देश के विकास के साथ–साथ ऊर्जा की माँग में अनवरत बढ़ोत्तरी हो रही है। ऊर्जा के परम्परागत स्त्रोतों के दहन से होने वाले प्रदूषण के कारण, ऊर्जा के अतिरिक्त स्त्रोतों जैसे की जैव ऊर्जा के उत्पादन को प्राथमिकता प्रदान की जा रही है। जैव-ईंधन, तेल आयात पर निर्भरता और पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के साथ ही किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने में सहायक है।

सीएसआईआर भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के वैज्ञानिकों ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से ब्रेसिका केरीनाटा PC6 (काली सरसो) की फसल तैयार की है जिससे बायोडीजल बनाया जा सकता है। पिछले सप्ताह 21 नवंबर से 24 नवंबर के दौरान राष्ट्रीय वनस्पति अनुसन्धान संस्थान, लखनऊ के बंथरा केंद्र में इस फसल को लगाया गया। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के डॉ सरदाना के निर्देशन में इस फसल को तैयार किया जा रहा है जो की 4-5 महीने में तैयार हो जाएगी। इस फसल के बीज से निकाले गए तेल से बायोडीजल और बायोजेट ईंधन बनाया जा सकता है ।

सीएसआईआर भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में कार्यरत वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ जयति त्रिवेदी ने बताया की ब्रेसिका केरीनाटा के बीज में 30 से 40 प्रतिशत तक तेल मौजूद होता है और इससे लगभग 1 टन/ हेक्टेयर तेल का उत्पादन किया जाता है । परियोजना के अगले चरण में आई आई पी की पेटेंटेड तकनीक पर आधारित बायोडीजल यूनिट को लगा कर खेत पर ही बायोडीजल बनाया जायेगा जिससे किसान अपने उपकरण जैसे की ट्रेक्टर और पंप चला सकते हैं । सीएसआईआर आईआईपी के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ नीरज आत्रेय ने बताया कि इस फसलों से ना ही केवल बायोडीजल बन

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