त्रासदियों का वर्णन किया। बुद्ध ने बौद्ध सिद्धांतों का उपयोग करते हुए उसे समझाया, और पटाचारा ने तुरंत ही नश्वरता की प्रकृति को समझ लिया। जब उसे अपना वास्तविक नाम बताने के लिए कहा गया, तो उसे अजीब लगा क्योंकि उसका वास्तविक नाम ‘रूपवती’ था जिसका अर्थ है सुंदरता और उसकी स्थिति उसके नाम के बिल्कुल विपरीत थी।देखने में वह सुंदर नही थी। बुद्ध से प्रेरित होकर वह एक भिक्षुणी बन गई.भिक्षुणियों में विनय की अग्रणी रक्षक थीं और इस प्रकार भिक्षु उपाली की महिला समकक्ष थीं। कार्यक्रम में सर्वप्रथम आयोजन समिति के द्वारा आए हुए अतिथियों का फूल मालाओं द्वारा भव्य स्वागत किया गया।बुद्ध सेवा समिति के अध्यक्ष ने अपने वक्तव्य में भगवान बुद्ध के विचार एवं सिद्धान्तों को आत्मसात करने के लिए उपस्थित उपासक एवं उपासिकाओं को प्रेरित किया। इस दौरान मोहर सिंह शाक्य, चन्द्र पाल, सोवरन शाक्य, हरिओम शाक्य के साथ सैकड़ों लोग मौजूद रहे।