बढ़ती सर्दी में जरा सी लापरवाही बच्चों पर पड़ सकती है भारी
लखीमपुर खीरी। नवंबर में सर्दी ने अब अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। पिछले तीन चार दिन से सर्दी का सितम लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसका सबसे बुरा असर बच्चों पर पड़ा है। बढ़ती सर्दी के कारण बच्चे कोल्ड डायरिया की चपेट में आकर जिला अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। डॉक्टर बताते हैं कि बढ़ती ठंड में बच्चों का ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि इस मौसम में मां की जरा सी लापरवाही बच्चों को मुसीबत में डाल सकती है।
पिछले कुछ दिन से अचानक सर्दी बढ़ने लगी है। इसका असर बच्चों पर पड़ने लगा है। इससे बच्चे कोल्ड डायरिया का शिकार होकर चिल्ड्रन वार्ड में रोजाना भर्ती हो रहे हैं। पिछले दो दिन में उल्टी-दस्त आने पर हाथीपुर निवासी राहुल चार वर्षीय पुत्री रानी एवं तीन वर्षीय पुत्र कृष्णा, हाथीपुर निवासी जितेंद्र एक वर्षीय पुत्री काव्या, नौरंगाबाद निवासी अमित एक वर्षीय पुत्र कान्हा, बरखेरवा निवासी विजय चार वर्षीय पुत्र अंबुज एवं बाबूराम सर्राफनगर निवासी सोनू एक वर्षीय पुत्र शौर्य को लेकर जिला अस्पताल आए। हालत नाजुक होने पर सभी को चिल्ड्रन वार्ड में भर्ती कर इलाज शुरू हो गया।
ये लक्षण दिखने पर हो जाएं सावधान
कोल्ड डायरिया में दस्त, भूख न लगना, कंपकंपी, पूरे दिन सुस्ती रहना, पेट दर्द आदि की समस्या बढ़ जाती है। अधिक ठंड में निमोनिया होने का भी खतरा रहता है। इसमें फेफड़ों में इंफेक्शन और लगातार खांसी आना, सीने में खड़खड़ाहट की आवाज, सांस तेज तेज चलना, चेहरा नीला पड़ना, पसली चलना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
ऐसे करें बचाव
इस मौसम में तमाम बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं। इसलिए बंद कमरे में घर के ज्यादा लोग एक साथ न रहें। इससे निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। दिन में खिड़की खोलकर रखें। बच्चों के कपड़ों से लेकर उनका बिस्तर आदि साफ रखें। ताजा बना खाना दें। छह माह तक के बच्चे को सिर्फ स्तनपान कराएं।
बच्चों को लेकर माता-पिता रहें सतर्क
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आरपी वर्मा बताते हैं कि सर्दी बढ़ने के कारण मौसम में नमी हो जाती है। इससे इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होते हैं। इसलिए बच्चों को ठंड से बचाने का विशेष प्रयास करें। ठंड में बच्चों को कोल्ड डायरिया, निमोनिया, सर्दी, बुखार, खांसी, त्वचा रोग आदि होने की संभावना रहती है। जरा सी लापरवाही बच्चों को नुकसान पहुंचा सकती और संक्रामक रोग उल्टी-दस्त की समस्या पैदा कर सकते ह