BUDAUN SHIKHAR

बदायूँ

रिपोर्ट -आसिफ अली

मौसम की मार से मेंथा फसलों में संकट, भू-जल स्तर नीचे खिसकने से किसानों की बढ़ी मुश्किलें

पानी के अभाव में सूख रही मेंथा की फसल।

दस फीट नीचे चेम्बर काट सिंचाई हेतु पंपसेट चलाने पर मजबूर किसान

सहसवान (बदायूँ)- आसिम अली
मेंथा की खेती से तकलीफ सवारने वाले किसानों को आखिरकार मौसम की मार झेलनी ही पड़ रही है। लगातार बढ़ती जा रही गर्मी व तपती धरती से भू-जल स्तर काफी नीचे खिसकता जा रहा है। जिससे क्षेत्र में पानी की किल्लत होने लगी है। साथ ही बाटर लेविल डाउन होने से सिंचाई की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। ऐसे में मेंथा की खेती पर संकट के बादल मड़राने लगे है। लहराते फसल पर सिंचाई का ग्रहण लगते देखकर किसानों का कलेजा मुँह को रहा है। क्षेत्र के किसानों के अनुसार भू-जल स्तर काफी नीचे खिसक जाने से खेतों में लहराते मेंथा फसल के समक्ष अब पटवन की समस्या उत्पन्न हो गई है। जिसके चलते फसल ग्रोथ नहीं कर पा रही है। रेलई माधौपुर गांव के किसान तालेबर , धनपाल, पूरन, आदि किसानों ने बताया कि पिछले साल अधिक पैदाबार होने से मेंथा से अच्छी आमदनी हुई थी।फसल के मौसम में एक दो बार बारिश भी हुई थी जिससे मेंथा ऑयल की पैदाबार भी अधिकतर हुई थी मार्किट रेट भी अच्छा मिला था जिसको देखकर इस साल क्षेत्र के अधिकतर किसान अपने खेतों में मेंथा की फसल लगाये है। पर मौसम ने ऐसा करवट बदला है कि उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आने लगा है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के पानी की कमी व जल स्तर में गिरावट आ जाने से समय से मेंथा फसल की सिंचाई नहीं हो पा रही है।पिछली साल से ज़्यादा इस बार मेंथा की फसल में डीजल की महंगाई की मार को देखते हुए मेंथा की सिचाई भी अधिक हो रही है जिसको लेकर किसान काफी चिंतित है। भू-जल स्तर तेजी से इस कदर खिसक रहा है कि जहां कम डीजल में फसल की सिंचाई हो जाती थी जलस्तर में गिरावट आने से डीजल भी अधिक खर्च हो रहा है कुछ किसानो ने अपने बोरिंगों में दस फीट नीचे चेम्बर काट सिंचाई हेतु पंपसेट चलाने पर मजबूर है। इस बार मौसम की मार और गिरते जलस्तर के चलते किसानों को मेंथा की कम पैदाबार होने आशंका बनी हुई है

जिलेदार निवासी डाकारा पुख्ता-कहना है जलस्तर कम होने से मेंथा की सिंचाई नही हो पा रही है जिससे फसल की सिंचाई नही हो पा रही है

नियाज़ मुहम्मद निवासी बहबलपुर–का कहना है पिछली फसल के मौसम में एक दो बार बारिश भी हुई थी जिससे मेंथा ऑयल की पैदाबार भी अधिकतर हुई थी मार्किट रेट भी अच्छा मिला था अब तो सिर्फ लागात से की कीमत मिल पायेगी

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