कोंच। पिछले करीब एक महीने से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से जहां आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है वहीं इसने किसानों के मुंह का स्वाद भी कसैला कर के रख दिया है। सितंबर के दूसरे पखवाड़े से शुरू होकर अभी भी लगातार हो रही इस बारिश में खरीफ की फसल में बोई गई कमोवेश सभी जिंसों को बर्बाद तो कर दिया है, आने वाली रवी की फसल का भी जायका पूरी तरह बिगड़ा हुआ नजर आ रहा है क्योंकि ज्यादातर खेत तालाब बने हुए हैं और इनके जल्दी सूखने के फिलहाल कोई आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं। ऐसी स्थिति में हरी मटर उगाने वाले किसानों की तो कमर ही टूट गई है क्योंकि हरी मटर की बुवाई का समय लगभग निकल ही चुका है। इसके अलावा अन्य दलहनी और तिलहनी फसलों की बुवाई भी काफी लेट हो पाने की स्थितियां बनती दिखाई दे रही हैं।

जनपद जालौन सरकारी तौर पर भी मटर का हब घोषित है और जिला जालौन हरी मटर के उत्पादन तथा उसके अंतरराज्यीय निर्यात के लिए भी जाना जाता है। कोंच मंडी न केवल हरी मटर बल्कि अन्य कृषि जिंसों की बड़ी मंडी है जहां साल भर अच्छा व्यापार होता है लेकिन आने वाले साल को लेकर यहां का व्यापारी वर्ग भी इस बात को लेकर संशय में है कि भारी बारिश के कारण सीजन में आवक पर बुरा असर पड़ सकता है। इस साल बारिश कहर बन कर टूटी है, मौसम विभाग ने जो आंकड़े बारिश के जारी किए हैं उनके मुताबिक अक्तूबर में पांच सौ फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। ये आंकड़े डराने वाले हैं क्योंकि जब तक बारिश थमेगी और किसान बुवाई के लिए खेत तैयार करेगा तब तक बुवाई का समय ही जाता रहेगा। इस तरह देखा जाए तो कभी सूखा और कभी अतिवृष्टि के चलते बर्बादी अपने मुकद्दर में लिखा चुका किसान एक बार फिर अपने मुकद्दर से लड़ता दिखाई दे रहा है। जुलाई में समय से बारिश नहीं होने के कारण खरीफ की फसल पहले ही सूखे की भेंट चढ़ चुकी है। जो इक्का-दुक्का किसान तिल, मूंग, उड़द, सोयाबीन आदि बो भी चुके थे उनकी फसलों को इस अतिवृष्टि ने बुरी तरह बर्बाद कर दिया है जिससे किसान अपना माथा पीटने की स्थिति में पहुंच चुका है। चूंकि कोंच तहसील क्षेत्र हरी मटर के उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र है सो यहां के किसान की आस हरी मटर पर टिकी थी कि खरीफ में हुए नुकसान की भरपाई वह हरी मटर से कर लेगा, लेकिन उसकी इस उम्मीद पर अक्तूबर में भी जारी अनवरत बारिश ने पानी फेर दिया है। किसान हरी मटर को नकद फसल के तौर पर भुनाता है और मटर के बाद गेहूं की फसल भी ले लेता है या फिर मैंथा की बुवाई करके मुनाफा कमा लेता है लेकिन अबकी दफा बारिश ने किसान की सेहत बिगाड़ कर रख दी है।

इंसेट में-

कोंच। क्षेत्र के ग्राम देवगांव के अच्छे काश्तकार हरगोविंद पटेल अक्तूबर के दूसरे पखवाड़े में हो रही इस बारिश को किसानों की दुश्मन बता रहे हैं। उन्होंने बताया कि हरी मटर की बुवाई नवरात्र में हो जानी चाहिए थी लेकिन खेतों में इतना पानी है कि उसके सूखने में ही बीस दिन से लेकर महीने भर का समय लग सकता है। ऐसी स्थिति में इस साल हरी मटर की तो छोड़ो, अन्य जिंसों को बोने में भी दांतों पसीना आ जाएगा।

इंसेट में-

कोंच। नगर के प्रमुख व्यवसायी मनोज इकड़या भी इस बारिश से काफी सहमे हुए हैं। उन्होंने बताया कि प्रकृति ने बारिश के रूप में जो कहर बरपाया है उससे किसान तो सीधे तौर पर बर्बाद होता दिख ही रहा है लेकिन परोक्ष रूप से इससे पूरा बाजार ही बुरी तरह प्रभावित होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। उनका मानना है कि जब किसान की क्रय शक्ति कमजोर होगी तो इसका सीधा दबाव बाजार पर होगा।

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भाजपा नगर अध्यक्ष को मातृशोक

कोंच। नगर के प्रमुख गल्ला व्यवसायी रहे स्व. उमाशंकर लोहिया की पत्नी एवं भाजपा नगर अध्यक्ष सुनील लोहिया की माताजी श्रीमती देवकुमारी का मंगलवार देर रात निधन हो गया है। वे 85 वर्ष की थीं और कुछ समय से बीमार चल रही थीं। बुधवार दोपहर सिंहवाहिनी मोक्षधाम पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया है, मुखाग्नि उनके सबसे छोटे बेटे अवनीश लोहिया ने दी है। नगर व क्षेत्र के सैकड़ों लोग अंतिम यात्रा में शामिल रहे।

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