गोरखपुर। मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त में महायोगी गोरखनाथ को पवित्र खिचड़ी चढ़ाई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाथ पंथ की विशिष्ट परंपरा के अनुसार शनिवार को शिव अवतारी गुरु गोरखनाथ को लोक आस्था की खिचड़ी चढ़ाकर समूचे जनमानस की सुख समृद्धि की मंगलकामना की।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर में भगवान बाबा गोरखनाथ को श्रद्धा की पवित्र खिचड़ी चढ़ाने के बाद श्रद्धालुओं को मकर संक्रांति का हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि मकर संक्रांति का पावन पर्व है। बाबा गोरखनाथ को पवित्र खिचड़ी चढ़ाने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है। कल भी और आज भी लाखों की संख्या में श्रद्धालुजन आकर भगवान गुरु गोरखनाथ को श्रद्धा की पवित्र खिचड़ी चढ़ा रहे हैं। भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक परम्परा में मकर संक्रांति पर्व का अपना महत्व है। जगत पिता सूर्य की उपासना से जुड़ा यह पर्व उत्तर हो या दक्षिण, पूर्व हो या पश्चिम, अलग अलग नाम और रूपों में मनाया जाता है। बड़ी श्रद्धा के साथ लोग इस पर्व और त्योहार से जुड़े होते हैं। खासतौर पर इस मकर संक्रांति के पर्व से शुभ कार्यों को करने का शुभारंभ भी होता है। भगवान सूर्य उत्तरायण में आज से प्रवेश करते हैं। भगवान का यह उत्तरायण शुभ कार्यों को करने की प्रशस्ति भी मानी जाती है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने लोगों से अपील की कि आस्था के साथ कोरोना महामारी को लेकर भी सतर्क रहें। उन्होंने कहा कि इस समय सावधानी और सतर्कता अत्यंत आवश्यक है। यह इस सदी की महामारी से बचाव का सर्वोत्तम उपाय है। सार्वजनिक स्थानों पर सभी लोग मास्क जरूर लगाएं। बीमार और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के लोग, बच्चे, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें। घर में भी मास्क धारण करें।
उन्होंने लोगों से वैक्सीन की दोनों डोज जरूर लगवा लेने की अपील की। 60 साल की उम्र के लोग और कोरोना वारियर्स बूस्टर डोज भी ले लें। सीएम ने कहा कि टीकाकरण ही कोरोना से सुरक्षा का एकमात्र उपाय है। सीएम ने कहा कि लोग आस्था को स्वयं के साथ-साथ सामुदायिक स्वास्थ्य पर भी हावी होने देते हैं जिसकी कीमत बड़े तकबे को उठानी पड़ती है। कोरोना की यह तीसरी लहर दूसरी बेव की अपेक्षा खतरनाक नहीं है। 99 फीसदी लोग घर में ही ठीक हो जाते हैं लेकिन फिर भी हमें सतर्कता और सावधानी बरतनी होगी।
सूर्यदेव के उत्तरायण होने पर खिचड़ी चढ़ाने की यह अनूठी परंपरा पूरी तरह लोक आस्था को समर्पित है। गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी के रूप में चढ़ाए जाने वाला अन्न पूरे वर्ष जरूरतमंदों में वितरित किया जाता है।

शुक्रवार की रात 8 बजकर 49 मिनट पर सूर्यदेव के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते ही मकर संक्रांति का शुभारंभ हो गया है। ऐसे में अरुणोदय काल में मकर संक्रांति का महापर्व शनिवार को मनाया जा रहा है। इस दिन उत्तर प्रदेश, बिहार व देश के विभिन्न भागों के साथ-साथ पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी कुल मिलाकर लाखों की तादाद में श्रद्धालु शिव अवतारी बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ा रहे हैं।
मंदिर प्रबंधन की तरफ से कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। खिचड़ी महापर्व को लेकर मंदिर व मेला परिसर सजकर तैयार है। समूचा मंदिर क्षेत्र सतरंगी रोशनी में नहाया हुआ है। मंदिर प्रबंधन की तरफ से श्रद्धालुओं के ठहरने और अन्य सुविधाओं का पूरा इंतजाम किया गया है।
पूरे महीने चलेगा खिचड़ी मेला
गोरखनाथ मंदिर सामाजिक समरसता का ऐसा केंद्र है, जहां जाति, पंथ, महजब की बेड़ियां टूटती नजर आती हैं। इसके परिसर में क्या हिंदू, क्या मुसलमान, सबकी दुकानें हैं। बिना भेदभाव सबकी रोजी रोटी का इंतजाम है। यही नहीं, मंदिर परिसर में माहभर से अधिक समय तक लगने वाला खिचड़ी मेला भी जाति-धर्म के बंटवारे से इतर हजारों लोगों की आजीविका का माध्यम बनता है।
त्रेतायुगीन है बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा
गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा त्रेतायुगीन मानी जाती है। मान्यता है कि आदि योगी गुरु गोरखनाथ एक बार हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मां ज्वाला देवी के दरबार मे पहुंचे। मां ने उनके भोजन का प्रबंध किया। कई प्रकार के व्यंजन देख बाबा ने कहा कि वह तो योगी हैं और भिक्षा में प्राप्त चीजों को ही भोजन रूप में ग्रहण करते हैं। उन्होंने मां ज्वाला देवी से पानी गर्म करने का अनुरोध किया और स्वयं भिक्षाटन पर निकल गए।
भिक्षा मांगते हुए वह गोरखपुर आ पहुंचे और यहीं धूनी रमाकर साधनालीन हो गए। उनका तेज देख लोगों ने उनके खप्पर में अन्न (चावल, दाल) दान करते रहे। इस दौरान मकर संक्रांति का पर्व आने पर यह परंपरा खिचड़ी पर्व के रूप में परिवर्तित हो गई। तब से बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने का क्रम हर मकर संक्रांति पर लगातार जारी है। कहा जाता है कि उधर ज्वाला देवी के दरबार में बाबा की खिचड़ी पकाने के लिए आज भी पानी उबल रहा है।

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