संजय शर्मा

बदायूं । भ्रष्टाचार तो हर विभाग में है लेकिन जहां पर सरकार के नुमाइंदों से ही कमीशन खोरी हो रही हो, उस विभाग का नाम है जिला ग्राम्य विकास अभिकरण है।

जिले भर में सांसद से लेकर विधानसभा सदस्य तक सत्ता पक्ष का ही कब्जा है, लेकिन फिर भी सारे के सारे विधायक परियोजना निदेशक को अपनी निधि से पैसा जारी करने के लिए कमीशन खोरी करानी पड़ रही है ।

क्योंकि सभी जनप्रतिनिधियों के ठेकेदार रिश्तेदार या परिचित ही निर्माण कार्य कराने वाले लोग ही हैं, इसलिए किसी भी कार्य की जिम्मेदारी तो स्वत ही समाप्त हों जाती है, जहां पर सांसद व विधायक का नाम जुड़ गया हो । इसी बात का फायदा उठाकर डीआरडीए के बाबू से लेकर परियोजना निदेशक तक सांसद व विधायक निधि से पैसा जारी करने के नाम पर अवैध वसूली कर रहे हैं, फिर भी जनप्रतिनिधियों के द्वारा ऐसे भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी व बाबुओं को सत्ता पक्ष के विधायक व सांसद सब के सब झेल रहे हैं क्योंकि यह सरकार ईमानदारो की सरकार है।

इसका जीता जागता उदाहरण यह है बीते छह सालों से एक ही कमेटी जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी के द्वारा गठित कर दी गई थी वहीं कमेटी आज तक कार्य कर रही है जबकि शासनादेश यह है कि तीन साल से ज्यादा एक ही सीट पर बाबू नहीं रह सकता है लेकिन फिर भी भ्रष्टाचार के अड्डे पर बीते छह सालों से से एक ही कमेटी कार्य करा रही है , हर कमेटी में जिला ग्राम्य विकास अभिकरण का असिस्टेंट इंजीनियर बैठा हुआ है । जिले में कई मुख्य विकास अधिकारी का अधिकारी बदले जा चुके हैं परन्तु परियोजना निदेशक अनिल कुमार जो कि पिछले चार वर्षों से जमे हुए हैं इस दौरान इन्हें कभी खण्ड विकास अधिकारी का चार्ज दिया जा चुका है वर्तमान में भी उपायुक्त आजीविका मिशन का भी कार्यभार देख रहे हैं मजेदार बात यह है कि सत्यापन कमेटी के भी अध्यक्ष बने बैठे है, इससे स्वत ही स्पष्ट होता है कि सत्यापन किस प्रकार किया जा रहा होगा।

जबकि हर वर्ष कमेटी का नवीनीकरण होना चाहिए लेकिन यहां तो सरकार के आदेशों को ही ठेंगा दिखा रहे हैं जिले के आला अधिकारी, फिर तो बाबुओं की तो हो जाएगी बल्ले बल्ले।

बावजूद इसके किसी भी सांसद व विधायक , राज्य सभा सांसद को भी इस बात का फर्क नहीं पड़ता है किस की कितनी बदनामी हो रही है सारे के सारे के सारे सत्ता पक्ष के विधायक, सांसद यहां तक कि विधान परिषद सदस्यों की, या यह कहें कि सारे के सारे एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं

सत्ता पक्ष में होने के बाद में भी इन जनप्रतिनिधियों को लेकर परियोजना निदेशक जिला ग्राम्य विकास अभिकरण के मन में कोई भय नहीं है क्योंकि उसके ऊपर भी किसी छुटभैय्ए नेता का ही हाथ होगा, इसलिए तो वह सभी जनप्रतिनिधियों से कमीशन खोरी कर रहा है

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