कोंच (जालौन): कोंच रामलीला में रविवार को शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि वेद ध्वनि के बीच भगवान राम और सीता का भव्य राज्याभिषेक संपन्न हुआ। बशिष्ठ मुनि की भूमिका में अतुल चतुर्वेदी ने पहला तिलक किया। इसी के साथ रामलीला के 170वें महोत्सव का विधिवत समापन हो गया है। शाम से शुरू हुई बारिश ने थमने का नाम नहीं लिया जिसके चलते दर्शनार्थी इस अद्भुत अनुपम और अलौकिक दृश्य का दर्शन करने से वंचित रहे। रामलीला का विभिन्न प्रकार से सहयोग करने में रामलीला समिति ने पालिकाध्यक्ष डॉ. सरिता वर्मा, सेनेटरी इंस्पेक्टर हरिशंकर निरंजन, सीनरी विभाग के संतोष तिवारी और बुजुर्ग रंगकर्मी सूरज शर्मा को सम्मानित किया।
धर्मार्थ कार्यों में लगी गल्ला व्यापारियों की शताब्दी भर पुरानी संस्था धर्मादा रक्षिणी सभा द्वारा संचालित कोंच की 170 वर्ष पुरानी रामलीला में रविवार की मध्य रात्रि श्रीराम राज्याभिषेक संपन्न हुआ। गुरु वशिष्ठ के रूप में कोंच रामलीला के अधिष्ठाता विहारीलाल गौड़ के वंशज चौधरी अतुल चतुर्वेदी ने प्रभु राम और जनकनंदिनी सीता को उच्च सिंहासन पर प्रतिष्ठित कर उनका राजतिलक किया और आरती उतारी, लोगों ने पुष्प वर्षा की। बड़ा ही अनुपम दृश्य उपस्थित था जिसमें कैकेई नंदन भरत भगवान राम और जानकी जी को चंवर डुला रहे थे तथा सौमित्र लक्ष्मण व शत्रुघ्न योद्धा वेश में आसनस्थ थे एवं महावीर हनुमान भगवान के श्रीचरणों में सेवारत थे। धर्मादा रक्षिणी सभा, रामलीला समिति और इसकी उपसमितियों अभिनय विभाग, सीनरी विभाग, श्रृंगार विभाग, सांकेतिक विभाग, गश्त विभाग, संगीत विभाग आदि के गंगाचरण वाजपेयी, मिथलेश गुप्ता, नवनीत गुप्ता, पीडी रिछारिया, केशव बबेले, पालिकाध्यक्ष डॉ. सरिता वर्मा, राजकुमार अग्रवाल, संजय सोनी, सुधीर सोनी खूजा वाले, रमेश तिवारी, चंद्रशेखर नगाइच मंजू, संजय सिंघाल, आनंद अग्रवाल, सुधीर सोनी, राकेश अग्रवाल, संतोष तिवारी, अभिषेक रिछारिया, नमन चतुर्वेदी, ध्रुव सोनी, दुर्गेश शुक्ला, मुरारी, राधारमण गुबरेले आदि ने प्रभु की मनोरम झांकी की आरती उतारी। चारों वेदों ने ब्राह्मण वेश में आकर प्रभु श्रीराम का गुणगान किया। भगवान भोले शंकर ने राम दरबार में आकर नृत्य किया। प्रभु श्रीराम ने लंका विजय के बाद अपने साथ आए विभीषण, सुग्रीव, अंगद, निषादराज आदि को वस्त्र आभूषण और उपहार देकर विदा किया। इस दौरान बैंड-बाजे बजे और गोले दाग कर नगर वासियों को श्रीराम राज्याभिषेक का समाचार दिया गया। बारिश का ऐसा प्रकोप रहा कि लोग रात भर घरों में कैद रहे जिसके चलते श्रीराम राज्याभिषेक के अलौकिक दृश्य का दर्शन करने से उन्हें वंचित रहना पड़ा। हालांकि बाद में बारिश थमने के बाद रात भर सजे रहे दरबार में पहुंचे नागरिकों ने दर्शन लाभ प्राप्त किया। प्रातः वेला में पांचों मूर्तियों का विसर्जन हो गया और रामलीला समिति ने उनकी विधिवत विदाई कर उन्हें उपहार देकर घरों को रवाना किया।