शाहजहांपुर। भगवान भोलेनाथ की उपासना का पर्व महाशिवरात्रि एक मार्च को मनाया जाएगा। इस बार शिवरात्रि पर शतभिषा नक्षत्र व शिवयोग का संयोग बन रहा है। यह शिवभक्तों के लिए मनोवांछित फल देने वाला होगा। शिवरात्रि को लेकर मंदिरों में भी तैयारियां होने लगी हैं। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के मंदिरों में शिवभक्ति जोरों पर होगी।
महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ, बाबा चौकसीनाथ, बाबा बनखंडीनाथ सहित अन्य शिवालायों में भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए आस्था का जनसैलाब उमड़ेगा। प्राचीन शिव मंदिर के पुजारी सुरेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि इस बार पंचग्रही योग में शिवजी की पूजा होगी। साथ ही महाशिवरात्रि पर दो शुभ संयोग बन रहे हैं। पहले धनिष्ठा नक्षत्र के साथ परिघ योग बनेगा। इसके बाद शतभिषा नक्षत्र और शिव योग का संयोग होगा।
परिघ योग में पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि पर इस बार ग्रहों का विशेष योग भी बन रहा है। 12वें भाव में मकर राशि में पंचग्रही योग बनेगा। इस राशि में मंगल और शनि साथ बुध, शुक्र और चंद्रमा रहेंगे। लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति बनी रहेगी। चौथे भाव में राहु वृषभ राशि में रहेगा, जबकि केतु दसवें भाव में वृश्चिक राशि में रहेगा। बताया कि शुभ संयोग और शुभ मुहूर्त में जो जातक विधि-विधान से भोले बाबा की आराधना करेंगे। उनकी मनोकामना जरूर पूरी होगी।
महाशिवरात्रि पर पूजन का मुहूर्त
महाशिवरात्रि के दिन पूूर्वाह्न 11.47 से दोपहर 12.34 बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। इसके बाद दोपहर 02.07 से लेकर 02.53 बजे तक विजय मुहूर्त रहेगा। पं. सुरेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि पूजा या कोई शुभ कार्य करने के लिए ये दोनों ही मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ हैं। शाम 05.48 से 06.12 तक गोधूलि मुहूर्त रहने वाला है।
इस तरह से करें शिवलिंग का अभिषेक
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के अभिषेक का बड़ा महत्व हैं। शिवभक्त जल के साथ ही दूध, दही, घी, शहद से भी शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए दीपक जलाएं। मंत्र जप करते हुए चंदन का तिलक लगाएं। बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र, दक्षिणा चढ़ाएं और जलाभिषेक करें। इसके अलावा रुद्रीपाठ, शिवपुराण, शिवमहिम्नस्तोत्र आदि धार्मिक कथा सुननी चाहिए।