कोंच(जालौन): देश की सर्वश्रेष्ठ मैदानी रामलीला का खिताब पाने वाली कोंच रामलीला की दूसरी मैदानी प्रस्तुति मारीच बध लीला का शानदार प्रदर्शन मेले के रूप में गढी के मैदान में दर्शाया गया। मेला देखने के लिए न केवल नगर बल्कि आसपास के ग्रामीण इलाकों से भी हजारों की संख्या में भीड़ जुटी थी। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए सर्किल के अन्य थानों का फोर्स भी लगाया गया था।
कोंच की विश्व विख्यात रामलीला का दूसरा मैदानी आयाम मारीच बध मेला शनिवार को गढी के मैदान में संपन्न हुआ। मैदान के पश्चिमी छोर पर जलकल कार्यालय के पास पंचवटी में प्रभु राम सीता और लक्ष्मण के साथ विराजमान हैं। लंकाधिपति रावण की बहन सूर्पनखा राम की मोहिनी छवि पर रीझ जाती है और उनसे प्रणय निवेदन करती है। राम अपने एक पत्नी व्रतधारी होने की बात कहकर लक्ष्मण के पास भेज देते हैं और लक्ष्मण उसके नाक कान काट लेते हैं। बहन की यह दुर्दशा देखकर रावण कुपित होकर अपने मामा मारीच को स्वर्ण मृग बनाकर पंचवटी भेजता है। सीता के कहने पर राम उस मृग का आखेट करने जाते हैं। मरते हुए मारीच राम का स्वर बना कर आर्तनाद करता है। राम का सा स्वर सुनकर सीता विचलित हो उठती हैं और लक्ष्मण को अपने भाई की सहायता के लिए जाने का आदेश देती हैं। लक्ष्मण के जाते ही रावण ब्राह्मण वेश में आकर भिक्षा मांगने का ढोंग करता है और सीता का हरण कर लेता है। इसके बाद रावण का विशालकाय जटायु के पुतले के साथ घनघोर युद्ध होता है। अंततः जटायु का प्राणांत हो जाता है। भगवान राम जटायु का अपने हाथों अंतिम संस्कार करते हैं। मेला ग्राउंड में रातभर कड़ी मेहनत कर सीनरी विभाग के कार्यकर्ताओं ने पंचवटी का निर्माण किया। रामलीला संचालन करने वाली मातृ संस्था धर्मादा रक्षिणी सभा के अध्यक्ष गंगाचरण वाजपेयी मंत्री मिथलेश गुप्ता कोषाध्यक्ष नवनीत गुप्ता रामलीला समिति के संरक्षक पुरुषोत्तमदास रिछारिया, केशव बबेले, अध्यक्ष राजकुमार अग्रवाल मोंठ वाले मंत्री संजय सोनी कोषाध्यक्ष सुधीर सोनी खूजा वाले अभिनय विभाग के अध्यक्ष रमेश तिवारी मंत्री सुधीर सोनी, अभिषेक रिछारिया’पुन्नी’, राहुल तिवारी, संतोष तिवारी, चंद्रशेखर नगाइच, संजय रावत, संजय सिंघाल, प्रमोद सोनी, मेला निगरानी समिति के अध्यक्ष काजी जहीरउद्दीन, मंत्री नवीन कुशवाहा,डील विभाग के दुर्गेश कुशवाहा, दिलीप पटेल, विवेक चड्ढा, राहुल राठौर, ऋषि झा, विवेक द्विवेदी, शैलेंद्र पटैरिया आदि व्यवस्थाओं में लगे हुए थे।