लखनऊ : यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए छोटे खास तौर पर शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले (बीपीएल) उपभोक्ताओं व किसानों की बिजली दरों में कमी की जा सकती है। शासन से लेकर पावर कॉर्पोरेशन के आला अधिकारी मंथन में जुटे हैं कि इन श्रेणियों की दरें कम करने पर सरकार पर कितना अतिरिक्त खर्च आएगा। चुनाव की घोषणा से पहले योगी सरकार इसका एलान कर सकती है।
सूत्रों के अनुसार प्रदेश में करीब 24 लाख उपभोक्ता ऐसे हैं, जिन्होंने एक बार भी बिल का भुगतान नहीं किया है। इनमें ज्यादातर बीपीएल श्रेणी के हैं। वहीं, हर माह 100 यूनिट तक बिजली का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 19 लाख है। इन्हें तीन रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जा रही है। इसे कम करने पर विचार किया जा रहा है। साथ ही हर माह 200 यूनिट तक बिजली का इस्तेमाल करने वाले छोटे उपभोक्ताओं की दरों में भी कमी पर विचार किया जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में 100 यूनिट तक की खपत वाले उपभोक्ताओं की संख्या करीब 29 लाख है, जबकि शहरों में 150 यूनिट तक खर्च करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 11 लाख है।
अनमीटर्ड उपभोक्ताओं की दरों में भी कमी का दबाव
सरकार पर करीब सात लाख ग्रामीण अनमीटर्ड उपभोक्ताओं की दरों में भी कमी का दबाव भी है। सपा सरकार में इनकी दर 180 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह थी जो अब बढ़कर 500 रुपये प्रति किलोवाट प्रतिमाह हो गई है। इन्हें भी कुछ राहत देने पर विचार चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि रियायत के दायरे में किन-किन श्रेणी के उपभोक्ताओं को रखा जाएगा इसका फैसला वित्तीय संसाधनों का आंकलन करने के बाद किया जाएगा।
निजी नलकूप उपभोक्ताओं को भी राहत संभव
चुनाव के मद्देनजर सरकार निजी नलकूप उपभोक्ताओं की दरों में भी कमी कर सकती है। प्रदेश में 13,15,946 निजी नलकूप उपभोक्ता हैं। बृहस्पतिवार को जारी टैरिफ आर्डर में इन्हें इतनी राहत तो दी गई है कि मीटर लगने के बाद भी इन्हें 170 रुपये प्रति हार्सपावर प्रतिमाह की दर से ही भुगतान करना होगा। इनकी दरों में भी कमी की गुंजाइश तलाशी जा रही हैं।