जगम्मनपुर, जालौन। भगवान श्री कृष्ण और सुदामा का आख्यान पवित्र ह्रदय और भक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण है ।

जगम्मनपुर में देवी मंदिर पर भागवत कथा के सातवें दिन बुधवार को कथा वाचक सुशील शुक्ला ने सुदामा चरित्र का प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि संसार में मित्रता श्री कृष्ण और सुदामा की तरह होनी चाहिए। मित्रता कैसी होनी चाहिए इस पर चंदन वह चंद्रमा का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए एक श्लोक के माध्यम से बताया कि *चन्दनं शीतलं लोके,चन्दनादपि चन्द्रमाः !*

*चन्द्रचन्दनयोर मध्ये शीतला साधु साप्तिः !!*

इस दुनिया में चन्दन को सबसे अधिक शीतल माना जाता है पर चन्द्रमा की चांदनी चन्दन से भी शीतल होती है लेकिन एक अच्छे मित्र चन्द्रमा और चन्दन दोनों से शीतल होते हैं| उन्होने बताया कि गरीवी से जूझते स्वयं की इच्छा के बिरुद्ध अपनी पत्नी के बार बार कहने पर जब सुदामा जी जब द्वारिका पहुचे, द्वारपालों से अपने बालसखा सुदामा के आने की खबर मिलने पर द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे त्रिभुवन स्वामी की व्याकुलता को देखकर रानी,द्वारपाल सभी स्तब्ध है। करूणा का अद्भुत उदाहरण कि अपने मित्र की दुर्बल स्थिति देखकर आखों से अश्रुपात होने लगा। पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल से पग धोए, अर्थात श्री कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा के आगमन पर उनके पैर धोने के लिए पानी मंगवाया, परन्तु सुदामा की दुर्दशा को देखकर इतना दुःख हुआ है कि प्रभु के आंसुओं से ही सुदामा के पैर धुल गए। आधुनिक युग में स्वार्थ के लिए लोग एक दूसरे के साथ मित्रता करते हैं, और काम निकल जाने पर वे एक दुसरे को भूल जाते है। जीवन में प्रत्येक प्राणी को परमात्मा से एक रिश्ता जरूर बनाना चाहिए। भगवान से बनाया गया रिश्ता जीव को मोक्ष की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा कि स्वाभिमानी सुदामा ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सखा कृष्ण का चिंतन और स्मरण नहीं छोड़ा। इसके फलस्वरूप कृष्ण ने भी सुदामा को परम पद प्रदान किया। सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गये। प्रसंगानुसार झांकी टीम ने कृष्ण सुदामा मिलन की दिव्य सजीव झांकी का प्रस्तुतिकरण दिया गया।

कथा परीक्षित देवेंद्र कुमार प्रजापति व उनकी पत्नी राजकुमारी प्रजापति ने अत्यंत भाव से श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण किया इस अवसर पर रामशंकर जगदीश टेलर, हरगोविंद प्रजापति, अमित कुमार, मोहित ,ज्ञानेंद्र कुमार, उमेश ,राजाबाबू प्रजापत आदि परिजन तथा गांव के अनेक सामाजिक लोगों ने विशेष सहयोग प्रदान किया।

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