बदायूं । डॉ. उर्मिलेश का परिवार दुखी है नेता जी के निधन से पूर्व मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव का राजनीति के साथ बदायूं के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. उर्मिलेश से भी व्यक्तिगत एवं आत्मीय नाता रहा है। उनकी एवं डॉ. उर्मिलेश के सम्बन्धों की शुरुआत भी बहुत खास रही है, जब वे मुख्यमंत्री थे और इटावा के एक कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रुप में मौजूद थे मंच पर अपनी ओजपूर्ण शैली के लिए विख्यात कवि डॉ. उर्मिलेश ने उस समय चल रहे राममंदिर आंदोलन से प्रेरित उनके विरुद्ध संकेत करती कविता उनके सम्मुख ही पढी, सब अंचम्भित थे, किन्तु मुलायम सिंह यादव ने मंच पर आकर अपने उद्बोधन में अपनी बात रखी और डॉ. उर्मिलेश के कवितापाठ की खूब प्रशंसा कर उन्हें सच्चा कवि बताया। तब से डॉ. उर्मिलेश भी नेताजी के कायल हो गये और फिर बाद में कभी सैफई, कभी मैनपुरी और लखनऊ के बहुद सारे कवि सम्मेलनों के दौरान दोनों की भेंट हुई और सम्बन्ध आत्मीय हो गये। डॉ भी वे यहां आये। उनका साहित्यकारों के प्रति यह अनुराग साहित्यकार कभीनहीं भूल पायेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव के निधन ने जहां हर कोई दुखी एवं द्रवित है वहीं बदायूं के साहित्यकार रहे स्वर्गीय डॉ. उर्मिलेश भी उनके निधन से बहुत दुखी हैं। डॉ. उर्मिलेश के पुत्र एवं बदायूं क्लब के सचिव डॉ. अक्षत अशेष ने नेता जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वे सच्चे मायनों में धरतीपुत्र थे एवं जन-ंजन के नेता थे। साहित्यकारों कोसम्मान कैसे दिया जाता है वह कोई उनसे सीखे। उनके पिता के जीवन में और जीवन के बाद भी उन्होंने उन्हें भरपूर सम्मान दिया। उनके पिता के निधनके बाद जो संरक्षण हमारे परिवार को दिया उसके लिए वे सदैव उनके ऋणी रहेंगे।
जब जब उन्होंने अपनी कोई समस्या उनके सम्मुख रखी तो उन्होंने उस समस्या का तत्काल हल कर दिया। पिता की स्मृति में उन्होंने उनकी समस्त कृतियों को समस्त सरकारी पुस्तकालयों में संग्रहीत कराया, मरणोपरान्त ससम्मान यशभारती सम्मान प्रदान किया, डॉ. उर्मिलेश स्मृति बदायूं महोत्सव के उद्घाटन में सम्मिलित होकर जहां अपने प्रिय कवि को श्रद्धांजलि दी वहीं उनके नाम से डॉ.उर्मिलेश मार्ग एवं बदायूं क्लब में उनकी प्रतिमा का लोकार्पण किया। उनका निधन हमारे पूरे परिवार के लिए व्यक्तिगत क्षति है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो
सकती है।