फर्रूखाबाद 5 जुलाई 2022 l

प्रधानमंत्री का सपना है कि देश सन 2025 तक टीबी जैसी जानलेवा बीमारी से मुक्त हो जाए इसमें टीबी के डॉक्टर से लेकर नीचे के स्वास्थय कर्मियों का बहुत बड़ा योगदान होता है l इसी मे लैब टेक्नीशियन का रोल काफी अहम माना जाता है जब लैब टेक्नीशियन जांच कर बताता है कि किसको टीबी ने घेर रखा है और किस तरह की टीबी है उस हिसाब से डॉक्टर इलाज शुरू करता है यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ सुनील मल्होत्रा का l

डीटीओ ने बताया कि जिले में सभी सीएचसी पीएचसी पर टीबी की जांच की जाती है जिसमें सभी लैब टेक्नीशियन का अहम किरदार होता है लेकिन जब रोग पकड़ में न आए तो सीबी नाट जांच जरुरी हो जाती है l

इसी को लेकर जिले में एक सीबी नाट मशीन जिला क्षय रोग केन्द्र में फरवरी 2016 में लगाई गई पहले टीबी की जॉच होने तिर्वा मेडिकल कॉलेज जाती थी लेकीन अब यहीं होने लगी है इस मशीन के द्वारा प्रतिदिन लगभग 12 लोगों की जॉच हो जाती है l

जिला क्षय रोग केन्द्र पर सीबी नाट से जांच करने वाले शशांक हजेला ने बताया कि हमको पता नहीं होता है कि किसको किस तरह की टीबी है ? कितनी खतरनाक है ? जांच के दौरान हम बलगम के सम्पर्क में भी आते हैं। इससे टीबी होने का खतरा भी बना रहता है l इसके लिए हमको पूरी सावधानी बरतनी पड़ती है l उन्होंने बताया कि जिले की सीबी नाट मशीन से सन् 2016 से अब तक 8715 मरीजों की जांच की गई जिसमें से 503 मरीज एमडीआर टीबी के निकले l

 

जिला समन्वयक सौरभ तिवारी ने बताया कि जिले में इस समय 1653 टीबी रोगी हैं जिनका इलाज चल रहा है l साथ ही बताया कि निक्षय पोषण योजना के तहत क्षय रोगियों को इलाज के दौरान प्रतिमाह 500 रुपये सीधे बैंक खाते में भेजे जाते हैं | इस वर्ष अभी तक लगभग 1452 टीबी रोगियों को 20.66 लाख रुपए का भुगतान विभाग द्वारा किया जा चुका है l

सेंट्रल जेल के पास की रहने वाली कोमल ने बताया कि जब मेरी सीबी नाट मशीन द्वारा जॉच हुई और मुझे टीबी होने की जानकारी मिली तो मैं डर गई ऐसे में शशांक ने मुझे समझाया कि डरो नहीं इसका इलाज है और आप स्वस्थ हो जाओगी मेरा इलाज चला अब मुझे आराम है मैं धन्यवाद देना चाहती हूं सभी का जिन्होंने मेरा इस मुश्किल घड़ी में साथ दिया l

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