कल 22 नवंबर को लखनऊ में होने वाली किसान महापंचायत के लिए भाकियू ने लगाया जोर

लखीमपुर खीरी। किसानों के विरोध के बाद सरकार ने तीन कृषि कानून की वापसी का एलान भले ही कर दिया हो, लेकिन किसान आंदोलन की तपिश जिले में अब भी बाकी है। कल लखनऊ में होने वाली किसान महापंचायत को लेकर किसान संगठनों ने जोर आजमाइश शुरू कर दी है।
भाकियू टिकैत गुट का कहना है कि करीब दस हजार लोग जिले से लखनऊ में होने वाली पंचायत में शामिल होने जाएंगे। उन्होंने कहा कि किसानों के हर मुद्दे को लड़ने के लिए भाकियू आगे आएगी। इन्हीं सब मांगों के लिए किसान कल 22 नवंबर को लखनऊ जाने की तैयारियों में जुटे हुए हैं, जबकि 26 नवंबर को आंदोलन के एक साल पूरा होने पर किसान दिल्ली बॉर्डर पर भी पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं।
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सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला बहुत पहले करना चाहिये था। तमाम किसान साथी मारे गए हैं। तमाम किसानों के ऊपर फर्जी मुकदमे भी लिखे गए हैं। सरकार को मारे गए किसानों को मुआवजा देना चाहिए और किसानों के ऊपर लिखे गए फर्जी मुकदमे वापस होने चाहिए। सरकार को किसान आयोग का गठन जल्द से जल्द किया जाना चाहिए।
-श्यामू शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, कार्यवाहक किसान यूनियन अवध
जब तक सरकार एमएसपी की गारंटी नहीं देती धरना प्रदर्शन समाप्त नहीं होगा और संघर्ष चलता रहेगा। 22 तारीख को हम लोग लखनऊ में महापंचायत करेंगे, जिसमें किसानों का बढ़ा बिजली बिल, फर्जी मुकदमे खत्म करने की मांग होगी। जब तक किसानों की संपूर्ण समस्या का समाधान नहीं हो जाता संघर्ष जारी रहेगा।
– अनूप अनूप सिसौैदिया, जिलाध्यक्ष, किसान यूनियन स्वराज
सरकार ने तीन कृषि कानून वापस लिया है। यह किसान संगठन की जीत है। अब सरकार शहीद हुए किसानों को शहीद का दर्जा दे और उनको मुआवजा दे। एमएसपी की गारंटी भी सरकार को देनी चाहिए। तभी आंदोलन थमेगा।
-रामसनेही गुप्ता, प्रदेश सचिव, भारतीय किसान यूनियन स्वराज

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