संजय शर्मा
भूलने राधा घनश्याम को
प्रेम चौदस जतन से मनाने लगे
बदायूं । शिव मंदिर मेला कमेटी अहिरवारा के बैनर तले ग्राम बुर्रा अहिरवारा शिव मंदिर उझानी मे विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जो कि सुबह तक चला ।
कवि सम्मेलन का शुभारंभ कवयित्री अंजली श्रीवास्तव की सरस्वती वंदना से हुआ । मेला कमेटी के पदाधिकारियों ने सभी आमंत्रित कविगण को माल्यार्पण करके स्मृति चिन्ह भेंट किए ।
नोएडा से आईं सुप्रसिद्ध कवयित्री माधुरी मुस्कान ने पढ़ा –
तेरी आंखों के सदके बातों पर कुर्वान कह जाना
वो हाथों को पकड़ कर प्यार से फिर जान कह जाना
लगाया था जो माथे पर अंदर से प्यार का टीका
मुझे दीवाना कर बैठा तेरा मुस्कान कह जाना
बदायूं से डा अरबिंद धवल ने पढ़ा –
राम नहीं दिखते भैया में सीता दिखे न भाभी में
ताले तोड़ रहे हैं हम विश्वास नहीं है चाभी में
पश्चिम की आंधी में उड़कर आज यहां हम पहुंचे हैं ।
हम कस्तूरी ढूंढ रहे हैं अब कुत्तों की नाभी में
बदायूं से आए हास्य ब्यंग्य कवि पवन शंखधार ने पढ़ा-
हम विदेशों की जूठन को खाने लगे
हम हैं बंदर नकलची जताने लगे
हम लगे भूलने राधा घनश्याम को
प्रेम चौदस जतन से मनाने लगे
ओज के सशक्त हस्ताक्षर उपेंद्र फतेहपुरी ने पढ़ा –
धर्म और मर्यादा को सम्मान दिलाने आए थे
राम जगत में भारत को पहचान दिलाने आए थे
दिल्ली से आईं बबिता पाण्डेय ने पढ़ा –
जल वायु अग्नि धरा नभ में अस्तित्व हैं ब्रह्म समान पिता हैं
द्वार खड़े वट वृक्ष हैं पावन मानो तो देव समान पिता हैं
सोरठ छंद हैं मानस के और गीता के श्लोक का ज्ञान पिता हैं
रोली कलावा या शंख नहीं मेरे मंदिर के भगवान पिता हैं ।
नोएडा से आई रूपा राजपूत ने पढ़ा –
उद्वेलित अंतस में सिंचित शब्दों का विस्तार है कविता
नेह प्रेम गउर्फत हो जिसमें सरिता की तो धार है कविता
मन में कहीं आह जो उपजी हुई तरंगित लेखन में
हिय में उमड़ी पीड़ा भेदे रोसी एक तलवार है कविता
डा गीतम सिंह ने पढ़ा –
चौपालों पर चर्चा की हम परतें परतें खोल रहे
बीते हुए समय को अपने वर्तमान से तोल रहे
उझानी से अंजली श्रीवास्तव ने पढ़ा –
हो सबब हिचकिचाने से क्या फायदा
यूं ही आंखें चुराने से क्या फायदा
पास जाकर उन्हें तुम लगाओ गले
प्यार है तो छुपाने से क्या फायदा
हरियाणा से आए कुमार राघव ने पढ़ा –
अम्बर छूने की चाहत है झूठा सपना अरमान नहीं है
मेरे राम से बेहतर जग में दूजा कोई प्रतिमान नहीं है
वन को जाना पड़ जाता है पिता के अंतिम दर्शन से
प्रश्न उठाने वालों सुन लो राघव होना आसान नहीं है
प्रकृतिवादी कवि जयवीर चंद्रवंशी ने पढ़ा –
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में घूम रहा इंसान
मैंने मां के पांव में देख लिए भगवान
कवि सम्मेलन का संचालन ओज कवि उपेंद्र फतेहपुरी ने किया ।
इस अवसर पर समाजसेवी हरीश यादव , सांसद प्रतिनिधि यदुनेश यादव, समाज सेवी राजन मेदरत्ता मस्टर अरविंद यादव, सुरेश पाल सिंह, अजय पाल शास्त्री जमुनेंद्र यादव राजभान मास्टर और जबर सिंह मास्टर आदि उपस्थित रहे ।