बदायूँ (सू0वि0)। डीएम ने लेखपालों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वरासत दर्ज की जाए, कोई छूटने न पाए। जिन लोगों की वरासत नहीं हुई है। वह वरासत करवाएं, अन्यथा वह शासकीय योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाएंगे। जिलाधिकारी कुमार प्रशान्त के समक्ष विकासखण्ड अम्बियापुर के अन्तर्गत ग्राम रायपुर बुजुर्ग में एवं विभिन्न गांवांे में अन्य अधिकारियों के समक्ष भी खतौनियाँ पढ़ी गईं। डीएम ने लाभार्थियों से जाना कि उनको योजना का शतप्रतिशत लाभ मिल रहा हैं या नहीं। गांव में निमार्णाधीन भवन को देखकर डीएम ने ग्राम सचिव को तेज गति से कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि खाद के गढडे के आगे बाउंड्रीवाल करा दें जिससे सामने वाले घर में बदबू न जाए और गढ्डे में केचुए छोड़कर उसमें जैविक खाद बनाई जाए।

डीएम ने ग्रामीणों को विधवा, वृद्धावस्था एवं दिव्यांगजन सहित विभिन्न प्रकार की पेंशन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सभी पात्र पेंशन के अभिलेख ग्राम सचिव व खण्ड विकास अधिकारी को उपलब्ध करा दें। जांच के उपरान्त उनको योजनाओं का लाभ मिलना प्रारंभ हो जाएगा। डीएम ने गांव का भ्रमण कर निरीक्षण किया व निर्देश दिए कि जिन लोगों के शौचालय बने हुए हैं और वह शौचालय का प्रयोग नहीं कर रहे हैं या उसमें भूसा व कुछ अन्य सामग्री को भर दिया है। ऐसे लोगों को नोटिस जारी कर योजना से शौचालय बनाने के लिए मिली धनराशि की शतप्रतिशत वसूली करते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही की जाए। उन्होंने ग्रामीणों से शौचालय का प्रयोग करने की अपील की एवं खुले में शौच करने से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि घर में शौचालय होना अति आवश्यक है, इसे इज्जत घर का नाम दिया गया है। घर की इज्जत महिलाएं होती हैं, शौचालय घर में न होने की वजह से उनको बाहर खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है और उनको समाज की बदनियती का सामना करना पड़ता है, जिससे वह खुद को असहज महसूस करती है व उनको किसी अप्रिय घटना का डर भी सताता रहता है, यह डर होना स्वभाविक भी है। वहीं दूसरी ओर खुले में शौच की वजह से दर्जनों संक्रामक बीमारियाँ शरीर में प्रवेश कर जाती हैं। लेकिन अच्छी बात यह है अब महिलाएँ खुद जागरूक होकर अपने मायके या ससुराल में शौचालय निर्माण की आवाज को बुलन्द कर रही हैं। ऐसी महिलाओं की बहादुरी तारीफ के काबिल है। इसलिए कोई भी खुले में शौच न करे और शौचालय का ही प्रयोग करें।

डीएम ने कहा कि फसल के बाद किसानों के पास पर्याप्त समय रहता है कि वह अन्य कार्य कर सकें। जनपद के किसान अब तेजी से आगे बढ़ रहें हैं। यह पुरानी सोच बनी हुई है कि कृषि केवल खेती होती है और कृषि का मतलब गेहूं और चावल उगाना है, लेकिन कृषि अपने आप में एक विस्तृत शब्द है, इसमें बागवानी, पशु पालन, मत्स्य पालन, रेशम पालन, कीट पालन, मधुमक्खी पालन, खाद संस्करण आदि इसमें शामिल है। किसानों से अपील और अनुरोध है कि कृषि को केवल खेती के नजरिए से न देखें। आप इसका विस्तार किस प्रकार से कर सकते हैं, इसके बारे में भी जरूर सोचें। क्योंकि आप दो फसली या ज्यादा से ज्यादा तीन फसलों की खेती साल में करते हैं, उसके बाद भी पर्याप्त समय रहता है कि खेती से सम्बंधित अन्य व्यवसाय में उस समय का उपयोग कर सकते हैं। अपने जनपद बदायूँ में भी ऐसे कई किसान हैं जो खेती के साथ मशरूम, मसालों, आदि सहित अन्य प्रकार के कृषि कार्य कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। किसान पैकेजिंग के माध्यम से बाजार में अपने प्रोडक्ट्स उतार सकते हैं, किसानों की सेवा करने के लिए राजस्व विभाग बना हुआ है, जो किसानों को आगे बढ़ने में मदद करेगा। पुरानी सोच को बदलना होगा और इसके उत्थान के लिए कई सरकारी योजना भी चल रही हैं, जो जानकारी के अभाव में किसानों तक नहीं पहुंच पाती हैं। इनकी जानकारी के लिए उपनिदेशक कृषि, जिला उद्यान अधिकारी, मत्स्य पालन आदि के कार्यालय में सम्पर्क कर योजनाओं का लाभ उठाया जा सकता है। कृषकों के उत्थान के लिए समस्त सम्बंधित विभाग पूर्ण रूप से सहायता करेंगे। कोई डेयरी का काम शुरू करना चाहता है या मुर्गी फार्म खोलना चाहता है, तो इसकी विस्तृत जानकारी व सहयोग इनसे सम्बंधित कार्यालय में मिल रहा है। जिला प्रशासन आपको सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ दिलाएगा। आइए और आकर योजनाओं का लाभ उठाएं। इसके लिए आपको आगे आने की आवश्यकता है।

 

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